प्रतीकात्मक तस्वीर
रायपुर। कहते है ” समरथ को नहीं दोष गोसाईं ,रवि पावक सुरसरि की नाई” अर्थात ‘जो समर्थ है, उसमें कोई दोष नहीं होता। रामायण के इस चौपाई को रायपुर पुलिस ने दोहराते हुए जुआरियों के प्रेस रिलीज से नाम और चेहरा दोनो छुपाई और महज एक घंटे में रिहाई कर दी।
बता दें कि सोमवार की रात करीब 8 बजे पुलिस और साइबर यूनिट ने मुखबीर से मिली सुचना के आधार पर रायपुर के वीआईपी रोड स्थित होटल बेबीलॉन केपिटल में छापा मार कार्रवाई की। इस कार्रवाई में पुलिस ने 10 लोगों को ताश पत्ती और 1 लाख 98 हजार 150 रूपए के साथ रंगे हाथों पकड़ा तो ज़रूर लेकिन रसूखदार जुआंरियों के रसूख के आगे उनकी कार्रवाई फीकी पड़ गई।
पकडे गए आरोपियों को पुलिस को मजबूरन राजनितिक दबाव के चलते कागजी कार्रवाई कर एक घंटे में ही छोड़ना पड़ा। वहीँ बुधवार को जब इस मामले की प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई तो उसमे से भी आरोपियों के नाम और तस्वीर को गायब कर दिया गया। ऐसा पहली बार देखने को मिला है जब पुलिस द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में आरोपियों के न ही नाम का और तस्वीर का उल्लेख नहीं किया गया है। वहीँ इस मामले में पुलिस ने होटल के मालिक के विरुद्ध भी कार्रवाई की है।
इसलिए छुपाई गई आरोपियों की पहचान
खबरीलाल की माने तो जुआ फड़ में पकडे गए सभी आरोपी प्रदेश के प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिसके चलते पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में राजनितिक दबाव के चलते इन रईसजादों की पहचान को छुपाया गया है। साथ ही आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद खानापूर्ति कार्रवाई करते हुए महज़ एक घंटे के भीतर ही छोड़ दिया गया। इन आरोपियों को पुलिस ने दूसरे दिन भी थाने नहीं बुलाया और न ही आगे की कार्रवाई के लिए न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा
वहीँ इस मामले को लेकर मीडिया द्वारा किए गए सवालों से सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बचते फिर रहे हैं। कार्रवाई से जुड़े अधिकारी एक दूसरे के ऊपर इस मामले की जानकारी दिए जाने का ठीकरा फोड़ते नज़र आ रहे हैं। वहीँ आम लोगों में चर्चा भी है की जुएं फड़ में पकड़ी गई रकम और पुलिस द्वारा जब्त रकम में काफी अंतर है।
चेहरा छुपाते निकले थाने से आरोपी
सोमवार को जब इन सभी जुआंरियों को गुपचुप कार्रवाई कर थाने से छोड़ा जा रहा था तो थाने के बाहर खड़े पत्रकारों को देख कर ये सभी आरोपी अपने चेहरा छुपाते हुए भागते नज़र आए।