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Police captain and: पुलिस और डीजल, आंखों से सुरमा नही ..खोदा पहाड़ निकली चुहिया,आग राख और उस्ताद.आईपीएस की एक और सूची

🔶पुलिस और डीजल, आंखों से सुरमा नही..

पुलिस और डीजल की बात तो कोयलांचल में होते रही है लेकिन यह पहली बार है जब में पुलिस के डीजल वितरण को लेकर संभाग में बवाल मचा हुआ है।

पुलिस के चाणक्य अभिनेता राजकुमार के संवाद ” हम आंखों से सुरमा ही नही निकालते बल्कि आंखे ही चुरा लेते है.. की फ़िल्मी पंच लाइन को आगे बढ़ाते कह रहे है कि हम एसईसीएल से डीजल ही नही चोरी कराते बल्कि पुलिस लाइन से भी डीजल गयाब करवा देते है।

वैसे तो उर्जाधानी में खाकी के खिलाड़ियों का कबाड़ से जुगाड़, डीजल का कारोबार जैसे आंखों से सुरमा चुराने का काम तो चलते ही रहता है,लेकिन लाइन में बैठकर सुरमा नही आंखे ही चुराना बड़े हिम्मत वालो की बात है।

बात पुलिस लाइन से होने वाले डीजल वितरण में गोल माल की है। वितरण इंचार्ज ने बंद पड़ी सरकारी गाड़ियों को डीजल पिलाकर ऐसा खेल खेला की अब यह संभाग के अफसरो के रोचक विषय बन गया है। बने भी क्यों न क्योंकि मामला है भी आश्चर्य चकित करने वाला।

सूत्र बताते है कि डीजल गोल मॉल के खेल में उच्च अफसरों को मिली गोपनीय शिकायत के बाद जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच के लिए सौंपा गया था। मामले की जांच में डीजल का गोल मॉल तो सिद्द हुआ ,लेकिन त्रुटि का अंदेशा होने के बाद जांच मुख्यालय डीएसपी के पास है और डीजल वितरण करने वाले साहब कार्यालय के चक्कर लगाकर जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे है। सूत्रों की माने तो डीजल वितरण में जिस तरीके से धांधली हुई है वो दो चार हजार लीटर का नही वरन लाखो लीटर का है। तभी तो जांच को निष्पक्ष कराने जांच के ऊपर जांच कराई जा रही है। बहरहाल डीजल घोटाले का समाचार वायरल होने के बाद जनमानस में खुसफुसाहट है कि पुलिस और डीजल के खेल में चोली दामन का साथ है जो यहाँ नही तो वहां होते रहेगा।

🔶पुलिस कप्तान और उनका नेचर…

“इतनी बदलियों के बाद भी हम नही बदले ह हा ”  पुलिस के किरदार में असरानी का यह संवाद किस फ़िल्म का है यह बताने की जरूरत नही है क्योकि फिल्में भी समाज का ही हिस्सा होती है जो घटनाएं घटती है उसे फिल्माया जाता है। हम स्वभावतः ऐसे ही पुलिस अफसर  की बात कर रहे है, जिनको यह लगता है कि कुछ नही बदले लेकिन उनके बदलते रूपों को न केवल लोगो ने बल्कि उनके आला अफसर ने भी देखा तभी तो डीजीपी को भरे बैठक में कहना पड़ा कि लंबे समय बाद जिले में कप्तानी संभाल रहे पुलिस कप्तान का नेचर अभी बदला नही है।

दरअसल ये वही कप्तान है जो पूर्वर्तीय सरकार में काले हीरे की चोरी समय मशूहर हुए थे। सरकार की किरकिरी हुई तो उन्हें बार्डर में तैनात किया गया। सरकार बदलते बदलते लूप लाइन में बैठकर मुसाफिर हूँ यारो.. का तराना छेड़ने लगे थे। सूत्रधारों की माने तो कोल लेवी में ईडी के चार्जशीट में साहेब भी नामजद है , बाउजूद इसके तत्कालीन सरकार में ऐसा खेल खेला की उन्हें फिर से फ्रंट लाइन खेलने के लिए जिला में बैठा दिया गया। पोस्टिंग के बाद सरकार के खास लोगो मे खुसुर फुसुर होने लगी और कहने लगे भैया साहब तो निकले विलक्षण प्रतिभा के धनी.! तभी तो काले हीरे के कारण बदनाम होने के बाद भी उन्हें पोस्टिंग मिल गई। विभाग के उच्च अधिकारी कहने लगे पोस्टिंग तो मिला है लेकिन उनका नेचर कहाँ बदलेगा,क्योकि नेचर और सिग्नेचर कभी नही बदलता। हुआ भी यही जैसे ही पोस्टिंग मिली वैसे ही पुराने साथी को बुलाकर घूमने लगे। बात जब हाईकमान तक पहुंची तो उच्च अफसरो ने बैठक में कहा कि बिना आदेश के किसी को बुलाकर जिले में बैठना तो कोई भागवत वाले साहब से सीखें..!

🔶पॉवर कंपनी में सुशासन…आग राख और उस्ताद

 

जली को आग और बुझी को राख कहते हैं और इस राख से जो करोड़ों का खेल कर जाए उसे उस्ताद कहते हैं..अब तो आप समझ ही गए होंगे। जी हां ये डायलॉग मूवी विश्वनाथ का नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी कोरबा का है, जहां अगले माह नए एमडी की नियुक्ति होने वाली है।

असल में उत्पादन कंपनी ​के मौजूदा एमडी संजीव कुमार कटारिया का कार्यकाल 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है और नए एमडी की तलाश तेज हो गई है। एमडी की दौड़ में करीब आधा दर्जन नाम शामिल हैं। इस दौड़ में कटारिया भी बने हुए हैं। विभाग में एक्सटेंशन दिलाने वाली लॉबी उनके लिए एक्टिव हो चुकी है।

मगर खबरीलाल की मानें तो कटारिया अपने कार्यकाल में एसईसीएल मानिकपुर की बंद खदान में डैम से निकला 23 हजार 666 क्यूबिक मीटर राख का जो पहाड़ छोड़ आए वो उनके लिए भारी पड़ सकता है। इस मामले की शिकायत रायपुर से लेकर पीएमओ तक पहुंची है।

वैसे तो राज्य में ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है जिसमें सुशासन लागू है उस पर तेजतर्रार आईएएस डॉ. रोहित यादव सचिव की जिम्मेदारी संभाले बैठे हैं….ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार राख का खेल तो नहीं चलेगा..और क्वालिटी फुल परफॉर्मेंस वाले अफसर को मौका मिल सकता है। ऐसे में सरकार जनरेशन कंपनी का अगला एमडी किसे बनाने जा रही है इसके लिए दिसंबर लास्ट तक इंतजार करना होगा।

🔶डीजीपी की क्लास के बाद आईपीएस की एक और सूची

 

 

प्रदेश सरकार पिछला एक साल यहां के अफसरों को नई सरकार की मंशा के अनुरूप तालमेल बैठाकर काम करने की सलाह देने में गुजर गया। रेवेन्यू, लैंड रिकार्ड और वो विभाग जिनमें मैदानी अफसरों की मौका रिपोर्ट के बिना फाइल आगे नहीं बढ़ती सबसे ज्यादा करप्शन के मामले दर्ज हुए। कई पुलिस वालों को भी लाइन अटैच होना पड़ा।

प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में डीजीपी का महकमें के अफसरों से दो टूक जवाब मांगने से ​किसी का अचरज नहीं हुआ। पिछले सप्ताह डीजीपी अशोक जुनेजा ने आईजी और एसपी की बैठक लेकर जवाब तलब ​किया। असल में सरहदी जिले जो शांत माने जाते थे वहां क्राइम का ग्राफ एकाएक बढ़ा है और वहां की पुलिस इसे रोकपाने में पुअर साबित हुई। इसी बात को लेकर वहां के एसपी से जवाब मांगा गया।

बैठक में बलरामपुर, सूरजपुर और कवर्धा जैसे सरहदी जिलों में क्राइम ग्राफ को लेकर डीजीपी की नाराजगी सामने आई। सूत्रों की मानें तो इसी सप्ताह आईपीएस अफसरों की एक और तबादला सूची जारी तैयार हो चुकी है और कुछ जिलों के एसपी को बदला जा सकता है।

🔶खनिज विभाग का छापा,खोदा पहाड़ निकली चुहिया

खोदा पहाड़ निकली चुहिया के मुहावरे खनिज विभाग के छापे पर फिट बैठ रहा है।

दरअसल एसीसी बैच मिक्स प्लांट में अवैध रेत तस्करो पर सुबह सुबह हुई कार्रवाई पर अब सवाल उठने लगा है। रेत पकड़ने के बहाने हाई प्रोफाइल सेटिंग की बात भी सुर्खियां बटोर रही है। माइनिंग की टीम ने बड़े डेयरिंग से गाड़ियां रोकी, जब्त गाड़ियों में नोटिस चस्पा किया और रेत चोरी पर अंकुश लगाने की बात करते हुए माहौल(₹) बनाने का प्रयास किया। रेत लोड गाड़ियां जब्त हुई तो तस्कर अफसरो को टशन भी दिखाने लगे। जब पॉवर दिखाने और दबाव बनाने में कामयाब नही हुए तो अनुनय विनय के टोकन मनी कटाकर गाड़ियां छुड़ा ले गए। सूत्रधार की माने तो जब्त टिपर पर सिर्फ 7 सौ का जुर्माना लगाया गया। जो अपने अपने हास्यपद है। कहा तो यह भी खनिज अफसर कहीं पे निगाहे कंही पर निशाना के तहत ये कार्रवाई की है क्योंकि एसीसी बैच मिक्स प्लांट रेत तस्करी का सबसे बड़ा और सुरक्षित ठिकाना बन गया है। ऐसे में माइनिंग विभाग को अपना जलवा कायम रखने के लिए कार्रवाई जरूरी थी। विभाग की कार्रवाई को लेकर जनमानस कहने लगे है ये तो वही बात हुई, सांप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी..!

  ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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