Advice or Warning : शहर में बवाल और खाकी की सुस्त चाल, 22 से करा रहे काम और ठेकेदार वसूल रहे 90 का दाम…रिमझिम बौछार में भी करोड़ों की बिल्डिंग से बह रही पानी की धार, कितनी बदल गई भाजपा…
शहर में बवाल और खाकी की सुस्त चाल..

Advice or Warning : शहर के हृदय स्थल में मचे बवाल और खाकी की सुस्त चाल पर गणमान्य लोगों के बीच बहस छिड़ गई है। जनमानस तो जिले की पुलिसिंग पर कटाक्ष कर रहे हैं “अंधेर नगरी चौपट राजा ” की शैली पर पुलिसिंग हो रही है। पुलिस के जांबाज भी आपस में खुसुर फुसर करते हुए पूर्व कप्तान के कार्यों को याद करते हुए कह रहे एक वो दौर था जब सोशल मीडिया में वायरल वीडियो के आधार पर प्रकरण दर्ज कर आरोपितों को दबोच लिया जाता था और एक ये दौर है सरेराह अवैध कार्य में संलिप्त लोग वर्दीधारियों को आंखे दिखा रहे है। इससे यह मानने में अतिश्योक्ति नहीं है कि अपराध जगत के लोग हर रात बवाल मचा रहे हैं और पुलिस की सुस्त चाल से आम लोग परेशान है।
बात वन नाइट क्लब के बाहर हुए मनोरम दृश्य का है पुलिस की समझाइश पर युवती की दुस्साहस देखकर शहरवासी हतप्रभ है, क्योंकि ये पहली बार है जब महिला नशे में टुल्ल होकर पुलिस को लताड़ रही हो। इसके बाद भी कोरबा पुलिस को दो दिन लग गए अपराध दर्ज करने करने में वो भी दिखावे के लिए मात्र प्रतिबंधात्मक। पुलिस की सुस्त कार्यशैली ने जनमानस की आशाओं पर तुषारापात कर दिया है। घटना एक बार की हो तो विभागीय चूक समझ में आती है लेकिन यहां तो हर दो दिन बवाल और बिगड़ैल युवा धमाल मचा रहे है।
कटघोरा की बात करें तो थानेदार साहब को तो अपराध दर्ज करने के काल्पनिक शिकायत का इंतजार है। अब उन्हें कौन बताए कि पुलिस तो ज्यादार कार्यवाही संदेह के आधार पर ही करती है। खैर साहब की इसमें कोई गलती नही है क्योंकि वर्तमान सरकार मे कोई किसी की सुन नही रहा तो कप्तान साहब करें क्या। हर बार क्राइम मीटिंग में लॉ एंड ऑर्डर पर लंबी चर्चा होती है लेकिन फील्ड मे नजर कहीं नही आती। सो अफसर करे तो करें क्या..! स्वयं तो फील्ड सम्भाल नही सकते लिहाजा सिर्फ निर्देश से काम चला रहे है, और रही बात जनमानस भड़ास की तो कुछ तो लोग कहेंगे। इस बात को गीतकार पहले ही..”कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना ” गुनगुना कर सिद्ध कर दिया है। सो जब तक पोस्टिंग है अपने विजन और स्वयं के रीजन के लिए काम करते रहना है।
22 से करा रहे काम और ठेकेदार वसूल रहे 90 का दाम
निगम क्षेत्र में सफाई ठेकेदार 22 सफाई कर्मियो से सफाई कराकर 90 कर्मचारियो का दाम वसूल रहा है। शहर की सफाई व्यवस्था के जानकार तो “शैय्या भय कोतवाल तो डर काहे का” कहते हुए निगम की सफाई पर तंज कस रहे है।
दरअसल सफाई के काम में नेता अफसर और ठेकेदार का संगठित गिरोह काम कर रहा है जो गिनती के सफाई कर्मियों से काम कराकर लाखों के का बिल बनाकर जनता के टैक्स को उड़ा रहे है। सूत्रधार की माने तो सफाई ठेकेदार महादेव सट्टा ऐप की तरह खाता किराए लेकर निगम की तिजोरी को खाली कर रहे है।
सूत्र बताते है कि सफाई कर्मियों की उपस्थिति निष्ठा ऐप से ऑनलाइन लगती है। सो ठेकेदार किराए के खातेदारो का फोटो क्लिक कर सफाई कर्मी शो करते हैं और किराए के खातेदारो के खाते मे मजदूरी भुगतान भी । जिससे जांच हो तो ऑनलाइन होने का गाना गाकर बचा जा सके। निगम के जानकारो की माने तो सफाई कर्मी बनने वाले किरायेदारो को महीने मे किराया स्वरूप कुछ प्रोत्साहन राशि देकर ठेकेदार उपकार करते है। भला हो उस साहब का जो सफाई कर्मियों की गिनती करा दी तो पता चला 90 में सिर्फ 22 काम पर बाकी तो रिकॉर्ड में है।
गड़बड़ी पकड़ी गई तो एक कर्मचारी उल्टा चोर कोतवाल को डांटते हुए साहब की शिकायत करने पहुंच गए। जिससे साहब के ड्यूटी को दबाव बनाकर बदला जा सके। इस पटकथा के पिछे सफाई वाले साहब भी किरदार निभा रहे थे। हालांकि ठेकेदार की मंशा पूरी नही हो पाई लेकिन जिस तरीके से संगठित गिरोह सफाई के काम को कर रहा उससे निगम क्षेत्र के जनता और सेंट्रल टीम के आगे शर्मशार होना पड़ रहा है। रही बात पब्लिक की तो वो कहे भी क्या बस बीच बीच में ..”ये पब्लिक है जो सब जानती है ” का गाना सुनकर अफसरो का सीआर लिखती है लेकिन सत्ताधारी दल को भी भोगना पड़ता है।
रिमझिम बौछार में भी करोड़ों की बिल्डिंग से बह रही पानी की धार
बारिश की बौछार से गरीबों के घर में पानी का धार बहना तो आम बात है,लेकिन करोड़ों के बिल्डिंग से पानी की धार बहना आम बात नही है। वन विभाग के ऐसे ही एक बिल्डिंग की दुर्दशा को देखकर आम जनमानस में भ्रष्टाचार के जांच की मांग एक बार फिर उठने लगी है।
कहते हैं ” सच्चाई छुप नहीं सकती, बनावट के उसूलों से
कि खुशबू आ नहीं सकती, कभी कागज़ के फूलों से” तो वन विभाग के करोड़ों का भ्रष्टाचार कैसे छुप सकता है।
दरअसल पिछले सप्ताह हुए बारिश ने फॉरेस्ट डिवीजन के बिल्डिंग में हुए उन्नयन कार्य की पोल खोल कर दी। बारिश से बिल्डिंग से इस कदर पानी की धार बहने लगी कि बैठने के लिए कर्मचारियों अपना काम बंद करना पड़ा। कहा तो यह भी जा रहा है कि बहते पानी की धार को समाचार न बनने देने लिए पूर्व डीएफओ ने विशेष रूप विशेष व्यवस्था की ताकि भ्रष्टाचार का धुआं बाहर निकल न जाये। कहा तो यह भी जा रहा कि उन्नयन कार्य के लिए महंगे आइटम महज इसलिए लगाए गए है क्योंकि कार्यालय की बाहरी सुंदरता देख कोई लागत न पूछे और प्रॉफिट पर चार गुना बढ़ जाए। हुआ भी यही पूर्व डीएफओ ने कार्यालय को शीशमहल बनाकर ठेकेदार को उपकृत किया। डिवीजन कार्यालय में बहे पानी के धार की खबर अपने माउथ पब्लिसिटी का हिस्सा बन गई है । जनमानस आश्चर्यचकित होकर कहने लगे है रिमझिम बौछार और करोड़ों के बिल्डिंग से निकली पानी की धार पर जांच की मांग कर रहे है।
कितनी बदल गई भाजपा
2014 के बाद बीजेपी बदलाव से गुजर ही है, 75+ के नेता मार्गदर्शक मंडल में भेजे जा रहे हैं। लेकिन, पार्टी शिष्टाचार पालन करना नहीं भूली। सीनियर नेता भले ही मार्गदर्शक मंडल में शामिल हुए मगर पार्टी में उनके योगदान को सम्मान दिया जाता रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा में जो कुछ दिखा वो दिल दुखाने के साथ हैरान करने वाला भी था।
एक तस्वीर इस वक्त सुर्खियों में बनी हुई है। ये तस्वीर उस वक्त की है जब छत्तीसगढ़ के सबसे वरिष्ठ भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता, सात बार के जनसंघ और भाजपा के विधायक, 1977 में मध्यप्रदेश के सबसे युवा संसदीय सचिव, अखण्ड मध्यप्रदेश के केबिनेट मंत्री, छत्तीसगढ़ के विभिन्न विभागों के कैबिनेट मंत्री और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर (84 वर्ष) ने छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल रमेन डेका से कोरबा प्रवास के दौरान भेंट करने पहुंचे थे।
इस तस्वीर में सोफे पर बैठे हुए महामहिम राज्यपाल रमेन डेका (71 वर्ष) और कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत के सामने पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर खड़े नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया में इस तस्वीर को शेयर कर लोग..ये है नई भाजपा टैगलाइन के साथ शेयर कर रहे हैं। हालांकि राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से भेंट करने वाले मुलाकातियों के लिए डेकोरम तय है..मगर सीनियरिटी का सम्मान ना हो ये हैरान करने वाली है वो भी जब उसी पार्टी का पूर्व मंत्री हाथ बांधे सामने खड़ा हो!
नसीहत या वार्निंग
पिछले सप्ताह मैनपाट में हुए बीजेपी के चिंतन शिविर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा मंत्रियों-विधायकों और सांसदों को पार्टी लाइन में दो टूक नसीहत दे डाली, पहली तो ये कि भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं आनी चाहिए, दूसरी ये कि वे स्थानीय लोगों के साथ अपना व्यवहार और शिष्टाचार बनाकर रखें।
अंदरखाने में नड्डा जब ये नसीहत दे रहे थे कुछ मंत्रियों की बॉडी लेंग्वेज पर देखने लायक थी, जिसकी चर्चा अब दबी जुबान में बाहर आने लगी है। बीजेपी के लोग भी इसकी मौज लेने लगे हैं। असल में बिलासपुर और सरगुजा संभाग के कुछ मंत्रियों की शिकायत संगठन के पास आई थी, जिसमें कार्यकर्ता मंत्रियों के बहीखाता का हिसाब लेकर पहुंचे थे।
अब चर्चा है कि विधानसभा के मानूसन सत्र के बाद कैबिनेट के कार्यों की समीक्षा होनी है। सरकार बने डेढ़ साल से ज्यादा हो चुका है और अपोजिशन की चुनाव की तैयारी शुरु हो गई, तो सरकार बाकी के साढ़े तीन साल बिना किसी विवाद के पूरे हो, इसके लिए पार्टी पूरी तरह से गंभीर मुद्रा में है। अभी सरकार में मंत्री के तीन पद खाली हैं..विधानसभा सत्र के बाद अगस्त तक इन पदों को भरने का फैसला लिया जाना है।
खबरीलाल की मानें तो कैबिनेट विस्तार के साथ संभावित फेरबदल भी हो सकता है। यानि जिन मंत्रियों की शिकायत आ रही है, उन्हें बदला जा सकता है। चिंतन शिविर के बाद ये मंत्री इसी की चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। अब जेपी नड्डा की वार्निंग का कितना असर इन मंत्रियों पर होता है ये देखने वाली बात होगी।
✍️अनिल द्विवेदी ,ईश्वर चन्द्रा