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CG News: सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने में ही हो सकेगी सरकारी राशि की वसूली: हाईकोर्ट

बिलासपुर। CG News: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त सरकारी स्कूल शिक्षक ने सेवानिवृत्ति के दो साल बाद जारी वसूली नोटिस को अवैध बताया है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी सरकारी कर्मचारी से नेगेटिव बैलेंस की राशि वसूलने के लिए महालेखाकार कार्यालय को सेवानिवृत्ति के छह महीने के भीतर ही कार्रवाई करनी होगी। यदि इस अवधि के बाद वसूली करनी हो तो इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए सिविल अदालत का रुख करना पड़ेगा।

 

CG News: न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा, प्रावधानों के अनुसार, सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली योग्य सरकारी राशि सेवानिवृत्ति के छह महीने के भीतर समायोजित की जानी चाहिए। यदि इस अवधि के भीतर कोई दावा नहीं किया जाता है, तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी के खिलाफ कोई सरकारी दावा बकाया नहीं है। हालांकि, पानी के बिल और मकान किराए की राशि को एक साल के भीतर वसूला जा सकता है। इसके बाद किसी भी वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी।

 

CG News: क्या है मामला

याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने अपने सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाते से नेगेटिव बैलेंस की वसूली को चुनौती दी थी। उन्होंने 31 मई 2008 को राजनांदगांव जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सोमाटोला से सेवानिवृत्ति ली थी। वर्ष 2010 में उन्हें उनके जीपीएफ खाते में 2 लाख 85 हजार 711 रुपये का नेगेटिव बैलेंस होने की जानकारी दी गई, जिसे बाद में 2 लाख 57 हजार 114 रुपये पर संशोधित किया गया। याचिकाकर्ता ने इस वसूली के खिलाफ रिट याचिका दायर की, यह तर्क देते हुए कि यह नियमों का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्य निधि नियम, 1955 और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 का हवाला दिया, जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने के भीतर वसूली की सीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने दावा किया कि सेवानिवृत्ति के दो साल बाद जारी वसूली नोटिस अवैध था और अनुमेय समय सीमा से बाहर था।

 

प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि जीपीएफ खाते में नेगेटिव बैलेंस के कारण वसूली न्यायसंगत थी। अदालत ने पाया कि 2013 में जारी वसूली आदेश नियमों का उल्लंघन था क्योंकि यह छह महीने की वसूली अवधि से अधिक था। अदालत ने फैसला सुनाया कि आगे की कोई भी वसूली कानूनी प्रक्रिया जैसे सिविल मामला दायर करने के बाद ही की जा सकती है।

 

अदालत ने 2013 के आदेश को अवैध करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया और प्रतिवादियों को 45 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता के शेष जीपीएफ और सेवानिवृत्त देयताओं को निपटाने का निर्देश दिया। सरकार को आवश्यकता पड़ने पर कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से वसूली करने का विकल्प दिया गया है।

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