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दानपात्र में गिरा iPhone: मंदिर ने नहीं लौटाया तो क्या श्रद्धालु को मिलेगा मुआवजा? मामले में अब मंत्री ने संभाला मोर्चा

वेब डेस्क। मंदिर की दानपेटी में भक्त का आईफोन गिरने का मामला मंत्री तक पहुंच गया है. असल में हुआ यह कि तमिलनाडु के तिरुपोरूर स्थित अरुलमिगु कंदास्वामी मंदिर में श्रद्धालु दिनेश का iPhone दानपात्र में गिर गया था. अब यह मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. इस घटना ने न केवल सोशल मीडिया पर बहस छेड़ी है, बल्कि मंदिर प्रबंधन की परंपराओं और नियमों पर भी सवाल उठाए हैं. अब इस मामले में तमिलनाडु के मंत्री पी. के. शेखर बाबू ने बयान देकर भक्त को एक नई उम्मीद जगा दी है. मंत्री ने कहा कि मामले में मुआवजा देने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा और विभागीय अधिकारियों से चर्चा के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा.

 

मंत्री ने अपने बयान में क्या कह दिया..

असल में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्री शेखर बाबू ने मीडिया को दिए बयान में स्पष्ट किया कि मंदिरों के हुंडी नियमों के अनुसार, उसमें गिरने वाली वस्तु भगवान की संपत्ति मानी जाती है और उसे लौटाने का प्रावधान नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि श्रद्धालु की शिकायत को ध्यान में रखते हुए मुआवजा देने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा. उनके सामने एक अन्य उदाहरण का भी जिक्र आया जिसमें केरल के पलानी मंदिर में हुंडी में गिरी सोने की चेन के बदले मंदिर ट्रस्ट ने अपनी ओर से श्रद्धालु को मुआवजा दिया था.

भक्त दिनेश ने जताई निराशा

इस पूरे मामले में दिनेश ने कहा कि गलती से फोन गिर गया था और इसे वापस पाने के लिए उन्होंने मंदिर प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई. हालांकि प्रशासन ने इसे भगवान की संपत्ति बताकर लौटाने से इनकार कर दिया. दिनेश ने कहा कि मैंने उम्मीद की थी कि हुंडी खोलने के बाद मुझे मेरा फोन वापस मिलेगा, लेकिन उन्होंने सिर्फ डेटा और सिम कार्ड देने का प्रस्ताव दिया. यह मेरे लिए निराशाजनक है.

मंदिर प्रशासन का रुख सख्त

उधर मंदिर प्रशासन ने अपनी परंपराओं और नियमों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि हुंडी में गिरने वाली वस्तु भगवान की संपत्ति होती है. मंदिर के कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि 1975 के हुंडी नियमों के तहत ऐसी वस्तुओं को लौटाना संभव नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि श्रद्धालु को इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण समाधान देने का प्रयास किया जाएगा.

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है. कई लोगों ने मंदिर प्रशासन के सख्त रवैये की आलोचना की है, वहीं कुछ ने इसे भगवान की मर्जी मानकर स्वीकार करने की सलाह दी है. फिलहाल, मंत्री के बयान से यह उम्मीद जगी है कि दिनेश को उनके नुकसान की भरपाई मुआवजे के रूप में मिल सकती है. अब देखना यह होगा कि विभागीय अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद क्या निर्णय लिया जाता है.

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