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Keep you a little, give me the rest: जुलाई…विदाई और मलाई,पीएचक्यू की लिस्ट से इन थानेदारों..रणभूमि में वापसी, नेताओं की चर्चा,शिक्षकों की अंकसूची पर नोटिस की कूची…

जुलाई…विदाई और मलाई

अगले सप्ताह सोमवार को जब कटाक्ष का अगला अंक पढ़े रहे होंगे तो तारीख होगी 1 जुलाई सोमवार…। यानि कलेंडर वर्ष का 7वां महीना। ज्योतिष के अनुसार अंक 7 के स्वामी ग्रह केतु होते हैं। 7 अंक वाले दार्शनिक और चिंतक स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोग किसी न किसी तरह के शोध यानी अखबारी भाषा में कहे तो जुगाड़ में ही लगे रहते हैं। इनके अंदर पूर्वाभास की अद्धभुत क्षमता होती हैं और इनके पास कुछ ऐसी दिव्य शक्तियां भी होती जो आज के दौर में अफसरों के पास होती है।

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आप सोच रहे होंगे कि 7 अंक वाले जुलाई का अफसरों से क्या वास्ता…। तो आपको बता दें इसका संबंध केतु ग्रह के प्रभाव से है। इसी महीने मानसून सत्र से पहले 5 जिलों के कलेक्टर और कुछ आईपीएस अफसरों पर केतु की प्रभाव पड़ने वाला है। ट्रांसफर लिस्ट जारी होने वाली है। सो अपने केतु ग्रह के प्रभाव से वो अपने चिंतक स्वभाव की वजह से अच्छी पोस्टिंग पाने के जुगाड़ में लगे हैं। वैसे भी केतु के प्रभाव से इनके अंदर पूर्वाभास की अद्धभुत क्षमता होती हैं। अब आने वाली में जुलाई किसे विदाई और किसे मलाई मिलेगी इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

पीएचक्यू की लिस्ट से इन थानेदारों को टेंशन

पुलिस मुख्यालय से होने तबादले पर प्रदेश भर के होनहार निरीक्षकों की निगाहे टिकी है। लिस्ट बनने की खबर के बाद सेटिंग वाले थानेदारों की टेंशन बढ़ गई है। दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर निरीक्षकों का तबादला होना है।

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प्रदेश स्तर के तबादले को लेकर बड़े थाना में थानेदारी करने वाले थानेदारों की टेंशन बढ़ गई है। खबरीलाल की माने तो पीएचक्यू में एक लिस्ट को एनालिसिस किया जा रहा है। जिसमें मैदानी एरिया में ड्यूटी वाले निरक्षकों को अलग कर उन्हें नक्सल बेल्ट में पोस्टिंग करने का विचार किया जा रहा है।

ऊर्जाधानी में भी कई ऐसे थानेदार हैं जिन्हें अब बंदूक लेकर घनघोर जंगल मे नौकरी करना पड़ सकता है। लिहाजा जिले के चतुर थानेदार पीएचक्यू जुगाड़ लगाने सूत्र फिट कर रहे हैं। वैसे तो तबादला सूची में इस बार संसोधन की गुंजाइश कम है लेकिन असंभव भी नहीं है। सो प्रदेश भर सिंघम स्टाइल वाले थानेदार कुर्सी बचाने और घनघोर नक्सली क्षेत्र में पोस्टिंग से बचने दौड़ भाग शुरू कर दी है। निरीक्षकों के सेटिंग पर महकमे में बैठे लोग कहने लगे है बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएंगी..!

रणभूमि में वापसी, नेताओं की चर्चा है आपसी...

एक युक्ति है मेरा पानी उतरता देख किनारे पर घर मत बना लेना मैं समुंदर हूँ , लौटकर वापस आऊंगा..। इसे सही साबित करते हुए भाजपा नेत्री ने रणक्षेत्र में फिर वापसी कर ली है। अक्सर कहा जाता है राजनीति में जीतने और हारने वाले नेता पलटकर नहीं देखते, लेकिन ऐसे विरले होते है जो हार को स्वीकार कर जनता के बीच जाकर सेवा का अवसर खोजते हैं। अगर बात कोरबा लोकसभा की जाए तो इससे पहले जब करुणा शुक्ला चुनाव हारी तो उन्होंने बिलासपुर का रुख कर लिया। यह पहला दौर है हार के बाद भी दीदी कोरबा की राजनीति में रूचि दिखा रहीं हैं।

उनके ऊर्जाधानी में कदम रखते ही नेताओं में आपसी चर्चा होने लगी है,  कि अब स्थानीय लीडरों का क्या होगा..जो सपना संजोए थे कि शहर के कमिश्नर तो हम ही हैं..! राजनीति के चाणक्यों की माने तो शहर की राजनीति में वापसी ने उन नेताओं को चौंका दिया जो बतौर “जयचंद” चुनाव में काम किए थे।

कहा तो यह भी जा रहा कि अब फिर से शहर में अवसरवादी नेताओं की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। जो नेता सत्ता के नशे में चूर थे वो अब फिर आंखों का हूर बनने के लिए आतुर हैं। मैडम की वापसी से कारोबारी नेताओं को उनके नाम से ही 110 डिग्री का बुखार चढ़ गया है। उनकी वापसी को जानकर सकारात्मक नजीरिये देखने वाले कह रहे हैं.. मेरा पानी उतरता देख किनारे पर घर मत बना लेना मैं समुंदर हूँ , लौटकर वापस आऊंगा..।

शिक्षकों की अंकसूची पर नोटिस की कूची

एसीबी की ताबड़तोड़ कार्रवाई से प्रशासनिक क्षेत्रों में खलबली है तो जिले में कुछ अफसर ऐसे भी जो अपने आपको बड़ा खिलाड़ी समझते हुए आज भी खेला कर रहे है। बात शिक्षा विभाग की है जहां नए शिक्षण सत्र के आरंभ होने से पहले ही विभाग चर्चा में आ गया है।

दरअसल शिक्षा विभाग में फर्जी मार्कशीट से नौकरी करने वालो की लंबी सूची है। इन्हीं सूची में से 22 शिक्षकों की वसूली के लिए मार्कशीट सत्यापन की लिस्ट बनाई गई है और उन्हें स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया गया है। नोटिस पाने वाले शिक्षकों के पैरों तले जमीन खिसक गई है क्योंकि उनके सामने एक ओर कुंआ तो दूसरे ओर खाई वाली स्थिति है। उत्तर लेकर गये बीईओ डिमांड करेंगे और नहीं गये नौकरी तो जाएगी ही.. जेल भी जाना पड़ सकता है।

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इन सबके बीच शिक्षकों के बीच आपसी खुसुर फुसुर भी चल रही है कि आखिर जनपद के से   22 शिक्षकों का मार्गशीट बदला कैसे गया वगैरह वगैरह..! तो कुछ शिक्षकों की नियुक्ति के साक्षी रहे लोग कहने लगे है कि नियुक्ति में फर्जीवाड़ा तो है लेकिन अचानक फर्जी मार्कशीट का सत्यापन ” दया कुछ तो गड़बड़ है।

वहीं शिक्षा विभाग के ऊपरी कमाई करने वाले अधिकारियों की राय अलग है, उनका मानना है 22 शिक्षकों का उत्तर तो प्रयोग है असली हंटर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त..! चर्चा तो इस बात की भी रही है कि जनपद सीईओ और बीईओ की पार्टनरशिप में एक नई पटकथा लिखी जा रही है जो शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच बहाने उगाही करने का काम कर रही है।

इस हाथ ले…थोड़ा तू रख बाकी मुझको दें…

प्रदेश में एक एसडीएम सा​हेब अपने मातहत के जरिए घूस लेने के चक्कर में पकड़े गए। साहेब का उम्मीद थी कि राजस्व विभाग में निचले स्तर पर हर छोटे बड़े काम के लिए घूस की रेट फिक्स है अगर उनके अमले के बाबू, पटवारी पकड़ भी गए हो वो साफ बच निकलेंगे। मगर, इस बार ऐसा नहीं हुआ। उनके मातहतों के साथ एसीबी ने एसडीएम सा​हेब को नाप दिया।

असल में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक लगातार रेवेन्यू विभाग में हर काम में घूस मांगे जानें की शिकायतें पहुंच रही थी और कई मौकों पर वो कलेक्टरों कह चुके हैं कि राजस्व महकमे में बहुत गड़बड़ियां है। लोग परेशान न हो इसके लिए अफसर हर महीने इसका रिव्यू कर लें।

इस वक्त एसीबी की कमान आईपीएस अमरेश मिश्रा के पास है जो केंद्र में एनआईए के साथ काम कर चुके हैं, उनकी वर्किंग स्टाइल भी एनआईए वाली है। इसीलिए मुख्यमंत्री के इशारे को वो समझ गए मगर एसडीएम साहेब इसे समझने में भूल कर बैठे। और एसीबी के लपेटे में आ गए।

वैसे तो राजस्व विभाग में हर महीने कहीं न कहीं पटवारी और त​हसील के बाबू लोगों का छोटे मोटे कामों के एवज में घूस मांगे जाने का वीडियो वायरल होते रहते हैं। कुछ को नोटिस तो कुछ को सस्पेंड करने के बाद मामला दबा दिया जाता है। मगर इसबार एसीबी ने एसडीएम को ही लपेटे में लिया।

लिहाजा प्यादों को आगे कर हिस्सेदारी की मोटी मलाई खाने वाले वजीरों को भी कार्यवाही का डर सता रहा है। यानि इस हाथ ले…थोड़ा तू रख बाकी मुझको दें वाला काम अब नहीं चलने वाला है। घूसखोरी के काम जिसकी भी हिस्सेदारी होगी उस पर एक्शन होगा। क्योंकि एसीबी अब एनआईए वाली स्टाइल में काम करने लगी है।

✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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