हैण्डसम थानेदार और हाथ में गुलाब..
हैण्डसम थानेदार के हाथ में गुलाब हो तो ट्रैफिक रूल तोड़ना भी लोगों गंवारा नहीं है। बात मधुर मुस्कान के साथ गुलाब फूल लेकर खड़े एक थानेदार की है। साहब एक खूबसूरत महिला इंजीनियर को गुलाब का फूल दे बैठे और साथ में कहा कि मैडम हेलमेट लगाकर वाहन चलाइये और अपनों का ख्याल रखे.. ।
वैसे ये वाक्या है तो इत्तफाक ! पर ये घटना खुफिया कैमरे में कैद हो गई, और लोग कहने लगें कि गुलाब का फूल लेने के बाद खूबसूरत महिला मन ही मन ” फूल गुलाब का औऱ लाखों में हजारों में चेहरा टीआई साहब का..! ” गुनगुनाने लगी है ।
वैसे तो गुलाबी रंग प्रेम के शब्दों का सौंदर्य रस है चूंकि प्रेमिका के होंठ गुलाबी और हया से उसके गाल भी गुलाबी ही होते हैं। यहां तक की जब आंखों की सुंदरता बतानी हो तो उसका रंग भी गुलाबी ही होता है। आज गुलाबी रंग के सबसे बेहतरीन प्रतीक “गुलाब के फूल” देकर यातायात के प्रति लोगों को जागरूक करने का अभियान चल रहा है।
जिलेभर के थानेदार अपने क्षेत्र में खड़े होकर गुलाब फूल देकर हेलमेट और सीट बेल्ट बांधकर सुरक्षा पूर्वक वाहन चलाने की अपील कर रहे है। लेकिन, इस अभियान ने कई थानेदारों को रब ने बना दी जोड़ी का सपना दिखा दिया है। खैर जो भी हो हैण्डसम टीआई के हाथ से लिए गुलाब का फूल और चेहरा दिल में उतरने की चर्चा जमकर होने लगी है।
चौकी इंचार्ज और गाड़ियों की कतार
शहर की हॉट सीट की चौकी इंचार्ज पर ऐसा प्रहार हुआ है कि अब साहब जंगल के हाइवे पर खड़े होकर गाड़ियों की कतार लगाएंगे। दरअसल हुआ यूँ कि पिछले कुछ समय से चौकी प्रभारी की एक्टिविटी शक के दायरे में थी। 2 स्टार वाले साहब के खिलाफ मिल रही शिकायतों के जब ठोस प्रमाण मिलने लगे तो कप्तान ने कुर्सी पर सीधा प्रहार करते हुए शहर से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पुलिस के पंडितों की माने तो साहब उस समय से चौकी प्रभारी पर नाराज थे। जब उन्हें पता चला कि चौकी एक सिविलियन के इशारे पर चल रही है। सूत्रों की माने तो बात भी सच साबित हुई। असल में दीपावली के समय चौकी प्रभारी ने एक जुआ पकड़ा था ,जिसमें पकड़े गए रसूखदारों से 5 पेटी की डील सिविलियन शख्स ने गुपचुप तरीके से कराई।
रकम मिलने के बाद भी जुआरियों की खबर फोटो के साथ छप गई, लेकिन इस प्रकरण में पुष्ट सूत्रों की माने तो साहब के हाथ से दूध और दुहना भी निकल गया। सो बात धीरे धीरे उबाल मारने लगी। इसके बाद भी उन्होंने कप्तान के सिद्धांत विरुद्ध काम करते हुए बता दिया कि हम तो नहीं सुधरेंगे..!
मतलब चौकी प्रभारी ने खुदअपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली। सुधरने का अवसर देने के बाद भी जब चौकी इंचार्ज नहीं सुधरे तो कप्तान ने सीधा शहर से बाहर का रास्ता दिखाते हुए सरहदी चौकी का इंचार्ज बनाते हुए हाइवे में गाड़ी गिनने का काम दे दिया। अब जब ट्रांसफर हो गया तो कहते फिर रहे है हमें तो अपनो ने लूटा गैरों में कहां…!
जब लगे साहब बगले झांकने..
पीएम जन मन योजना के शुभारंभ अवसर पर केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में एक ऐसा वाक्या हो गया कि विभाग के मुखिया बगले झांकने लगे। हुआ यूं कि मंत्री महोदय हितग्राहियों को सामग्री वितरण कर उनसे चर्चा कर रहे थे। लाभार्थियों संग संवाद करते हुए उन्होंने पूछा कि किसी सरकार ने इससे पहले कुछ दिया,तो मंच के करीब खड़े हितग्राही ने कहा जी मिलता था.. तो बोले कब दिया और जवाब में हितग्राही ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार में…!
लाभार्थी की बात सुनते ही एक तरफ तो ठहाके लगने लगे तो दूसरी तरफ कार्यक्रम की जिम्मेदारी निभाने एक लक्ष्य वाले साहब पानी पानी हो गए और बगले झांकने लगे। मंत्री महोदय के कार्यक्रम समापन के बाद प्रशासनिक अमले में चर्चा इस बात की होने लगी कि साहब के ट्रेनर सही नहीं थे तभी तो भाजपा सरकार के फायर ब्रांड मंत्री के सामने हितग्राही की जुबां पर मनमोहन का नाम आ गया।
वैसे इस घटनाक्रम के बाद साफ हो गया कि कांग्रेस सरकार में पदस्थ अधिकारी पर अभी भी पूर्ववर्ती सरकार की अमिट छाप मिट नही पा रहा है। तभी तो उनकी मन की बात समय समय पर मनमोहन सामने आ जाते हैं।
डीजीपी के लिए लंबा इंतजार
प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद अटकलें चल पड़ीं थीं कि मुख्य सचिव और डीजीपी बदले जाएंगे। कुछ नाम चर्चा में भी आएं लेकिन अब जो हालात है उससे इंतजार लंबा हो गया है। केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर लौटे आईपीएस अमित कुमार को इंटेलीजेंस चीफ बना दिया गया। अमित कुमार के इंटेलीजेंस चीफ बनते ही एक बार फिर अगले डीजीपी की तलाश शुरु हो गई है।
कल ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ दौर पर आए थे। नक्सल मोर्चा में सरकार के अफसर किस नीति से निपटेंगे इसके लिए उन्होंने टॉप रैंक के अधिकारियों से बैठक की थीं। यानि सीएम विष्णुदेव की सरकार डीजीपी अपाइंट के लिए जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है। सरकार सोच समझ कर ही डीजीपी अपाइंट करेगी। हो सकता है लोकसभा चुनाव के बाद इस पर फैसला लिया जाए।
वैसे तो सीनियरटी और सत्ता के साथ ट्यूनिंग हिसाब से सीनयिर आईपीएस स्वागत दास, राजेश मिश्रा, अरुणदेव गौतम और पवनदेव के नामों की चर्चाएं हैं। मगर फैसला किसके नाम पर होता है इसके लिए लंबा इंतजार करना होगा।
राम नाम की महिमा…
अयोध्या के सरयू तट पर …आ गए राम के शोर से पूरा देश भक्ति के चरम आनंद से भरा गया है। करीब 5 सौ साल बाद भक्ति का ऐसा उबाल दिख रहा है, जिसकी चर्चा विदेशों में हो रही है। आज जैसे ही रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी घर घर दिवाली मनेगी, द्वारों पर तोरण सजाए गए हैं। भगवा ध्वज से शहर कस्बा पटा हुआ है।
भक्ति का ऐसा ज्वार देखकर राम के अस्तित्व को नकारने वाला सेक्यूलर के पैरोकार कांग्रेस जैसा दल भी राम की भक्ति से खुद को रोक नहीं पा रहा है। हालांकि यहां भी कांग्रेस अपनी ढपली अपना राग बजा रही है। मगर राम नाम की महिमा को वो अच्छी तरह से जान चुके हैं।
जनता की नब्ज कहींं उनके हाथ से छूट ना जाए इसके लिए कांग्रेस के नेता मंदिरों में सुंदर कांड का पाठ कर रहे हैं तो कुछ हनुमान चालीसा बाच रहे हैं। हिन्दुतत्व की इस लहर से जाति धर्म की राजनीति करने वालों से समझ में आ गया है कि राम नाम के बिना उनकी नैया पार लगने से रही, अब तो राम नाम का ही सहारा उन्हें चुनाव की वैतरिणी के पार लगा सकता है। जो भी हो अयोध्या में भगवान राम के आने से देश में राम राज्य आने की शुरुआत तो माना ही जा सकता है। आखिर में जय सिया राम…।