🔶सलमा हत्याकांड : पुलिस का समय वेस्ट, फेल हुआ डीएनए टेस्ट..
दृश्यम – 2 की शैली में चले सलमा हत्याकांड की जांच में पुलिस का सिर्फ समय वेस्ट हुआ है क्योंकि सलमा के नरकंकाल का डीएनए टेस्ट फेल हो गया है। पुलिस के सारे दावे मूवी की तरफ खोखले सिद्ध हुए हैं और मधुर साहू विजय सावलकर की तरह कोर्ट से जमानत पर रिहा हो गए हैं।
मर्डर थ्रिलर मूवी दृश्यम के आईजी अक्षय खन्ना की कार्यशैली में कोरबा पुलिस ने 5 बरस पुराने मर्डर की फाइल खोलकर हूबहू दृश्यम का रंग देने का प्रयास किया । सड़क की खुदाई कराई गई और थ्री डी स्कैनिंग कैमरा की मदद से सलमा के नरकंकाल को बाहर निकाला गया। तमाम तरह की टीआरपी बटोर कर वाहवाही लेते रहे और नरकंकाल निकलने के बाद रील लाइफ के विजय सावलकर की तरह रियल किरदार मधुर साहू को गिरफ्तार किया गया। 11 महीने के बाद मधुर साहू ने कोर्ट से बेल लेकर पुलिस के महीने भर की मेहनत को तेल कर दिया।
हालांकि केस में अभी ट्विस्ट आना बाकी है क्योंकि दृश्यम – 3 भी सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी और पुलिस अपनी चूक को समझते हुए फिर से जिम में दस्तक दे सकती है। ये बात अलग है कि मधुर को मिले बेल के बाद शहर में चर्चा होने लगी है रील लाइफ के विजय सावलकर बनकर मधुर साहू ने पुलिस से एक कदम आगे चलते हुए पुलिस को मात दे दिया और हाईप्रोफाइल केस में जमानत लेकर पुलिस की विवेचना को संदेह के घेरे में घेर कर रख दिया है। पुलिस तो कलप रही है कि कहां वो मधुर बड़े घर का बलमा बनाने सपनें संजोए बैठे थे और ये क्या से क्या हो गया..!
🔶कंवर की कलाकारी और केशर की चमत्कारी…
कंवर की कलाकारी और केशर इंफ्रा की चमत्कारी बिल जनपद सीईओ पर भारी पड़ रहा है। जनपद पंचायत कोरबा के बारे में अक्सर कहा जाता है न खाता न बही जो सीईओ लिख दे वही सही! इस बात का प्रमाण स्ट्रीट लाइट खरीदी में देखने को बखूबी मिल रहा है।
दरअसल कोरबा जनपद के 16 पंचायतों में डीएमएफ से स्ट्रीट लाइट लगाने एक कंवर ने कलाकारी करते सूत्रधार की भूमिका निभाई। कंवर की कलाकारी पर बालोद के केशर इंफ्रा ने चमत्कारी बिल प्रस्तुत कर बिना मूल्यांकन के सरपंचों से आरटीजीएस करा लिया।
खबरीलाल की माने ग्राम पंचायतों में इलेक्ट्रिक कार्यो के मॉनीटिरिंग के लिए अलग से टेक्निकल टीम है जो स्टीमेट बनाकर लगने वाली सामग्रियों का मेजरमेंट करते है उसके बाद भुगतान होता है। स्ट्रीट लाइट बेचने वाले और सेतु का काम करने वाले कंवर जानते थे कि मूल्यांकन हुआ तो एक – एक पंचायत में 20 लाख में लगने वाले लाइट विथ पोल का बिल लगभग 5 लाख रुपयों तक ही सिमट कर रह जाएगा। सो अफसरो के साथ सांठगांठ कर पंचायत पर दबाव बनाया गया और करारोपण ने बिल को सत्यापित कर रकम भुगतान करने निर्देश दिया।
अब रकम गंवाने के बाद कंवर और केशर को पंचायत प्रतिनिधि कोसते हुए कह रहे है क्या करें साहब हम तो ठहरे जंगल के रहवासी कंवर की कलाकारी और केसर की चमत्कारी बातों को समझ नही सके। अब हमारे लिए स्ट्रीट लाइट खरीदी मुसीबत बन गई है।
🔶सचिव जैसे फुस्स पद के लिए हाईलेवल सिफारिश की फुसफुसाहट…
“ऊंचे लोग ऊंची पसंद..” जैसे विज्ञापन को खनिज संपदा से परिपूर्ण जिले के भाजपाई सरपंच पूरी शिद्दत से निभा रहे हैं।
दरअसल माढ़ नदी से रेत निकालने एक भाजपाई सरपंच को चहेते सचिव की तलाश है। मनपंसद सचिव को पंचायत पोस्टिंग कराने के लिए बाकायदा वरिष्ठ दिग्गज नेता को लेकर रायपुर के बड़े बंगले वाले साहब से सिफारिश करते हुए पसंदीदा सचिव को पदस्थ करने निवेदन किया है। माननीय की सिफारिश की चर्चा आम होने के बाद सरपंच की फजीहत हो रही है।
पूर्ववर्ती सरकार ने ग्राम पंचायतों को रेत खनन का अधिकार क्या दिया सरपंच और सचिव रेत तस्करों के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बन गए। ये बात अलग है कि सचिव और सरपंच का तालमेल जहां पर नहीं बैठ पा रहा वहां तस्करों का खेल बिगड़ रहा है। सो रेत तस्कर सरपंच को फाइनेंस कर सचिव का तबादला कराने कलेक्टर दफ्तर के साथ राजधानी रायपुर की दौड़ लगवा रहे हैं।
खबरीलाल की माने तो शहर के मॉल संचालक माढ़ नदी से रेत निकालने में तस्कर की भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रधार की माने तो सचिव के ट्रांसफर के लिए सरपंच द्वारा वरिष्ठ आदिवासी नेता को सीएम के पास ले जाकर सचिव को हटाने और अपने खास को लाने की सिफारिश करवा कर मूंछ पर ताव धर रहे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है कि माननीय सत्ता पक्ष के दिग्गज नेता है तो स्वाभाविक है उनकी बात सुन भी ली जाए और नए सचिव की पोस्टिंग हो जाये, लेकिन सचिव जैसे फुस्स पद के लिए सीएम से सिफारिश की चर्चा सुनकर राजनीति के चाणक्य फुसफुसा रहे हैं “दया कुछ तो गड़बड़” है।
🔶अप्पा और वीरप्पा..कहां गई रिपोर्ट
गुजरा सप्ताह काफी गरमागहमी वाला रहा। देश परदेश में पेरिस ओलंपिक और शेख हसीना छाईं रहीं मगर छत्तीसगढ़ में नक्सली फंडिंग में पकड़े गए आरोपियों की चर्चा रही। ठेकेदारों से वसूली गई रकम आरोपी के बैंक खाते में मिली। इसके साथ ही बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग चल पड़ी है।
इस बीच कांग्रेस के कुछ नेता दिल्ली तलब किए गए हैं। यानि छत्तीसगढ़ का ये मसला अब राष्ट्रीय मुद्दा हो गया है। पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करते हैं…फिर भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ को दिल्ली तलब किया जाना कहीं न कहीं कांग्रेस में बड़े भूचाल की आहट जान पड़ता है।
खबरीलाल की माने तो प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव से पहले संगठन में बड़े बदलाव की पटकथा तैयारी की जा चुकी है। दीपक बैज दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि पिछले चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस को मिली हार के कारणों की जांच वाली वीरप्पा मोइली कमेटी की रिपोर्ट अब तक हाईकमान को नहीं मिली है।
रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस में नए सिरे से बदलाव होगा, इसी वजह से अपना अपना नंबर बढ़ाने वाले पार्टी नेताओं को दिल्ली दौरा एकाएक बढ़ गया है। ऐसे में नक्सली फंडिंग से जुड़े कुछ लोगों को किनारे लगाया जा सकता है।
🔶मान न मान मैं तेरा मेहमान