रायपुर / कोरबा। स्टेट बार काउंसिल ने काले कोट पहनकर पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं को बड़ी राहत दी है। गर्मी काले कोट की अनिवार्यता को ढील देते हुए अब गर्मी में 1 अप्रैल से लेकर 15 जुलाई तक बिना कोर्ट के अधिवक्ता पक्षकारों की पैरवी कर सकेंगे।
बता दें कि तपा देने वाली गर्मी में भी काले कोट पहनकर न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं के लिए खुशखबरी है। स्टेट बार कौसिंल ऑफ छग ने काला कोट पहनने में छूट दी है, जिससे अधिवक्ताओं को काफी राहत मिलेगी। क्योंकि तेज गर्मी में भी वकीलों को कोट पहनकर न्यायालय में उपस्थित होना पड़ता था। गर्मी के चलते अधिवक्ताओं को परेशानी भी होती थी, जिसके कारण ही स्टेट बार कौसिंल ऑफ छग से अधिवक्ताओं ने राहत दिलाने की मांग रखी थी। इस पर एक अप्रैल से 15 जुलाई तक कोट पहनने में छूट दी गई है।
गर्मी से मिलेगी राहत
ग्रीष्मकालीन के दौरान भी न्यायालय में अधिवक्ताओं को कोट पहनकर उपस्थित होना पड़ता था, लेकिन छूट मिलने से कोट अनिवार्य नहीं है। यानी ग्रीष्मकालीन के दौरान सभी अधिवक्ताओं को गर्मी से काफी राहत मिलेगी। वर्तमान में न्यायालय आने वाले अधिवक्ताओं को ड्रेस कोड के साथ उपस्थित हो रहे हैं। गर्मी बढ़ने से अधिवक्ताओं की परेशानी अभी से बढ़ गई है। जिसके कारण संघ ने गर्मी में काले कोट से छूट की मांग की थी।
एक अप्रैल से हुआ लागू
न्यायालय में अधिवक्ता एक अप्रैल से बगैर काला कोट के ही पैरवी व अन्य कार्य कर सकेंगे। गर्मी को लेकर स्टेट बार कौसिंल आफ छग ने अधिवक्ताओं को 15 जुलाई तक छूट दी है। यानी तपा देने वाली साढ़े तीन महीने की गर्मी में अधिवक्ता न्यायालय में काले कोट पहने नजर नहीं आएंगे। भारतीय विधिज्ञ परिषद दिल्ली द्वारा ड्रेस कोड के संबंध में पारित नियम के अधिन व अधिवक्ता अधिनियम 1961 के नियम अनुसार अधिवक्ताओं को यह छूट दी गई है।
तापमान 40 के करीब पहुंचा
अप्रैल के महीने में ही दिन का तापमान 40 डिग्री पार हो चुका है। गर्मी हर दिन बढ़ रही है। इस महीने के अंत तक अधिकतम तापमान में कम से कम दो डिग्री की बढ़ोतरी और संभावित है। अप्रैल में तो यहां का पारा 42 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में काले कोट के साथ काम कर पानी वकीलों के लिए बहुत ही मुश्किल होता है। स्टेट काउंसिल से दी गई राहत के बाद अधिवक्ताओं को रिलेक्स मिलेगा।