कोरबा। राखड़ (फ्लाई ऐश) के निपटान की चुनौती का सामना कर रहे ताप विद्युत संयंत्रों के लिए राहत की खबर है। कोयला मंत्रालय ने देशभर के 13 थर्मल पावर प्लांटों के लिए कोल इंडिया की 19 बंद या खाली हो चुकी कोयला खदानों को आवंटित किया है। इन में खदानों के रिक्त स्थान पर प्लांट प्रबंधन उत्सर्जित राखड़ को डंप कर सकेगा। इनमें चार कोयला खदान नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी), छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (सीएसपीजीसीएल) के हिस्से में गया है।
पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया में फ्लाई ऐश से खदान की खाली जगह को भरना थोक उपयोग का सबसे व्यवहार्य विकल्प है। इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में 2023 में एक केंद्रीय स्तरीय कार्य समूह (सीएलडब्ल्यूजी) की स्थापना की गई है। कोयला मंत्रालय ( एमओसी) ने विगत दिनाें को फ्लाई ऐश के निपटान के लिए 13 ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) को 19 कोयला खदान रिक्त स्थान आवंटित किए हैं। इसमें कोल इंडिया से संबंद्ध साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की सोहागपुर, जमुना- कोतमा, कोरबा व जोहिला क्षेत्र की खाली खदानें शामिल हैं। यह कदम कोयला दहन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने मंत्रालय के प्रयास का हिस्सा है।
एक खदान में आगामी पांच साल के अंदर 85 लाख टन राखड़ का निपटान किया जा सकेगा। इस तरह 330 लाख टन राख का निपटान एसईसीएल के आवंटित रिक्त चार खदानों में हो सकेगा। करीब चार साल पहले एसईसीएल की काेरबा स्थित मानिकपुर खुली खदान के रिक्त हिस्से को राख भराव के लिए कोल इंडिया आवंटित की थी। इस खदान में अभी भी एनटीपीसी, भारत एल्युमिनिम कंपनी लिमिटेड (बालको), सीएसपीजीसीएल राख भर रही है। आने वाले एक साल तक यहां राख भराव का काम चलेगा। उधर सुराकछार के भूमिगत खदान के रिक्त स्थान पर भी एनटीपीसी के राख का निपटान किया जाएगा। यहां बताना होगा कि नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल एनजीटी ने वर्ष 2001 में आदेश जारी कर आने वाले दस साल के अंदर देश भर के सभी थर्मल पावर प्लांटों को अपने राखड़ बांध से राख खाली करने के निर्देश दिए हैं। उसके बाद से बांध से राखड़ परिवहन कर निपटान किया जा रहा।