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Who has a chance in DG promotion? फरार को पकड़ने सिपाही की गुहार,म्यूजिकल इंस्टूमेंट में काजी का धमाल..DMF में सक्रिय हुआ सप्लाई गैंग,ब-वक़्त होशियार…

फरार को पकड़ने सिपाही की गुहार… 

कहते है कानून के हाथ लंबे होते हैं। कभी कभी ये हाथ इतने लंबे हो जाते हैं कि अपराधी पीछे छूट जाता है और कानून आगे बढ़ जाता है। अपराधी मजे करते रहता है और पुलिस अंधेरे में ही हाथ पांव मारती रह जाती है। यही हाल इन दिनों हाफ मर्डर के बाद की फरारी को लेकर देखी जा रही है।

फ़रारी का सुराग लगाने में पुलिस की दशा क्या करें क्या न करें जैसी हो गई है। महकमे के आला सिपाहियों पर दबाव सो अलग। ऐसे में एक सिपाही ने शहर एक सज्जन से गुहार लगाते हुए फरार चल रहे अपराधी को पकड़ने की मिन्नतें करने लगा। सज्जन भी खिलाड़ी निकाला सारी कथा और खाकी की व्यथा सुनने के बाद बोला ठीक है पकड़वाने में मदद करूंगा पर मुझे क्या मिलेगा…?

उधर से सिपाही बोले जो बोलो वो मिलेगा फिर क्या था सज्जन ने मजाकिया लहजे में ऐसा डिमांड कर डाला कि डिपार्टमेंट के लिए मुमकिन ही नहीं नामुमिकन है। उनका डिमांड था एक सोल्ड ” Grand Vitara ”  फिर क्या था उधर से साहब ने फोन कट किया औऱ शब्दों को गुनने के साथ गुनगुनाने लगे..।

इधर सज्जन को मजा लेना था क्योंकि न तो उसे फरारी का पता था और न ही उनके ठिकाने का। सो उन्होंने ने भी मजाकिया लहजे में साहब का ही मजा ले लिया। कहा भी गया है ज़िंदगी जब कठिन समय में नाच नचाती है तो ढोलक बजाने वाले अपने जान पहचान वाले ही होते हैं।

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म्यूजिकल इंस्टूमेंट में काजी का धमाल..

कहते हैं मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजी..! लेकिन शिक्षा विभाग के काजी की तो बात ही निराली है। उनके बारे में शिक्षा विभाग के महारथी भी कहने लगे है काजी राजी तो बेच दो स्कूलों में औषधि के नाम पर भाजी..! काजी के कारमाने के बाद उनके चाहने वाले भी कहने लगे है म्यूजिकल इंस्टूमेंट में काजी के धमाल से डीईओ और डीएमसी नाच उठे हैं।

जी हां ताजा मामला पीएम श्री स्कूलों में म्यूजिक इंस्टूमेंट खरीदी का है। साहब ने मौका देखकर ऐसा खेला कर दिया कि पूरे डिपार्टमेंट को शर्मसार होना पड़ा। हालांकि बात जब समाचारों की सुर्खियां बनी तो बड़े साहब ने बड़ी सफाई से शिक्षा विभाग पर उछल रहे कीचड़ पर पानी डालकर साफ कर दिया।

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साहब के फैसले पर उन्हीं के अफसर प्रश्न करने लगे हैं कि… “ये वही बात हुई चोर की पहचान के बाद भी उसे बड़े सज्जनता से हाथ जोड़कर मिन्नतें कर रहा हो कि भाई जो चोरी किए हो उसे वापस दे दीजिए..!”  वैसे डीएमएफ की राशि को पचाने के लिए अफसरों की तिकड़ी तैयार है.. लेकिन, ये पब्लिक है जो सब जानती है।

DMF में सक्रिय हुआ सप्लाई गैंग..

डिस्ट्रिक मिनिरल फंड से पिछली सरकार ने सोन चिरई योजना बनाकर स्कूली छात्रों को पोषण आहार बांटने का बड़ा खेल खेला। जिसमें सप्लायर और अफसर तो पोषित हुए लेकिन छात्रों की स्थिति जस की तस रही । हाल में एक समाचार चला कि अब सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नाश्ता देगी।

इस खबर के बाद लोगों को पुराने दिन याद आने लगे जब लाख विरोध के बाद भी शिक्षा विभाग ने अंडा और केला छात्रों को बांट दिया था। ये बात अलग है कि डीएमएफ घोटाले की फाइल प्रशासनिक गलियारों में तैरने लगी तो योजना ठप्प हो गई। अब जब नाश्ता कराने की योजना बनी तो एक बार डीएमएफ में सप्लाई गैंग की याद सताने लगी।

वैसे तो पूर्ववर्ती सरकार में इस कदर खरीदी हुई कि सप्लायर खेल कर गए अफसर बेमेल फंस गए। जो गैंग रिटर्निंग वॉल बनाकर करोड़ों का काम कर जिले में भ्रष्टाचार की ऐतिहासिक रचना कर चुके हैं। अब फिर वही गैंग किरदार बदलकर सरकार में मंत्रियों को साधने के जुगाड़ का मंतर मंत्री तक फूंकने में लगे हैं।

सूत्र बताते हैं कि डीएमएफ माफिया फिर से सक्रिय है और सरकार के दमदार अधिकारियों को अलग अलग स्कीम और मुनाफा बता रहे हैं। हालांकि  चर्चा इस बात की भी है कि अभी डीएमएफ की रकम पर चर्चा होगी लेकिन खर्चा सोच समझकर होगा। ये बात अलग है कि कुछ खास लोगों को स्पेशल ट्रीटमेंट देते हुए कहीं अलॉटमेंट दिया जा सकता है। इसके बाद भी डीएमएफ गैंग जहां चाह वहां राह की आस में प्रोजेक्ट..र बनाकर प्रेजेंटेशन करने चूक नहीं रहे हैं।

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ब-वक़्त होशियार…

लोकसभा चुनाव और हाल की 5 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के नतीजे बीजेपी को ब-वक़्त सबक दे गए हैं। दिल्ली में मोदी शाह की जोड़ी अपने संगठन म़ंत्रियों को इस सबक का पाठ बीजेपी शासित राज्यों के मंत्री और विधायक और उन नेताओं को पढ़ाने को कहा है जो लालबत्ती पाने का सपना देखने लगे हैं।

छत्तीसगढ़ की करीब 8 महीने पुरानी सरकार को भी इस ब-वक़्त सबक से गुरजना पड़ रहा है। केवल 8 महीने किसी सरकार के आंकलन के लिए काफी नहीं होते…यूपी में तो दो कार्यकाल पूरा करने वाली योगी सरकार लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीट बढाने में योग करने से चूक गई। ऐसे में छत्तीसगढ़ की 8 महीने पुरानी सरकार को अभी इंतहान से गुजरना पड़ेगा।

वैसे भी प्रदेश में मंत्री के दो पद खाली हैं..निगम, मंडल और आयोग में नियुक्ति होनी तो नेता और विधायकों को आस लगी थी जल्द ही इन पदों पर उन्हें भी मौका मिलेगा। मगर पार्टी संगठन इसी साल होने वाले पंचायत, नगरीय निकाय और सहकारिता चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद ही मंत्री पद और लालबत्ती के बंटवारे करने के मूड में दिख रहा है।

इसी सप्ताह पार्टी के प्रदेश दफ्तर में संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और भाजपा प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने संगठन और सरकार को ब-वक़्त होशियार…करना शुरू किया। दोनों ने दो टूक कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री ही सरकार नहीं चलाएंगे.. सरकार चलाने की जिम्मेदारी सबकी है। कार्यकर्ता का सम्मान बढ़े और के समन्वय से सरकार चलाई जानी चाहिए। ये सबक सरकार के मंत्रियों के लिए था।

इस बैठक में पार्टी को कोरबा लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार में जिला संगठन की कमजोरी की भी चर्चा रही। बैठक में नितिन नबीन ने कोरबा के मंत्री और चुनाव में घर बैठे नेताओं को नाम लिए बिना अपना गुस्सा दिखाया। उन्होंने कहा, पार्टी के नेता जिले की इकाई के साथ बैठकर यह चिंतन करें कि चुनाव किस तरह से जीता जाए. ये सब भूल कर कि चुनाव कौन लड़ रहा है। उनका इशारा ​था कि कोरबा के नेता मंत्री वक्त रहते पार्टी लाइन का फॉलो करें नहीं तो अगले फेरबदल में दूसरों को मौका दें।

वैसे भी कोरबा के पार्टी के मैदानी कार्यकर्ता मंत्री और सरकार से खासे नाराज हैं। हाल ही में मंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया में पोस्ट डालने पर एक पार्टी कार्यकर्ता को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। अगर पार्टी वर्करों की नाराजगी का यही हाल रहा तो उनके नतीजें भी पहले की तरह ही आ सकते हैं…और उन बड़े नेताओं की छुट्टी होना भी तय है जो ब-वक़्त होशियार…वाले पाठ को पूरा करने से चूक गए।

डीजी प्रमोशन में किसको मौका..

प्रदेश सरकार की अफसर-कर्मियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग वाली वर्किंग सीनियर अफसरों को चौंका रही है। इसके बाद भी कुछ अफसर अच्छी पोस्टिंग पाने में सफल रहे। मगर जब तक लिस्ट जारी न हो जाए अटकलों का दौर चलता रहता है।

हाल में डीजी प्रमोशन में डीपीसी ने अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के साथ पवनदेव का नाम फाइनल कर दिया गया, मगर जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पवनदेव के नाम को हरी झंडी दिखा दिया। सीएम की सहमति मिलने के बाद गृह विभाग ने डीजी प्रमोट करने की नोटशीट चला दी है।

इसके साथ ही अगले महीने 4 अगस्त को खाली हो रहे डीजी पुलिस के लिए अब तीन दावेदार हो जाएंगे। अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के साथ पवनदेव भी। हालांकि, गृह विभाग से पांच नामों का पेनल यूपीएससी को भेजा जाना है। इस पैनल में एसआरपी कल्लूरी और प्रदीप गुप्ता का नाम भी शामिल है। इसके बाद यूपीएससी चेयरमैन की अध्यक्षता में डीपीसी बैठेगी।

डीपीसी के बाद यूपीएससी तीन नामों का पैनल राज्य सरकार को भेजेगी। राज्य सरकार उनमें से किसी एक नाम को डीजीपी अपाइंट करेगी। विष्णुदेव साय की वर्किंग स्टाइल ही चौंकानी वाली है अगर सरकार कोई चौंकाने वाला फैसला लेगी तो किसी को हैरानी नहीं होगी। सब कुछ सांय सांय ही होना है।

  ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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