कोरबा। मांग और भाव दोनों अच्छे। धारणा आगे भी बेहतर जाने की है क्योंकि बिहार और झारखंड ने चौतरफा खरीदी चालू कर दी है। जबकि स्थानीय मांग शून्य ही है।
2 साल से तालों में कैद, महुआ के अच्छे दिन अब जाकर आए हैं। बड़ी राहत यह कि कीमत जो बोली जा रही है उसकी तो वनोपज कारोबार ने कल्पना भी नहीं की थी। इसमें और वृद्धि की धारणा है क्योंकि प्रतिस्पर्धी का माहौल बनने लगा है।
प्रतिस्पर्धी खरीदी इनकी
छत्तीसगढ़ के प्रमुख वनोपज महुआ की खरीदी करने वालों में झारखंड और बिहार हमेशा से प्रमुख उपभोक्ता क्षेत्र रहे हैं लेकिन इस बार खरीदी को लेकर जैसी प्रतिस्पर्धा दोनों राज्यों में देखी जा रही है उससे महुआ के अंतरप्रातीय कारोबारियों में थोड़ी हैरत देखी जा रही है क्योंकि मांग की मात्रा लगभग प्रति सप्ताह बढ़ा रहे हैं यह दोनों। ऐसे में कीमत पहली बार रिकॉर्ड 4800 से 5000 रुपए क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच चुकी है।
2 साल से प्रतीक्षा
बीते 2 साल महुआ संग्राहकों के लिए भले ही अच्छे रहे लेकिन कारोबार के लिए स्थितियां ठीक नहीं रही क्योंकि उपभोक्ता मांग नहीं निकली। ऐसे में भंडारण जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ा। 2 बरस बाद जाकर अब जैसी मांग निकल रही है, उससे आस बन रही है कि नई फसल के लिए जगह इस बरस पर्याप्त मिल सकेगी और कोल्ड स्टोर पर होने वाला व्यय भी बचाया जा सकेगा।
धारणा तेजी की
मांग की मात्रा और प्रतिस्पर्धी खरीदी को देखते हुए महुआ कारोबार मानकर चल रहा है कि यह स्थिति आगे भी बनी रही, तो भाव में और भी वृद्धि की संभावना है क्योंकि महुआ के कारोबारी शहरों में अलग-अलग भाव बोले जा रहे हैं लेकिन प्रयास दो साल से भंडारित उपज को हर हाल में निकालने के लिए किये जा रहे हैं। यह इसलिए क्योंकि स्थानीय मांग नहीं के बराबर है।
भाव अच्छे हैं
बिहार और झारखंड की मांग महुआ में निकली हुई है। प्रतिस्पर्धी खरीदी की वजह से तेजी की धारणा है।
– सुभाष अग्रवाल, एस पी इंडस्ट्रीज, रायपुर