क्या कोई देश मोटा हुए बिना अमीर बन सकता है? बढ़ते पेट का जीडीपी से कनेक्शन समझिए

नई दिल्ली: जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक ऐसा सवाल उठाया है जिसने सबका ध्यान खींचा है। उन्होंने पूछा- क्या कोई देश मोटा हुए बिना अमीर बन सकता है? दुनिया में जहां बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का मतलब बढ़ता वजन भी है, वहां जापान एक ऐसा अमीर देश है जो दुबला-पतला बना हुआ है। ऐसा कैसे? और क्या दूसरे देश भी ऐसा कर सकते हैं या बढ़ती जीडीपी मतलब बढ़ता पेट ही है?
निखिल कामथ ने एक कड़वे सच के बारे में बहस छेड़ दी है। उनके मुताबिक, अमीर देश मोटे होते हैं और गरीब देश नहीं। मतलब यह है कि अमीर देशों में मोटापे की दर औसतन 55% है। जबकि गरीब देशों में यह लगभग 22% है। लेकिन, जापान के साथ ऐसा नहीं है। जापान ऐसा अमीर देश है जहां मोटापे की दर 5.6% है। उसने इस समस्या का तोड़ निकाल लिया है। वहां के लोग इस मामले में दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में अकेले खड़े हैं।
यह अंतर चौंकाने वाला है। लक्समबर्ग, जिसकी प्रति व्यक्ति GDP $126,598 (लगभग 1.1 करोड़ रुपये) है, वहां मोटापा दर 18.9% है। नॉर्वे भी पीछे नहीं है जहां प्रति व्यक्ति आय $108,439 (करीब 94.65 लाख रुपये) है और मोटापा दर 19.5%। स्विट्जरलैंड में $94,799 (लगभग 82.77 लाख रुपये) GDP प्रति व्यक्ति पर मोटापा दर 12.5% है। यहां तक कि अति-कुशल सिंगापुर भी बढ़ते वजन से नहीं बच सका है। वहां, 14% मोटापा दर और $88,429 GDP प्रति व्यक्ति है। सबसे हैरान करने वाला अमेरिका है। वहां $77,980 की GDP के साथ 42.7% मोटापा दर है जो लगभग आधी आबादी को दर्शाती है।
जापान मोटापे के इस जाल से कैसे बचा?
सबसे पहले, जापान के लोग अलग तरह से खाते हैं। जापानी भोजन में मछली, सब्जियां और फरमेंटेड फूड प्रोडक्ट अधिक होते हैं। डेयरी, मक्खन और मांस कम मात्रा में होते हैं। भोजन की मात्रा कम होती है और उनकी संस्कृति ‘हर हाची बु’ को बढ़ावा देती है। यानी 80% पेट भर जाने पर खाना बंद कर देना। जंक फूड ढूंढना मुश्किल है। सुपरमार्केट में प्रोसेस्ड फूड बहुत कम जगह घेरते हैं और स्कूलों में इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
यह सिर्फ खाने तक सीमित नहीं है। जापान के शहरों को इस तरह बनाया गया है कि लोग पैदल चलें और साइकिल चलाएं। यह उनके दैनिक जीवन का हिस्सा है। उनके पास एक कानून है – मेटाबो लॉ – जिसके तहत कंपनियों को हर साल अपने कर्मचारियों की कमर का माप लेना जरूरी है।
भारत जैसे देशों के लिए क्या सबक?
इस बीच, भारत जैसे देश, जिसकी प्रति व्यक्ति GDP 146वें स्थान पर है और मोटापा दर 7.51% है, देख रहे हैं और सोच रहे हैं: क्या हम मोटे हुए बिना अमीर बन सकते हैं? या जापान बस एक अपवाद है? क्या हम विकास की राह पर चलते हुए अपनी सेहत को भी बरकरार रख सकते हैं?
जापान का उदाहरण हमें प्रेरित करता है कि स्वस्थ जीवनशैली और सही नीतियों के साथ यह संभव है। हमें अपने खानपान पर ध्यान देना होगा। शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा। ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करें। तभी हम जापान की तरह विकास और स्वास्थ्य, दोनों में आगे बढ़ सकेंगे।