बिहार। इधर लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य की चर्चाओं के बीच उनके सियासी वारिस के बारे में कयास लगते रहते हैं. आईएएस से नेता बने आरसीपी सिंह को कभी नीतीश कुमार का सियासी उत्तराधिकारी कहा जाता था लेकिन 2022 में वे जदयू से अलग हो गए. उसके बाद ललन सिंह और संजय झा के नाम चले लेकिन मंगलवार को एक ऐसे शख्स ने जनता दल (यूनाइटेड) में एंट्री ली है जिसके बाद पुराने नामों पर विराम लगता सा दिख रहा है. पटना में जेडीयू के भीतर गहमागहमी है और कयासों का नया दौर शुरू हो गया है. 9 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र माने जाने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी मनीष कुमार वर्मा जेडीयू में शामिल हो गए.
कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बड़े धूमधाम से स्वागत किया गया. इस दौरान झा ने कहा, ‘हमारी पार्टी बिहार से बाहर अपने आधार का विस्तार करने के बारे में गंभीरता से सोच रही है. हमें यकीन है कि वर्मा का समृद्ध प्रशासनिक अनुभव जदयू के लिए बहुत काम आएगा.”
हालांकि पार्टी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वर्मा को जदयू के भीतर क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी के भीतर उनको भविष्य के नेता के रूप में देखा जा रहा है. वह जेडीयू संगठन की गतिविधियों में पिछले एक साल से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं. जेडीयू सूत्रों का कहना है कि उनको नेशनल जनरल सेक्रेट्री (संगठन) का पद दिया जा सकता है. आरसीपी सिंह के पास ये पद लंबे समय तक था.
इस अवसर पर वर्मा ने अपने संरक्षक की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री ‘असाधारण व्यक्तित्व’, ‘सच्चे समाजवाद’ के प्रतीक और वादों को पूरा करने के लिए जाने जाते हैं, जो ‘राजनेताओं में दुर्लभ है’.