कोरबा। सरकारी खजाने में सेंध लगा रहे बेवजह के सरकारी खर्चों में कटौती शुरू कर दी गई है। वित्त मंत्रालय ने सबसे पहले सरकारी विभागों में अफसर-कर्मियों की मौज पर वार किया है। मंत्रालय ने विभिन्न विभागों में किराए के वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाई है। गौर करने वाली बात यह है कि शायद कोरबा जनपद पंचायत के CEO मंत्रालय के इस आदेश से अब तक वाकिफ नहीं हो पाए हैं। संभवतः यही वजह है जो अब भी अफसर को लेकर किराए की इनोवा यहां वहां दौड़ लगाती दिखी जा रही है।
वित्त मंत्रालय ने विभिन्न विभागों के वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन की पुस्तिका में किराए पर वाहन लेने संबंधी अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। इसके साथ ही यह स्पष्ट कर दिया गया है कि विशेष उद्देश्य के साथ निर्धारित समय के लिए ही वित्त विभाग की अनुमति लेकर गाड़ी किराए पर ली जा सकती है। इस आदेश के बाद अब सरकारी कर्मचारी और अधिकारी किराया की गाड़ियों का आनंद नहीं ले पाएंगे। वित्त विभाग ने सरकार के सभी विभागों में किराया की गाड़ियों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। वित्त विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन की पुस्तिका में वाहन किराये पर लेने संबंधी अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। अपवाद स्वरूप वित्त विभाग की सहमति से ही वाहन विशेष उद्देश्य व निर्धारित अवधि के लिए किराया पर लिया जा सकता है।
दरों की एकरूपता नहीं, जारी किए 22 शर्तों के नीति निर्देश
फाइनेंस सेक्रेटरी मुकेश बंसल ने राज्य सरकार के सभी विभागों, निगम, मंडल और उपक्रम निकाय में अब गाड़ियां किराए में लेने पर रोक लगाने के आदेश जारी करते हुए 22 शर्तों के नीति निर्देश जारी किए हैं। वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रायः यह देखा जा रहा है कि विभिन्न विभागों एवं उनके अधीनस्थ कार्यालयों, निगम, मंडल, अनुदान प्राप्त संस्थाओं द्वारा किराया का वाहन उपयोग में लिया जा रहा है तथा उक्त वाहनों के किराए की दरों में एकरूपता नहीं है। अतः एकरूपता की दृष्टि से परिशिष्ट-अ अनुसार वाहनों, समतुल्य वाहनों के किराया हेतु दर तथा परिशिष्ट-ब अनुसार किराये की शर्त निर्धारित किया जाता है। किराए के वाहन की दरें राज्य मद से किराए पर लिए जाने वाले वाहनों के साथ केन्द्र पोषित अथवा अन्य मदो से वित्त पोषित योजनाओं के तहत किराए पर भी लिए जाने वाले वाहनों पर समान रूप से लागू होंगे।