छत्तीसगढ़

CG Textbook Corporation : छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने सुनिश्चित की समय पर और पारदर्शी आपूर्ति…! गड़बड़ी रोकने के लिए वर्तमान मॉडल को बनाए रखा

नए सत्र में किताबें समय पर मिलेंगी

रायपुर, 11 नवंबर। CG Textbook Corporation : छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की 92वीं कार्यकारिणी बैठक में आगामी शैक्षणिक सत्र 2026-27 के लिए स्कूली पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में वर्तमान प्रणाली को जारी रखने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में बिहार मॉडल को अपनाने की चर्चाओं पर विराम लगाते हुए निगम ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ की मौजूदा व्यवस्था पारदर्शी, प्रभावी और भ्रष्टाचार-रोधी है। बैठक का आयोजन निगम अध्यक्ष राजा पांडेय की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग, जनजातीय विभाग, एससीईआरटी, वित्त विभाग, सरकारी प्रेस और समग्र शिक्षा के एमडी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे। बैठक का मुख्य एजेंडा था कि क्या नए शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्यपुस्तक प्रकाशन प्रक्रिया में बदलाव किया जाए या मौजूदा प्रणाली को बनाए रखा जाए। हाल ही में यह चर्चा तेज हुई थी कि छत्तीसगढ़ भी बिहार की तरह नई प्रकाशन प्रक्रिया अपना सकता है, जिसमें प्रकाशक को कागज, मुद्रण और प्रकाशन की पूरी जिम्मेदारी दी जाती। इस संभावना का अध्ययन करने के लिए निगम ने दो टीमों को बिहार, गुजरात और एनसीईआरटी भेजा था।

अध्ययन में पाया बिहार मॉडल में गड़बड़ी

अध्ययन में पाया गया कि बिहार मॉडल में गड़बड़ी की संभावनाएं अधिक हैं। इसमें प्रिंटर-पब्लिशर द्वारा कम किताबें सप्लाई कर पूर्ण भुगतान लेने की शिकायतें सामने आती हैं। वहीं गुजरात मॉडल, जिसे छत्तीसगढ़ पहले से अपनाता रहा है, अधिक पारदर्शी और निगरानी योग्य है। इसमें कागज की आपूर्ति और छपाई का ठेका अलग-अलग दिया जाता है, जिससे जांच और नियंत्रण की प्रक्रिया मजबूत रहती है।

जीपीएस ट्रैकिंग, बारकोडिंग और यू-डाइस लागू

बैठक में जीपीएस ट्रैकिंग, बारकोडिंग और यू-डाइस डेटा आधारित प्रकाशन जैसी तकनीकी व्यवस्थाओं को भी लागू करने के फैसले लिए गए, ताकि वितरण और गुणवत्ता पर पूरी तरह से नजर रखी जा सके। निगम ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ में पाठ्यपुस्तक प्रकाशन में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की संभावनाओं को न्यूनतम करने के लिए मौजूदा प्रणाली सबसे प्रभावी है। राज्य सरकार और निगम दोनों इस व्यवस्था को बनाए रखने और और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस निर्णय से यह साफ हुआ कि आगामी शैक्षणिक वर्ष में बच्चों को समय पर गुणवत्तापूर्ण पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी और प्रकाशन प्रक्रिया पूरी तरह से नियंत्रित और निगरानी योग्य होगी।

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