Inside talk : जो हकदार है वही बनेगा थानेदार,दो गज जमीन की कीमत तुम क्या जानो “इंजीनियर बाबू”..एंटी इनकंबेंसी का डर,सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो..
Inside talk : ” सुपर”30 के ऋतिक रोशन का फेमस संवाद अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा जो हकदार है वही राजा बनेगा। इस पंच लाइन को आगे बढ़ाते एसपी ने विभाग को संदेश देते हुए कहा है अब निरीक्षक ही थानेदार नहीं,जो असली हकदार है थानेदार वही बनेगा।
बात कोयलांचल के थाने की है। साहब ने एसआई को थाना देकर विभाग के बोल बच्चन टाइप के थानेदारों को कड़े शब्दों में संदेश दिया है कि जो योग्य है उसे सम्मान मिलेगा और ताली बजाकर अभिनंदन भी किया जाएगा। हालांकि ये पहला अवसर नहीं है जब बड़ा थाना कहे जाने वाले दीपका की कमान एसआई को मिली हो। इससे पहले 2014 में भी कड़क कप्तान रहे पी सुंदरराज ने एसआई सोनल ग्वाला को थानेदार बनाया था। जिन्होंने कप्तान के विश्वास पर खरा उतरते हुए शानदार तरीके से थाना चलाया था। सो यह दूसरा अवसर है जब एसआई को कोयलांचल का थाना प्रभारी बनाया गया है।
वैसे तो दीपका अपने आप में मिनी हिंदुस्तान है जहां देश के कोने कोने के लोग रहकर गुजर बसर करते हैं। यही वजह है दीपका एरिया में सबसे ज्यादा क्राइम भी होता है… । साल में एक दो बार तो गोली चलना आम बात है। लूट तो पूछिये मत.. कोयला डीजल से लेकर हर तरह की लूट कोयलांचल में होती है। सो इन तमाम अनैतिक गतिविधियों के बाद भी दीपका में बिना दाग के थानेदारी कर “पुलिस सेवा के लिए” वाली छवि बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।
मतलब स्पष्ट है काजल की कोठरी में बिना दाग के दमदारी से थानेदारी करना जिगरा वाली बात है। ये बात भी सच है कोई मौका पाकर निखर जाता है और कोई बिखर जाता है। सो पुलिस के पंडित कहने लगे हैं कि प्रेम तो वैसे ही प्रेम से अपराधियों से निपटते हैं और अपनों पर अन्याय नहीं होने देते। सो दीपका में दमदार थानेदार के रूप में उनका नाम रहेगा या वे भी विभाग के शकुनि कर्मियों के षडयंत्र का शिकार हो जाते हैं ये तो नए थानेदार के सोच पर निहित है क्योंकि सोच से बड़ा कोई हथियार नहीं होता..!
🔶 दो गज जमीन की कीमत तुम क्या जानो “इंजीनियर बाबू”
फेमस संवाद एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू.. को अपग्रेड करते हुए जनमानस निगम अफसर पर तंज कसते हुए कहने लगे हैं “दो गज जमीन की कीमत तुम क्या जानो इंजीनियर बाबू..! “
दरअसल टीपी नगर के गायत्री मंदिर से अनमोल मोटर्स तक बनने वाले नाली निर्माण में निगम के इंजीनियर की दूरदर्शी सोच ने पब्लिक के मन में सवाल खड़ा कर दिया है। क्योंकि मुख्य मार्ग दुकानों के किनारे बन रहे नाली को सुविधा अनुसार सड़क में बनाया जा रहा है। जिससे पूर्व में बनी नाली पर दुकानदार कब्जा कर सके। लोग देख रहे हैं कि दुकान से 4 से 6 फीट छोड़कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इस तरह से करोड़ों की जमीन पर दुकानदारों को इंजीनियर नजराना लेकर कब्जा करा रहे हैं।
नाली को ढककर समान सजाने के लिए जगह अलग से उपलब्ध करा रहे हैं। टीपी नगर में वैसे ही सड़के पहले से सकरी है सो ट्रैफिक की समस्या से हर रोज राहगीरों को दो दो हाथ करना पड़ता है। अब ऊपर से नाली को सड़क में बनाकर सड़के सकरी करने की स्क्रिप्ट लिखते हुए निगम अफसर नया घोटाला कर रहे हैं। ये सब हो रहा है भाजपा और कांग्रेस नेताओं की आंखों के सामने।
बावजूद इसके मजाल है कोई खद्दरधारी नेता निगम के फिजूल कार्यों पर सवाल उठाए। निगम की नीति और नेताओं रीति को समझते हुए जनमानस कहने लगी है सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं..! निगम के इंजीनियरों की कलाकारी को समझने वाले कहने लगे हैं दो गज जमीन की कीमत तुम क्या जानो इंजीनियर बाबू..!
🔶सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो..
80 के दशक में आई फ़िल्म “रास्ते प्यार के” का गीत “सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो, तुम याद बहुत आते हो ” विद्युत वितरण विभाग के अधिकारियों पर सटीक बैठता है। क्योंकि, पॉवर सिटी के नाम से मशहूर ऊर्जाधानी बत्ती गुल के नाम से भी मशहूर हो गई है। बिना किसी सूचना के बत्ती गोल कर करंट के झटके आम लोगों को दिया जा रहा है। बारिश हो या भीषण गर्मी, दिन में भी उपभोक्ताओं को पॉवर कट का भय रहता है और रात कैसे कटती है ये तो सारा शहर जानता है।
ये अलग बात है कि बिजली विभाग के अधिकारी एससी दफ्तर में बैठकर लोगों की मुसीबत पर मंद मुस्कान बिखरते हुए ड्यूटी बजा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है लाइन मेन्टेन्स के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं को रुलाया जा रहा है। विद्युत तार से निर्बाध करंट प्रवाह हो इसके लिए ऋतु परिवर्तन होने के पहले लाइन के रखरखाव पर बिजली बंद, फिर बरसात शुरू होने के पहले लाइन मेन्टेन्स और तो और बिजली की खपत बढ़ने पर भी मरम्मत ..विभाग का पुराना खेल है!
अगर 24 घंटे में 22 घण्टे बिजली आपूर्ति हो रही बाकी दो घंटे किसी न किसी बहाने से बिजली गुल की जा रही है। अब बात अगर बिजली बिल की करें तो बिल के फंडे में बड़ा गोल है। पहले 100 वॉट का बल्ब जलता था और अब 15 वॉट की एलईडी लेकिन फिर भी बिजली बिल पहले से 4 गुना। मतलब बिना बिजली के लोगों को करंट लगा रहे हैं। वितरण विभाग के कारनामे को लेकर नाराज शहरवासी तंज कसते हुए कह रहे है “बिल थमा रहे है जोड़ जोड़ के, और बिजली सप्लाई कर रहे है छोड़ छोड़ के..!
🔶एंटी इनकंबेंसी का डर
सरकार सूबे में दिसंबर के तीसरे सप्ताह में नगरीय निकाय चुनाव कराने की तैयारी में है। निर्वाचन आयोग की तैयारी भी पूरी हो चुकी है। विभाग के मंत्री सरकार की मंशा स्पष्ट कर चुके हैं। राज्य स्थापना दिवस के बाद चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी। सरकार के मंत्री नेता धड़ाधड़ विकास कार्यों का शिलान्यास कर रहे हैं।
सरकार की तैयारी देख पक्ष और विपक्ष में बैठे पार्षद और महापौर को सरकार को कोसने लगे हैं। पिछली सरकार में पांच वर्ष तक सबने मिलकर खीर खाई और चुनाव के समय जनता उनसे सवाल पूछेगी।
इनको ज़बरदस्त एंटी इनकंबेंसी डर सता रहा है। सबसे बुरी हालत उन पार्षदों की हो रही जिनके वार्ड पिछले चुनाव में की नगरीय निकाय की सीमा में शामिल हुए थे। काम तो हुए नहीं अब दोबारा चुनाव सिर पर आ गए। गांव से वार्ड बने इलाकों में लोग हिसाब लगाकर बैठे हैं।
🔶अंदर की बात
सीएम विष्णुदेव साय आज दिल्ली में हैं,जहां वे नक्सल प्रभावित राज्यों के सीएम और अफसरों के साथ गृहमंत्री की होने वाली बैठक में शामिल होंगे। सीएम के दिल्ली जाते ही राजधानी में निगम मंडलों में नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार की कानाफूसी फिर से शुरु हो गई। ऐसा स्वाभाविक भी है..पिछली बार जब सीएम दिल्ली गए थे तो वापस आते ही आयोग में नियुक्ति के आदेश जारी हो गए थे, उससे पहले सीएम दिल्ली से लौट कर प्राधिकरण में उपाध्यक्ष के आदेश जारी कर चुके हैं।
तो इस बार भी बीजेपी के विधायक मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन नेताओं को निगम मंडल में नियुक्ति की उम्मीद बढ़ गई है। बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में इसी बात की चर्चा हो रही है…इस दिवाली पर किसकी लाटरी लगने वाली है…लालबत्ती किसे मिलने वाली है। लेकिन, अंदरखाने में कुछ और बात सामने आ रही है। झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में मंत्री विधायकों को जिम्मेदारी देकर पार्टी ने उन्हें काम पर लगा दिया है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार फिलहाल इन चुनाव के बाद ही होने की उम्मीद है।
रही बात निगम मंडलों की नियुक्ति तो पार्टी ने उसका रास्ता पहले ही तैयार कर लिया है..जिन्हें लालबत्ती चाहिए वो पहले अपना सदस्यता अभियान पूरा करें..फिर उन पर विचार किया जाएगा। फिलहाल इस बार ठंड के 4 महीने पार्टी नेताओं को पसीने बहाते ही गुजारना होगा…जो जितना पसीना बहाएगा..उसी हिसाब से लालबत्ती तय की जाएगी..। वैसे भी राजनीति में कोई चीज टिकाउ नहीं होती..लेकिन अंदरखाने की जो बात वो सामने आ चुकी है। फिलहाल बीजेपी नेताओं को सीएम के दिल्ली से लौटने का इंतजार है।