
रायपुर। रेल की पटरी पर उम्मीदों की गूंज फिर से सुनाई देने लगी है। 3 अगस्त की भोर से, जबलपुर और रायपुर के बीच एक नई जीवनरेखा शुरू होने जा रही है मदन महल–रायपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस।
यह सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि उन यात्रियों के लिए राहत की बयार है जो वर्षों से इस रूट पर एक अतिरिक्त विकल्प की बाट जोह रहे थे। अमरकंटक एक्सप्रेस की भीड़ और टिकटों की किल्लत के बीच, यह नई इंटरसिटी ट्रेन सैंकड़ों मुसाफिरों के लिए न केवल सहूलियत, बल्कि समय की बचत और आरामदायक सफर का वादा लेकर आ रही है।
सुबह की ठंडी बयार के बीच जबलपुर स्टेशन से यह ट्रेन ठीक 6:00 बजे रवाना होगी, और 6:10 पर मदन महल स्टेशन पर अपनी अगली रवानगी के लिए रुकेगी। फिर बालाघाट की हरियाली और गोंदिया के जीवंत परिदृश्य को निहारती हुई, यह ट्रेन लगभग 8 घंटे बाद, दोपहर 1:50 पर रायपुर पहुंचेगी।
यात्रा के दौरान रेल की थाप में जीवन की धड़कनें
इस ट्रेन में कुल 15 एलएचबी कोच होंगे — जिनमें एक एसी चेयर कार, चार आरक्षित सेकेंड क्लास, आठ जनरल कोच, एक एसएलआर और एक जनरेटर कोच शामिल हैं। यह विन्यास यात्रियों को हर श्रेणी में आरामदेह सफर की सुविधा प्रदान करेगा।
रक्षाबंधन से पहले, जब घर लौटने की चाह दिलों में तेज़ होती है, यह ट्रेन एक प्यारा तोहफा बनकर सामने आई है — बहनों की राह आसान करेगी, भाइयों की प्रतीक्षा को संक्षिप्त।
नई शुरुआत, नई दिशा
यह ट्रेन केवल दो शहरों को नहीं जोड़ती — यह जोड़ती है रोज़गार की उम्मीदों को, परिवार से मिलने की उत्सुकता को, शिक्षा और व्यवसाय के अवसरों को। यह इंटरसिटी ट्रेन दरअसल उन असंख्य कहानियों की रेखा है, जो रोज़ इन स्टेशनों से गुजरती हैं — कुछ अधूरी, कुछ नई, और कुछ सफर में ही पूरी होने वाली।
रेलवे बोर्ड की इस पहल से अब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच आवाजाही और संवाद को एक नई गति मिलेगी। यह ट्रेन पुल है — दो राज्यों के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंधों को और भी सुदृढ़ करने वाला।