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गणेश चतुर्थी पर इस सबसे शुभ मुहूर्त में करें गणपति बप्‍पा की स्‍थापना, धन-दौलत से भरेगा घर

न्यूज डेस्क। भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्‍सव प्रारंभ होता है. गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर में गणपति बप्‍पा की स्‍थापना की जाती है. 10 दिन तक चलने वाला यह महोत्सव अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ समाप्‍त होता है. गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है. पति की लंबी उम्र के लिए सुहागनें यह निर्जला व्रत रखती हैं. आज 6 सितंबर 2024, शुक्रवार को हरतालिका तीज व्रत रखा जाएगा. इसके बाद 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्‍थापना की जाउगी. कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश धरती पर अवतरित होते हैं. देश भर में पंडाल गणपति बप्‍पा के स्‍वागत के लिए सजकर तैयार हो चुके हैं. गणेश भक्त इस त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. सड़कों से लेकर मंदिरों तक गणपत्ति बप्पा के जयकारे गूंजता हैं. महाराष्‍ट्र में विशेष तौर पर गणेशोत्‍सव की धूम सबसे ज्‍यादा रहती है.

गणेश चतुर्थी पर गणेश स्थापना मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024, शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापना का सबसे मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इस तरह करीब 2 घंटे का शुभ समय गणपति स्‍थापना के लिए मिलेगा.

गणेश चतुर्थी की स्थापना और पूजा विधि

गणेश चतुर्थी की सुबह जल्‍दी स्‍नान करके पीले या लाल रंग के कपड़े पहनें. फिर गणपति बप्‍पा के जयकारों और ढोल-ताशों के साथ गणेश जी की प्रतिमा अपने घर में लाएं. फिर विधि-विधान से शुभ मुहूर्त में गणपति बप्‍पा की मूर्ति स्‍थापित करें.

चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. उस पर अक्षत रखें और चंदन से स्वास्तिक बनाएं. फिर इसके ऊपर गणेश जी मूर्ति को स्थापित करें. इस दौरान ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ. निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥’ मंत्र का 5 बार जाप करें. फिर गणेश जी के ऊपर गंगाजल छिड़कें. उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले फूल और फल चढ़ाएं. मोदक का भोग लगाएं. फिर गणेश जी की आरती करें और अपनी मनोकामनाएं बताते हुए उन्‍हें पूरी करने की प्रार्थना करें. फिर सभी को प्रसाद बांटें.

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