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Let the monsoon come: थाने में कौन है शोले का हरिराम जो,बालू और आलू कारोबारियों के काबू में अधिकारी..DMF के प्रोजेक्टर पर बना ये डायरेक्टर, जीता तो नेता..हारा तो कौन,

थाने में कौन है शोले का हरिराम जो है अपराधियों का भाई…!

फ़िल्म शोले का एक किरदार था “हरिराम” जो जेल के भीतर चल रहे खुसुर फुसुर को जेलर तक पहुंचता था। ठीक इसी शैली में जिले के थाने के भीतर भी हरिराम नाई एक्टिव है जो डिपार्टमेंट की गोपनीय कार्रवाई को अवैध कारोबारियों तक हूबहू पहुंचा रहे हैं।

अगर बात सट्टा किंग के ठिकाने में हुई छापेमारी की जाए तो छापा से पहले फरारी पर प्रश्न तो उठता है। ये घटना रजगामार की है, जहां पुलिस के पहुंचने से पहले आरोपी पातालग्राउंड हो गया। मतलब साफ है डिपार्टमेंट में हरिराम का किरदार निभाने वालो ने बात लीक कर दी थी। जिसका लाभ सटोरियों को मिला और पुलिस पहुंचने से पहले फुर्र हो गए।

 

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दूसरा मामला है रायपुर के एक अपार्टमेन्ट में पुलिस की छापेमारी का है। यहां भी वही हुआ। छापा से पहले सट्टा किंग अजय सोनी फ्लैट छोड़ चुका था। इन दोनों घटनाक्रमों पर नजर डाले तो एक बात तो स्पष्ट होती है कि पुलिस के बीच सटोरियों का कोई हरिराम भाई है जो पुलिस की गतिविधियों को अवैध कारोबारियों तक पहुंचा रहा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि डिपार्टमेंट से हो रही गोपनीयता लीक पर साहब अप्रसन्न है और सभी थानेदारों की संगत पर नजर रख रहे हैं। साहब के नाराजगी के बाद थानेदारो के बीच आपसी चर्चा छिड़ गई है और एक दूसरे को कहने लगे देख के रे बाबा.. कहीं ऐसा न ही कि नजर हटी और दुर्घटना घटी..!

बालू और आलू कारोबारियों के काबू में अधिकारी…!

शहर में आलू और बालू कारोबारियों के आगे अधिकारी असहाय हो गए है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि जो आलू कुछ दिन पहले 20 रुपए  किलो था वो अब 45 रुपए में बिक रहा है और बालू जो महज 15 दिन पहले 15 सौ ट्रैक्टर मिलता था वो 3 हजार में मिल रहा है। इसका मतलब ही यही है कि अफसर आलू और बालू माफियाओं के आगे असहाय हैं।

जनमानस को उम्मीद थी कि सरकार बदलने से महंगाई और रेत माफियाओं पर नकेल कसा जाएगा। हुआ इसके उलट जो पूर्ववती सरकार में रेत की कालाबाजारी पर रोना रोते हुए आंदोलन कर जनता का हमदर्द बनने का ढोंग रचे वही अबकी सरकार में रेत से तेल निकालने में लिए जेसीबी लगा रखे है।

कहा तो यह भी जा रहा कि झगरहा में बन रहे मेडिकल कॉलेज में भी चोरी के रेत का उपयोग हो रहा है। हां ये बात अलग है कि अब रेत चोरी के किरदार में भाजपा नेता का भतीजा सरदार है। यही हाल आलू के कालाबाजारी करने वालो का इतवारी बाजार में है।

आलू स्टॉक कर कालाबाजारी करने वाले कारोबारी सत्ता के साथ कदम ताल करते रहे हैं। इन कारोबारियों के बारे में चर्चा तो यह भी है कि सबसे ज्यादा टैक्स चोरी आलू कालाबाजारी करने वाले कारोबारियों ने की है। तभी तो कभी छोटा सा गुमटी लगाने वाला कुकरेजा आज करोड़ों का आसामी है।

DMF के प्रोजेक्टर पर बना ये डायरेक्टर, बना रहे शिक्षकों की पिक्चर…

डीएमएफ से सरकारी स्कूलों में हाईटेक शिक्षा देने के नवाचार को अफसरों की नजर लग गई है। शिक्षा विभाग का नवाचार अधिकारियों की आमदनी का सूत्रधार बनकर रह गया है। अब बात प्रोजेक्टर की ही ले लीजिये शासन ने बच्चों को पढ़ाने के लिए 220 विद्यालयों में प्रोजेक्टर दिया था। उद्देश्य था बच्चों को स्क्रीन चल चित्र के माध्यम से उच्च तकनीकी से गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने की।

ये प्रोजेक्टर भले ही विद्यालयों में धूल खा रही हैं लेकिन, विभाग के अफसर डायरेक्टर बनकर अपनी ही फिल्में बना और चला रहे हैं। विद्यालयों में हुए सामग्रियों खरीदी पर गौर करें तो सिर्फ डीएमएफ की राशि को खपाने और अपना भविष्य संवारने के लिए डीएमसी ने योजना बनाई। बात सिर्फ प्रोजेक्टर की नही है।

 

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असल में जिले के सरकारी स्कूलों में 32 खेल शिक्षक है और 22 पद रिक्त पड़े हैं।इसके बाद भी डीएमसी संजय सिंह ने करीब दो करोड़ की खेल सामग्री खरीद कर बता दिया कि सिंह इज खरीदी किंग। हालांकि ये खेल सामग्री सप्लाई हुआ भी या गीतांजली के स्पोर्ट दुकान से सिर्फ मात्र बिल बना ये तो जांच के बाद दूध का दूध और…कौन पानी पानी होगा, लेकिन यह सच है जो अपने उद्बोधन में पढ़ाई और शिक्षा का गुणगान करते हैं वही गरीब बच्चों के असली दुश्मन बने हैं।

सावन को आने दो….

सावन लगने में अभी इक्कीस दिन बाकी हैं। वैसे तो सावन में भगवान महादेव अपने भक्तों पर दोनों हाथों से कृपा बरसाते हैं मगर इसे जब ज्यादा प्रसन्न हो तो ये कृपा टांगों पर भी बरस जाती है। ऐसा की एक वाकया हैदारबाद में हुआ। जहां महादेव अपने भक्त पर इतने प्रसन्न हो गए कि उसकी टांग ही तुड़वा दी। जनाब को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा…भक्त भी क्या करें भगवान की मर्जी है उसके आगे भले किसकी चली है।

दरअसल दुर्ग साइबर सेल के 4 कर्मचारी छत्तीसगढ़ में चले रहे महादेव सट्टा ऐप के आरोपियों की तलाश में हैदराबाद पहुंचे थे। साइबर टीम को सटोरियों के एक बिल्डिंग में छिपे होने की सूचना मिली थी…इनमें से एक सटोरिया सुजीत साव साइबर सेल के स्टाफ को पहचानता था…। पुलिस को देखते ही वो शोर मचाते हुए तीसरे माले से कूद पड़ा..गनिमत है कि उसकी केवल टांग टूटी, बाकी धड़ सलामत बच गया नहीं तो..जान भी जा सकती थी। अब सुजीत और बाकी सटोरियों को हैदराबाद से भिलाई लाने की तैयारी।

पुलिस महकमें में इस बात की जोरदार चर्चा है। इससे पहले छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों की पुलिस इन सटोरियों की तलाश में कई जगहों पर छापेमारी की मगर खाली हाथ लौटना पड़ा। कामयाबी तो भिलाई साइबर पुलिस को ही मिली। वैसे भी महादेव सट्टा ऐप मामले में सबसे ज्यादा क्विक एक्शन दुर्ग पुलिस ने ही की है। अब हैदाराबाद में आठ लोगों की गिरफ्तारी से कई बड़े राज खुलने वाले हैं।

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अब आन लाइन क्रिकेट सट्टा खिलाने वाले महादेव के भक्तों को ये डर सता रहा है कि साइबर पुलिस कभी भी उन तक पहुंच सकती है। कई तो अंडर ग्राउंड हो गए है। खबर है कि कुछ सटोरिए अमर नाथ यात्रा पर निकल गए हैं कुछ बैजनाथ धाम यात्रा की टिकट बुक रहा हैं। सटोरियों को ये डर सता रहा है कि अभी सावन आया ही नहीं और ऐसी कृपा बरस रही है कि टांग तक टूट रही है जब वाकई सावन आ जाएगा तब पता नहीं क्या तुड़वाना पड़ेगा।

जीता तो नेता..हारा तो कौन, बंद कमरें में हार की समीक्षा

पिछले साल विधानसभा और इस साल लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की हार दिल्ली में बैठे नेताओं को पच नहीं रही है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में टिकट को लेकर सिर फुटव्वल मची फिर खटाखट इस्तीफों का दौर शुरु हो गया। अब बंद कमरे में पार्टी के सीनियर लीडर वीरप्पा मोईली हार की समीक्षा कर रहे हैं। हालांकि समीक्षा बैठक में नेताओं को दो लाइन में बता दिया गया कि व्यक्तिगत बातें नहीं होगी! आपको केवल ये बताना है कि आप हारे क्यों।

कांग्रेस को करीब से जानने वाले जानते हैं आखिरी फैसला वही होता है जो दिल्ली में पहले से तय होता है…बैठक तो केवल औपचारिकता निभाने की होती है। चुनाव में मिली हार के लिए वीरप्पा मोईली को केवल यही करना था..। यानि जीता तो नेता..हारे तो कार्यकर्ता।

बैठक में केवल एक प्रस्ताव में ​शामिल किया गया कि विधानसभा चुनाव में हार की वजह से कार्यकर्ताओं में निराशा थी। इसका लोकसभा चुनाव में भी नुकसान उठाना पड़ा। संसाधनों की भारी कमी रही। साथ ही भाजपा ने ध्रुवीकरण की कोशिश की थी उसका भी नुकसान उठाना पड़ा। अब ये रिपोर्ट खटाखट वाले अंदाज में दिल्ली को भेज दी जाएगी।

हालांकि इसी साल कांग्रेस को स्थानीय निकायों के साथ पंचायत चुनाव से भी निपटना है। उसके बाद फिर हार की समीक्षा होगी…दो लाइन में सबको बता दिया जाएगा कि क्या कहना है और दिल्ली तक रिपोर्ट पहुंचा दी जाएगी।

✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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