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सीजी शराब घोटाला: डहरिया बोले- लखमा जैसा ईमानदार आदमी नहीं मिलेगाः अरुण साव ने कहा-हर व्यक्ति जानता है कि शराब घोटाला हुआ है, निर्दोष हैं तो साबित करें

रायपुर। CG liquor scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से ED दफ्तर में पूछताछ चल रही हैं। इधर लखमा के समर्थन में कांग्रेस नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं।

पूर्व मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि लखमा जैसा ईमानदार आदमी नहीं मिलेगा। वे आदिवासी हैं, और निर्दोष साबित होंगे। जबकि डिप्टी CM अरुण साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ का हर एक व्यक्ति जानता है कि शराब घोटाला हुआ है।

CG liquor scam: रायपुर के पुजारी पार्क स्थित ED दफ्तर में लखमा के बेटे हरीश कवासी और उनके OSD रहे जयंत देवांगन भी मौजूद हैं। कार्रवाई को लेकर पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि कवासी लखमा बस्तर की मजबूत कड़ी है। आने वाले दिनों में निकाय और पंचायत चुनाव है। और इसी मजबूत कड़ी को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ED की जांच में लखमा खरे उतरेंगे और निर्दोष साबित होंगे।

CG liquor scam: डिप्टी CM बोले- निर्दोष हैं तो साबित करें

इस मामले में डिप्टी सीएम अरुण साव का कहना है कि ED एक केन्द्रीय जांच एजेंसी है, जो भी स्थिति है, वो ED को बताना चाहिए, जो भी जानकारी मांगी जाए उपलब्ध करानी चाहिए। और कवासी लखमा को जांच में सहयोग करना चाहिए।

CG liquor scam: चाहे वह छोटा आदमी हो या बड़ा आदमी हो, एजेंसी समान रूप से जांच करती है। उनके भावनात्मक बातें करने से विषय नहीं बनेगा। जांच के जो तथ्य है, उसे स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। साव ने कहा कि आपको ED ने पूछताछ के लिए बुलाया है तो जांच में सहयोग करें। यदि आप निर्दोष है तो उस तरह की बात कीजिए। ED सभी बातों पर विचार करेगी।

 

CG liquor scam: पूछताछ को लेकर क्या कहा लखमा ने

ED के दफ्तर में पूछताछ के लिए जाने से पहले कवासी लखमा ने कहा मैं निर्दोष हूं, गरीब आदमी हूं, सरकार जानबूझकर फंसा रही है। जो भी मुझे परेशान करेगा ऊपरवाला उसे नहीं छोड़ेगा। लखमा ने आगे कहा घर और गाड़ी से जितने कागजात मिले हैं वो विधानसभा से संबंधित थे। कहीं पर भी कैश और फूटी कौड़ी नहीं मिली। ये लोग सब कुछ कर सकते हैं पर सच को छुपा नहीं सकते।

CG liquor scam: बता दें कि शराब घोटाला मामले में ED को कवासी के खिलाफ सबूत मिले हैं। ED का दावा है कि कवासी अवैध शराब बिक्री पर कमीशन लिया करते थे। जिसके एवज में उन्हें हर महीने 50 लाख रुपए सिंडीकेट द्वारा दिए जाते थे।

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