
कोरबा। सोशल मीडिया पर परियोजना अधिकारी श्रीमती ममता तुली पर 50 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाया गया था। डीपीओ ने इसे पूरी तरह झूठा और भ्रामक करार दिया।
जाँच में यह सामने आया कि परियोजना अधिकारी ने अपने लंबित अवकाश प्रकरण (वर्ष 2022-23) की स्वीकृति हेतु दबाव डाला। सर्विस बुक, जो जिला कार्यालय में सुरक्षित रहनी चाहिए थी, बिना सूचना अपने पास रखी गई और अवकाश का इंद्राज उनके बाबू आलोक पांडेय द्वारा किया गया। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि दस्तावेज अहस्ताक्षरित और अविश्वसनीय थे।
कार्यालय ने इस पर कई बार कारण बताओ पत्र जारी किए, लेकिन अपेक्षित उत्तर नहीं मिला। इसके बाद चेतावनी पत्र भेजा गया। 08 अक्टूबर 2025 को आयोजित जिले स्तरीय समीक्षा बैठक में परियोजना अधिकारी को कार्य के प्रति सजग रहने की सख्त हिदायत दी गई।
डीपीओ ने स्पष्ट किया कि बैठक या किसी अन्य मौके पर किसी भी प्रकार की कमीशन मांग या प्रताड़ना नहीं की गई। 09 अक्टूबर को मीडिया में आई सूचना पूरी तरह निराधार और बदनाम करने की कोशिश के उद्देश्य से फैलाई गई थी।
डीपीओ ने यह भी कहा कि ऐसे आरोप कार्यालय और अधिकारियों की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए बिना आधार के फैलाए जा रहे हैं।