✍️खाकी के ये खिलाड़ी रच रहे भरम, चाय से ज्यादा
स्थानांतरण के बाद भी खाकी के खिलाड़ियों ने ड्यूटी ज्वाइन न कर भरम रच रहे हैं। उनकी कार्यशैली को देखकर समकक्ष अवाक हैं कि क्या करें साहब यहां तो चाय से ज्यादा केतली गरम है। बात लगभग एक माह पहले जारी स्थानांतरण सूची की है। बड़े साहब ने विभागीय काम काज में कसावट लाने के लिए 31 वीर सिपाहियों का स्थान-बदल किया था।
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इसके बाद कुछ जवानों ने तो आमद देकर नए पद पर ड्यूटी ज्वाइन कर ली और कुछ अभी भी रिलीव नहीं हुए हैं। ये तो फिर भी ठीक है लेकिन एक खाकी के खिलाड़ी ने हद पार करते हुए स्थान-बदल के बाद रक्षित केंद्र में आमद दी और तीसरे दिन से बालको में टीआई के साथ पुनः बल्ले बल्ले कर रहे हैं।
पुलिस विभाग में चल रही इस दोहरी को नीति को देखकर महकमे के सहयोगी वीर जवानों में खुसुर फुसुर है..जब थानेदार साहब स्वयं ट्रांसफर के बाद थानेदारी कर रहे तो सिपाही तो करेंगे भाई जी। महकमे के कार्यों को करीब से समझने वाले पंडित तो यहां तक कहने लगे हैं बड़े साहब का काम तो ठीक भी है लेकिन थर्ड लाइन में काम करने वालों का हाल तो चाय से ज्यादा केतली गरम जैसा है।
✍️गुरु बने भैया, तो पालक बोले डर काहे का…
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सैय्या भय कोतवाल तो डर काहे का की युक्ति शिक्षा विभाग के नेतानुमा टीचरों पर सटीक बैठ रही है।
दरअसल बीईओ से डीईओ बने गुरु को डिपार्टमेंट के नेतानुमा “भैया” की संज्ञा देने लगे हैं। गुरु के भैया बनने की बात सुनकर अभिभावक कहने लगे हैं फिर डर काहे का..!
सो शिक्षा विभाग को चण्डाल चौकड़ी से घिरने की बात कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। खबरीलाल की माने तो डीईओ के कुर्सी में जो कड़कपन होना चाहिए वो न दफ्तर में देखने को मिल रहा और न फील्ड में..! दिख रहा है तो लड़कपन। सो स्वाभाविक रूप से कर्मचारी बेलगाम हो चुके हैं और नेतानुमा शिक्षक पहले से अधिक पहलवान।
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ऑफिशियल सूत्रों की माने तो साहेब ऐसे टीचरों के प्रभाव में आकर निर्णय ले रहे हैं जिनकी इमेज गुरुजी कम नेता ज्यादा है। सो कुर्सी में कड़कपन की बात कहना कोरी कल्पना है। कहा तो यह भी जा रहा कि एक टीचर तो सीधे सीधे सोशल मीडिया में डीईओ को ” भैया ” वाली पोस्ट वायरल कर सहयोगी शिक्षकों पर रक्षाबंधन सा रक्षक होने का प्रभाव बना रहे हैं।
वैसे तो शिक्षा विभाग पर हमेशा बाहरी शक्तियों का साया रहा है कभी मटेरियल सप्लायरों का तो कभी ट्रांसफर पोस्टिंग और अटैचमेंट गिरोह का..! वर्तमान परिवेश काम कम और अपने पक्ष में वातावरण बनाने वालों का है जो डीईओ से रिश्तेदारी का नाता जोड़ कर विभाग के कामों को मोड़ रहे हैं, जिससे कार्यालय में भीड़ लगना और निराश होकर वापस जाने की लोगों को आदत सी हो गई है।
✍️पंचायत का पंचनामा, गैंग लीडर कह रहे गया वो जमाना
पंचायतों का पंचनामा करने वाले गैंग लीडर सीईओ के एक कार्रवाई से कहने लगे हैं भाई गया वो जमाना..! जब सचिवों को जनपद सीईओ का डर दिखाकर लोग अपनी दुकानदारी चला लेते थे। अब तो सचिव भी सयाने हो गए हैं।
दरअसल जिला पंचायत सीईओ ने बिगड़ैल सचिवों पर लगाम कसने 4 सचिवों को बर्खास्त कर दिया। बात यही रुकती तो ठीक भी थी, साहेब ने तो पुराने कामों का फाइल ओपन कर रिकवरी के लिए फाइल मूव कर दी। सो सरकारी धन को अपने मन से खरचने और आकाओं के दम पर हवा में उड़ने वाले पंचायत कर्मी इन दिनों भारत नाट्यम करने लगे हैं। सचिवों के बीच चर्चा चल पड़ी है कि सचिव संघ के जिलाध्यक्ष रहे सचिव से भी रिकवरी हो रही है तो बाकी किस खेत की मूली हैं जो बच जाए।
खबरीलाल की माने तो जिला सीईओ अभी कड़े और बड़े निर्णय लेने वाले हैं जिसे भांपकर कोरबा ब्लॉक के कई बोल बच्चन टाइप के सचिव सेटिंग के लिए चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। लंबे समय बाद हुई कार्रवाई से पब्लिक तो खुश लेकिन सचिव जो बोएगा वही पाएगा.. सुख दुख है क्या फल कर्मो का गुनगुनाने लगे हैं।
✍️नाम बदनाम….और बघेल
बलौदाबाजार हिंसा मामले में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी से कांग्रेस उबल रही है। भूपेश सरकार के करीबी रहे कांग्रेस विधायक पर पहले भी कोई न कोई आरोप लगते रहे हैं मगर वो बचते रहे। बलौदाबाजार हिंसा मामले में भी पुलिस पूछताछ के लिए बुलाती रही..नहीं आए तो हिरासत में ले लिया…।
विधायक की गिरफ्तारी में बलौदाबाजार पुलिस को दुर्ग पुलिस की मदद मिली..। पुलिस की ये कार्यवाही सीधे तौर पर कानून व्यवस्था और प्रक्रिया के पालन से जुड़ी है। इसे गुंडा वाली कार्यवाहीं तो कतई नहीं कहा जा सकता। लेकिन दुर्ग एसपी कांग्रेस के निशाने पर आ गए।
विधायक की गिरफ्तारी का विरोध करने के कार्यक्रम में आए पूर्व सीएम ने तो पूरी सरकार को “निकम्मा और दुर्ग एसपी को गुंडा बता दिया। बिना नाम लिए एक स्कूल में बच्ची के साथ यौनाचार के मामले में एसपी पर पालकों को धमकाने का आरोप लगा दिया। बघेल यहां तक बोल गए कि एसपी ही सबसे बड़े गुंडे हो गए हैं।
पांच साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने वाले भूपेश बघेल से प्रकार के बयान की उम्मीद भिलाई वालों को नहीं रही होगी..तभी तो सभी तरफ कांग्रेस सरकार के जमाने की पुलिस और अभी की पुलिस की तुलना होने लगी है।
भिलाई में चर्चा चल रही है कि महादेव सट्टा से लेकर तमाम घोटालों में यहीं के पुलिस वाले सरगना निकले तब पुलिस सोशल थी और सरकार बदलते ही यही पुलिस गुंडा कैसे हो गई। जनता का यही सवाल आने वाले समय में कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकता है।
✍️अब तब और कब ..
प्रदेश में बीजेपी सरकार बने करीब 8 माह हो गए हैं। मगर सरकार एक और एक ग्यारह से आगे नहीं बढ़ सकी। मंत्री को दो पद अभी तक खाली है। निगम-मंडलों में नियुक्तियों की केवल चर्चा होती रही। अब तब और कब वाले अंदाज में सोशल मीडिया में लिस्ट भी जारी हुई पर संगठन की चुप्पी से कार्यकर्ता बेसब्र हुए जा रहे हैं।
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खबरीलाल की माने तो सदस्यता अभियान से लेकर हाल ही में पार्टी के प्रदेश प्रभारी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं डिप्टी सीएम अरुण साव से अकेले में बातचीत हुई लेकिन वो कमरे से बाहर नहीं आ पाई। बताया जा रहा है कि इस बातचीत निगम-मंडलों में नियुक्तियों पर भी चर्चा हुई।
इसके तुरंत बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब तीन दिन के लिए रायपुर पहुंचे तो कयास लगाए जा रहे थे कि निगम-मंडलों में नियुक्तियों की सूची का फाइनल टच देकर जारी कर दिया जाएगा। बीजेपी के कई सीनियर विधायक और संगठन नेता शाह मुलाकात करने पहुंचे थे..मगर शाह सबसे से मुस्कुराते हुए मिले और दिल्ली उड़ गए।
दरअसल शाह की मुस्कुराहट ही लालबत्ती पाने वाले की धड़कनें बढ़ा रही है। चर्चा है कि अगर लिस्ट उप चुनाव तक टल गई तो नए साल तक इंतजार करना होगा…ये भी चर्चा है कि नियुक्तियों की एक छोटी लिस्ट इसी सप्ताह निकल सकती है। मगर अब तब और कब वाले अंदाज में…।
✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा