कोरबा। भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष के लिए रेस शुरू हो गई है। जिले में 30 दिसंबर तक नए अध्यक्ष चुना जाना तय है और सर्व सम्मति बनाने का आदेश भी संगठन के नेताओं को पहुंच चुका है। गुटों में बंटी जिला भाजपा के नेता मंडल चुनाव में अधिक से अधिक अपने लोगों को अध्यक्ष व महामंत्री बनाने की कोशिश में लगे हैं। इसके अलावा संगठन चुनाव के लिए उम्र सीमा भी बड़ा फैक्टर साबित हो रही है। उम्र सीमा की वजह से कई दावेदार इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। जो अब पर्दे के पीछे से अपने गुट के लोगों को ज्यादा से ज्यादा अध्यक्ष व महामंत्री बनाने में जोश आजमाइश कर रहे हैं।
0.इन नामों की चर्चा
अध्यक्ष पद की रेस में मृदुभाषी व सरल स्वभाव के धनी संतोष देवांगन का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। अगर मंत्री के खेमे की चली तो पाली के संजय भवनानी की ताजपोशी भी हो सकती है। पार्टी के सीनियर नेता गोपाल मोदी भी रेस में बने हुए हैं। गोपाल मोदी मुख्यमंत्री के करीबी भी माने जाते हैं साथ ही संगठन को चलाने के लिए आर्थिक संसाधन की जरूरत पड़ती है उसमें में गोपाल मोदी सभी दावेदारों में भारी पड़ रहे है। हालांकि पिछले पांच सालों तक विपरीत समय मे संगठन को चलाने का पूरा दारमोदार विकास महतो ने भी संभाल रखा था, इसलिये उनके पसंद को भी नकारा नहीं जा सकता। भाजपा के खेवनहार के लिए एक और नाम नीरज शर्मा की होने लगी है। बताते है पार्टी के अनेक पदों सेवा करते रहे है। वही जनसंघ (मीसा बंदी)परिवार से तालुक रखने की वजह से उनके नामो पर पार्टी विचार कर सकती है।
इनके अलावा अध्यक्ष पद की दौड़ में टिकेश्वर राठिया और रेणुका राठिया का नाम शामिल है। दोनों आदिवासी वर्ग से संबंधित दोनों नेता, जिनका नाम आदिवासी प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सामने आया है।
दीपका के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष मनोज शर्मा को जिले में बड़े पद की कमान संभालने का मौका मिल सकता है।
0.बदलाव जरूरी, वर्तमान अध्यक्ष को दोबारा मौका मिलना मुश्किल, गुटबाजी की दिल्ली तक हो चुकी है शिकायत
बता दें कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कोरबा जिले में बीजेपी का प्रदर्शन प्रदेश में सबसे कमजोर रहा है। यहां पूरी ताकत लगाने के बाद भी कांग्रेस की ज्योत्सना महंत चुनाव जीत गईं। जिले की चार विधानसभा सीट में से बीजेपी केवल एक सीट ही जीत पाई। इसके पीछे जिला संगठन में गुटबाजी को बताया जा रहा है।
ऐसे वर्तमान डॉक्टर राजीव सिंह को दोबारा जिले की कमान मिलने में संशय बना हुआ है। बता दें कोरबा जिला संगठन की गुटबाजी से चुनाव में मिली हार की शिकायत दिल्ली तक हुई है। अब जब नए संगठन चुनाव होने हैं तो बीजेपी अपनी पुरानी गलती दोहराएगी ऐसा नहीं लगता है। फिलहाल चुनाव में क्या नतीजें आते हैं इसके लिए इंतजार करना होगा।