रायपुर

Chhattisgarh Liquor Scam : 88 करोड़ की कमीशनखोरी…! अफसरों ने काली कमाई से खरीदीं करोड़ों की संपत्तियां

रिश्वत से बनाई बेनामी संपत्ति

रायपुर, 10 जुलाई। Chhattisgarh Liquor Scam : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। घोटाले में शामिल 11 आबकारी अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमीशन वसूली की और इस रकम से राज्यभर में चल-अचल संपत्तियां खरीदीं, शेयर बाजार में निवेश किया और बेहिसाब खर्च किया।

चार्जशीट में खुलासा : रिश्वत से बनाई बेनामी संपत्ति

EOW द्वारा पेश की गई चार्जशीट में बताया गया है कि इन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति को छुपाने के लिए रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर दर्जनों जमीन और प्रॉपर्टी खरीदीं। कुछ प्रमुख नाम और उनके काले कारोबार:

  • नवीन प्रताप सिंह तोमर: रायपुर और बलौदाबाजार में 39 खसरों और 3 रजिस्ट्रियों में जमीन खरीदी; संपत्तियां उनके और इंदिरा देवहारी के नाम पर पाई गईं।

  • मंजूश्री कसेर: रायपुर, जांजगीर और गरियाबंद में 25 संपत्तियां, जिनमें अधिकतर रिश्तेदारों और परिचितों के नाम हैं।

  • नोहरसिंह ठाकुर: रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में 5 प्रॉपर्टी, जिनमें करुणा सुधाकर, लवकुश नायक, विजयलाल जाटवर जैसे नामों का उपयोग।

  • प्रमोद नेताम: कोरिया, कोरबा और रायपुर में 6 संपत्तियां खरीदीं।

शेयर और बॉन्ड में भी निवेश

कुछ अधिकारियों ने शेयर और बॉन्ड में भी काली कमाई छिपाई:

  • दिनकर वासनिक ने अपनी अवैध आय को छुपाने के लिए IOC के शेयरों में निवेश किया।

  • अन्य अधिकारी जैसे इकबाल अहमद खान, मोहित जायसवाल, विजय सेन शर्मा, नीतिन खंडूजा और अरविंद पटले ने भी अलग-अलग जिलों में संपत्तियां खरीदीं, जिनके दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं।

कांग्रेस भवन भी घोटाले की रकम से बना?

चार्जशीट में यह भी उल्लेख है कि कवासी लखमा के माध्यम से कांग्रेस भवन का निर्माण भी अवैध शराब की कमाई से किया गया, जिसे बाद में जांच के बाद सील कर जब्त कर लिया गया।

कोरोना काल बना बहाना, शराब बिक्री को दोगुना बढ़ाया गया

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल में शराब की बिक्री जानबूझकर दोगुनी की गई। यह पूरी रची-बसी रणनीति थी, जिसमें राज्यभर के आबकारी अधिकारी और कांग्रेस शासन के शीर्ष पदाधिकारी शामिल थे। कमीशन की वसूली रायपुर से लेकर दिल्ली तक भेजी जाती रही।

जांच जारी, और नाम सामने आने की संभावना

EOW सूत्रों के अनुसार, 31 अधिकारियों को कमीशन का बंटवारा किया गया था। चार्जशीट में सभी के हिस्से और लेन-देन का ब्यौरा शामिल है। जांच अभी जारी है और और भी बड़े नामों के सामने आने की संभावना है। यह घोटाला न सिर्फ वित्तीय भ्रष्टाचार, बल्कि छत्तीसगढ़ की जनता के साथ किया गया विश्वासघात है।

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