हवा में पुलिसिंग, थानेदारों को रास नहीं आ रहा कायदा
कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे, यह संदेश अब थानेदारों को रास नहीं आ रहा। कप्तान की हिदायतों के बावजूद कुछ थानेदार अपने पुराने अंदाज में काम कर हैं और इससे शहर की पुलिसिंग हवा में उड़ रही है। नतीजा यह है कि सड़क हादसों की संख्या बढ़ रही है और पुलिस की छवि भी खराब हो रही है सो अलग।
अगर नए साल 2025 की बात करें, तो पुलिस के लिए यह शुरुआत अच्छी नहीं रही। नए साल के पहले ही दिन एक सड़क हादसे में दो लोगों की मौत ने प्रशासन और पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया। इस महीने अब तक चार सड़क हादसों में जानें जा चुकी हैं।
नववर्ष की शाम को हुए एक हादसे में आक्रोशित भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और जमकर उत्पात मचाया। इस हादसे के पीछे जो कहानी है, उसे देख कर यह साफ होता है कि पुलिसिंग तो थी ही नहीं। जबकि ये इलाका व्यस्तम मार्ग, जो पहले ही एक्सीडेंटल जोन के तौर पर चिन्हित हो चुका है तो सवाल यह उठता है कि पुलिस ने पहले के हादसों से सबक क्यों नहीं लिया?
शहर के लोग अब कोरबा एसपी रहे संतोष सिंह की “कम्युनिटी पुलिसिंग” की याद ताजा कर रहे हैं, जब सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाया गया था। कम से कम सड़क हादसों पर अंकुश तो लगा था!
हालांकि, कप्तान की बार-बार नसीहत के बावजूद, कुछ थानेदार अब भी अपने “पैकेज” के फायदे की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, और मलाई निकालने में मस्त हैं। एसपी के सख्त तेवरों के बावजूद, अवैध कामों में लुकाछुपी का खेल जारी है, और आम जनता मन ही मन यही सोच रही है, “नेचर और सिग्नेचर बदल पाना इतना आसान नहीं है, सर!”
🔶 निगम अफसरों की कृपादृष्टि शहर हो रहा कबाड़…
शहर में अवैध निर्माण कार्यों की सुनामी सी आ गई है और निगम अफसर बिना नियम के बन रहे निर्माण कार्य से वसूली कर शहर को कबाड़ बनाने मे लगे हैं।
शहर का मुख्य मार्ग हो या निगम की दुकानें सभी जगहों पर अवैध निर्माण बढ़ गया है। सड़क किनारे के दुकानदार गैलेरी में कब्जा कर शटर आगे बढ़ाकर दुकान की साइज बड़ा कर रहे हैं इससे दुकानदार को फायदा तो रहा लेकिन सड़क दिनोंदिन संकरी होती जा रही है। दिनोंदिन सिकुड़ते हुए सड़क के कारण दुर्घटनाओं में भी लगातार वृद्धि हो रही है।
अब बात बुधवारी बाईपास की की जाए तो सड़क पर बड़ी गाड़ियों की पार्किंग और ऑक्सीजोन में गुमटी और ठेले वालों का कब्जा है। सड़क पर बढ़ते दबाव और जगह- जगह हो रहे अवैध निर्माण कार्यों से शहर की सुंदरता कबाड़ का स्वरूप ले रही है। पोड़ीबाहर से खरमोरा जाने वाले मार्ग की स्थिति भयावहता भरी है। मास्टर प्लान में 30 मीटर का रोड होने के बाद सड़क के दोनों छोर पर दुकानदारों का अवैध कब्जा है। शिकायत होने पर अफसरो का तोता रटंत उत्तर मिलता है..”जांच करवाते है कार्रवाई की जाएगी” लेकिन कब..! इसके आगे कार्यवाही करने के नाम पर इनको सांप सूंघ जाता है।
वैसे तो जिन सड़क और दुकानों का हम उल्लेख कर रहे हैं उसी सड़क पर निगम के आयुक्त से लेकर कलेक्टर भी चलते हैं। हिम्मतवाले अवैध कब्जेदारों के सामने निगम अधिकारियों की हिम्मत नहीं होती है कि कोई कार्रवाई की जाये। हां निगम की तोड़ू दस्ता टीम और निर्माण शाखा के अफसर अवैध निर्माण करने वाले दुकानदार/ मकान मालिक को रास्ता जरूर बता देते हैं कि किस मंत्री के पास नारियल चढ़ाने से उसका काम होगा।
निगम अफसरों के इस सेफ गेम से दो के लाभ होते हैं, रास्ता बताने का दक्षिणा और उच्च अधिकारियों के दबाव से मुक्ति भी। शहर के समझदारों की माने तो निगम अफसरों की नीति “अपना काम बनता तो… जनता की है।” जिसके कारण शहर के मुख्य और बाइपास मार्ग में अवैध कब्जों की बाढ़ से शहर कबाड़ में बदल रहा है।
🔶हकदार के सर में जिलाध्यक्ष का ताज..
” सुपर”30 के ऋतिक रोशन का फेमस संवाद “अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा जो हकदार है वही राजा बनेगा।” इस पंच लाइन को आगे बढ़ाते भाजपा हाईकमान ने संगठन के नेताओ को संदेश देते हुए कहा है अब शहर के धन्ना सेठ नहीं वरन जो असली हकदार है जिलाध्यक्ष वही बनेगा।
बात कोरबा जिलाध्यक्ष के दावेदारो की है, सत्ता है तो संगठन का स्वाद हर कोई चखना चाह रहा था। भाजपा जिलाध्यक्ष की रेस में तीन नामो पर चर्चा हुई। जिसमें पार्टी के लिए सबसे निष्ठावान मनोज शर्मा पर हाईकमान ने विश्वास व्यक्त करते हुए एक फिर सिद्ध कर दिया कि भाजपा पूंजीपतियों की पार्टी नही है। यहां निष्ठापूर्वक काम करने वाले हर कार्यकर्ता को मौका दिया जाएगा। सूत्रधार की माने तो राजनीति संघ से राजनीति का सफर शुरू करने वाले मनोज शर्मा की पहचान दीपका नगर पालिका में पार्षद के रूप अपने पहले कार्यकाल में बन गई थी। नगर पालिका अध्यक्ष , मंडल अध्यक्ष युवा मोर्चा और किसान मोर्चा की राजनीति में पदाधिकारी रहने के दौरान संगठन में कार्य करते हुए सबको साथ लेकर चलने की छवि बनाते अपनी विशिष्ट कार्यशैली से अपनी अलग पहचान बनाई। ये दूसरी बार है कोरबा शहर को छोड़कर ग्रामीण अंचल को महत्व देते हुए अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी के अंदरखाने की निकल रही कारणों को माने तो तो मनोज शर्मा ने कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दीपका, हरदी बाजार , बांकी मोंगरा कुसमुण्डा मंडल के साथ कटघोरा मंडल में सदस्यता अभियान और आजीवन निधि संग्रहण में अहम भूमिका निभाई है । जिसके कारण उन्हें जिलाध्यक्ष पद का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। मनोज शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद विपक्षी दल भी स्वीकारने लगे हैं कि “बीजेपी में राजा का बेटा ही राजा नही बनेगा अब जो हकदार होगा वही राजा बनेगा..!”
🔶ई-वे का चक्कर
देश में सबसे ज्यादा सीमेंट उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में सीमेंट कंपनियां मूल्य वृद्धि कर मोटा मुनाफा काट रही हैं। राज्य में हर महीने लगभग 30 लाख टन सीमेंट का उत्पादन हो रहा है। खुले बाजार में सीमेंट 275 से 300 रुपए प्रति बैग के हिसाब में बिक रहे हैं जो 3 माह पहले 260 रुपए बिक रहे थे। अगले महीने के आखिर में राज्य और केंद्र में आम बजट पेश होना है, ऐसे में ये सीमेंट कंपनियां दाम बढ़ा कर अपने फायदे का बजट पूरा कर लेना चाहती है।
असल में पूरा खेल टैक्स चोरी का है। टैक्स चोरों को पकड़ने के लिए जीएसटी विभाग नया नियम लेकर आया है। विभाग ने ई-वे बिल और ई-इनवाइसिंग सिस्टम को अपडेट किया है। अब 20 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले कारोबारियों पर मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू हो गया है। साथ ही ई-वे बिल न होने पर वाहन और माल को जब्त किया जा सकता है। पैनाल्टी का प्राविधान अलग से लागू होगा।
और नए नियम लागू होने से पहले सीमेंट कंपनियां अपने घाटे के बजट को फायदे में बदलने के लिए मूल्य वृद्धि का खेल खेल रही हैं। हालांकि इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र तक हुई है मगर जब तक कोई फैसला आएगा…सीमेंट कंपनियां अपना खेल पूरा कर जाएंगी…। ऐसे में अपना मकान बनाने का सपना देखने वाले आम लोगों को अपने जेब कटाने के लिए तैयार रहना होगा।
🔶 संक्रांति के लड्डू किसके हाथ
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के करीब सालभर बाद सत्ता पक्ष के नेताओं को संक्रांति के लड्डू बंटने शुरु हो गए हैं। इसकी शुरुआत संगठन चुनाव से हो चुकी है। बीते दिन 15 नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है, बाकी जिलों के चुनाव आज होना है।
जिला अध्यक्षों के साथ प्रदेश प्रतिनिधियों की भी नियुक्ति होनी है। जिन जिलों में विवाद होंगे वहां तालमेल बनाने की कोशिश नहीं तो वहां चुनाव कराए जाएंगे। सब कुछ ठीक रहा तो 10 जनवरी तक बीजेपी को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। इसके साथ संक्रांति के लड्डू बंटने की पहली खेप पूरी हो जाएगी।
संक्रांति के लड्डू बंटने की दूसरी फेरी में कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनाने वालों का नंबर लग सकता है। हालांकि इसके लिए शिवरात्रि तक इंतजार भी करना पड़ सकता है। मकर संक्रांति के तुरंत बाद प्रदेश में निगम और नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना लागू होना है ऐसे में अभी निगम मंडलों में नियुक्ति को आगे टाला जा सकता है।
सूत्रों की माने तो पार्टी कैडर में जिन नेताओं को लालबत्ती देना है उनका सर्वे पहले की कराया जा चुका है। जिस नेता का जैसा वेट वैसे ही लड्डू की टोकरी भी तैयार की गई है। लड्डू बंटने के पहले दो चक्र में जिन नेताओं को मौका नहीं मिला उन्हें तीसरे चक्र में शामिल किया जाएगा। अब लड्डू किसके हाथ लगेगा इसे लेकर रायपुर से लेकर दिल्ली तक फोन्स खड़क रहे हैं।