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KORBA : आदर्श गांव भिलाई खुर्द के विकास से मुकरने से नाराज पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने एसईसीएल के सीएमडी हरीश दुहन को लिखा पत्र, याद दिलाया वादा

कलेक्टर और मानिकपुर कोरबा के महाप्रबंधक को भी दी गई कॉपी

कोरबा। कोरबा-चांपा रोड पर बसे आदर्श गांव भिलाई खुर्द गांव को गोद लेकर उसके विकास के वादे से मुकरने और गांववालों को मुश्किलों में छोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने नाराजगी जताते हुए एसईसीएल के सीएमडी हरीश दुहन को एक पत्र लिखा, जिसमें कोरबा कलेक्टर और मानिकपुर कोरबा के महाप्रबंधक को भी कॉपी दी गई है। पत्र में मांग की गई है कि गांववालों की परेशानियों को देखते हुए जल्द से जल्द सही कदम उठाए जाएं।

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एसईसीएल के सीएमडी को लिखे पत्र में बताया गया है कि भिलाई खुर्द गांव के पास से गुजरने वाला कचंदी नाला गांववालों के लिए बहुत जरूरी था। लोग उसका पानी रोजमर्रा के कामों के लिए इस्तेमाल करते थे और उससे सब्जी की खेती करके अपनी आजीविका चलाते थे। लेकिन 2012-13 में एसईसीएल मानिकपुर कोरबा प्रबंधन ने मानिकपुर खदान को बढ़ाने की योजना बनाई, जिसमें कचंदी नाला रास्ते में आ रहा था। इसके लिए नाले का रास्ता बदलने का फैसला लिया गया।

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जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में आगे लिखा कि उनके विधायकी कार्यकाल में उस समय मानिकपुर के एसईसीएल महाप्रबंधक ने खदान क्षेत्र के किसी एक गांव को गोद लेकर आदर्श गांव बनाने के लिए सुझाव मांगा था। जयसिंह ने भिलाई खुर्द गांव का नाम सुझाया। इसके बाद मानिकपुर प्रबंधन ने जयसिंह अग्रवाल और तत्कालीन कार्मिक प्रबंधक अनिल कुमार की मौजूदगी में गांववालों की एक बैठक की।

जिसमें प्रबंधन ने ऐलान किया कि भिलाई खुर्द को गोद लिया जाएगा और उसे आदर्श गांव बनाया जाएगा। गांव में सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं, स्कूल और मनोरंजन के लिए पार्क जैसी सुविधाएं देने का वादा किया गया। प्रबंधन ने यह भी कहा कि खदान विस्तार के लिए कचंदी नाले का रास्ता बदला जाएगा, लेकिन इससे गांववालों को कोई परेशानी नहीं होगी और सारी व्यवस्था प्रबंधन करेगा। लेकिन, हकीकत यह है कि प्रशासन की मदद से नाले का रास्ता जबरन बदल दिया गया और इसके बाद मानिकपुर प्रबंधन अपने वादों से मुकर गया। भिलाई खुर्द के लोग अब मुश्किल जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

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पत्र में यह भी कहा गया कि प्रबंधन ने गांव में एक बड़ा तालाब बनाने और खदान के पानी से जलापूर्ति का वादा किया था। एक छोटा तालाब बनाया भी गया, लेकिन उसमें बारिश के पानी के अलावा कभी पानी नहीं भरा गया। तालाब में सिर्फ फ्लाई ऐश डाला जा रहा है, जबकि उसमें ओवरबर्डन मिट्टी मिलानी चाहिए थी। पानी का छिड़काव भी नहीं हो रहा, जिससे गांववाले फ्लाई ऐश की धूल से परेशान हैं। पानी की जरूरतों के लिए उन्हें दूर हसदेव नदी पर जाना पड़ता है।

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