महंत के मैदान में टूट पड़ा था पूरा दुर्ग पर कोरबा का किला नहीं भेद पाईं सरोज, भारी पड़ा ज्योत्सना का तिलिस्म, उधर ट्रैम्पोलीन साबित हुई राजनांदगांव में भूपेश की पैराजम्पिंग
कोरबा। कांग्रेस में भूपेश बघेल तो भाजपा में सरोज पांडेय उन चुनिंदा राजनेताओं में शुमार हैं, जिन्हें सूबे की सबसे बड़ी सियासी सूरतों का तमगा प्राप्त है। यही वजह रही जो कोरबा और राजनांदगांव छत्तीसगढ़ की दो सबसे हाॅट सीट में तब्दील हो गए। बावजूद इसके इन सीटों पर इन दोनों ही चेहरों को मात खानी पड़ी। महंत का मैदान कहे जाने वाले कोरबा में सरोज पांडेय पूरा दुर्ग लेकर पहुंची थीं। बावजूद इसके उनकी टीम न तो कांग्रेस का ये दुर्ग ही भेद सकी और न ही ज्योत्सना का तिलिस्म टूटा। दूसरी ओर अचानक हुई भूपेश बघेल की पैराजम्पिंग को राजनांदगांव की जनता नहीं पचा सकी और यह सीट उनके लिए ट्रैम्पोलिन साबित हुई, जहां से पूर्व सीएम को बीजेपी ने सांसद संतोष पांडेय के हाथों करारी हार के साथ पैवेलियन लौटना पड़ा।
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर मतगणना के नतीजों में कई सीटों पर नए इतिहास रचे गए। भाजपा ने इस बार जहां 10 सीटों पर कब्जा कर पिछले चुनाव से बड़ी जीत दर्ज की, तो दूसरी ओर भाजपा की एक और कांगे्रस के अनेक दिग्गजों ने बड़ी हार का सामना किया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। इन सबके बीच प्रदेश की 2 हॉट सीटों कोरबा और राजनांदगांव में भाजपा और कांग्रेस दोनों को जोरदार झटका भी सहना पड़ा है। अपनों के विरोध ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से राजनांदगांव छीन लिया। बघेल के हाथ से राजनांदगांव ऐसे फिसल गया, जैसे कभी वह उनका था ही नहीं। उन्हें भाजपा प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद संतोष पांडेय से 44 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त मिली। इधर कोरबा से भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय को भी पिछली और मौजूदा सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत के हाथों 43263 वोटों की बड़ी लीड से हार का मुख देखना पड़ा है। कोरबा से निवर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत ने लगातार दूसरी बार अपना दबदबा और कांग्रेस की सीट को कायम रखा है। हालांकि दोनों दिग्गज भूपेश बघेल और सरोज पांडेय के हारने का कारण स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध रहा।
सीएम रहते क्षेत्र की उपेक्षा, एंटी भूपेश लॉबी का संतोष को लाभ
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और सूबे के बड़े नेता होने के साथ राजनांदगांव में कांग्रेस और कुर्मी समाज में मजबूत पकड़ के साथ ओबीसी फैक्टर के बूते भूपेश को लोकसभा की टिकट मिली थी। यहां बघेल के सामने बीजेपी ने सांसद संतोष पांडेय को प्रत्याशी बनाया। इस लोकसभा सीट में सीधी टक्कर इन दोनों प्रत्याशियों के बीच ही थी। लोकसभा सीट में कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल के खिलाफ एंटी भूपेश लॉबी थी। दूसरी ओर संतोष पांडेय को डॉ. रमन सिंह, छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा समेत बड़े नेताओं का पूरा साथ मिला। भूपेश बघेल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के विरोध के कारण परचम नहीं लहरा पाए।
वो पांच कारण, जिनसे भूपेश हारे
1 सीएम रहते हुए राजनांदगांव की उपेक्षा
2 चुनाव प्रचार के दौरान मंच से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विरोध किया और इसका फायदा बीजेपी को मिला।
3 कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल पर चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम हितैषी का लेबल लगा।
4 राजनांदगांव में हिंदुत्व भी एक मुद्दा था और इसका खामियाजा पूर्व सीएम को भुगतना पड़ा।
5 कांग्रेस के बड़े नेताओं का विवादित बयान भी कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल की हार का कारण बना।
ज्योत्सना की छवि, अपनों का विरोध सरोज की शिकस्त
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राज्यसभा सदस्य और सामान्य सीट होने के कारण सुश्री सरोज पांडेय के लिए कोरबा लोकसभा एक अनुकूल सीट था, जो उन्हें यहां का टिकट मिला। पर कोरबा लोकसभा सीट में आमने-सामने की टक्कर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत और बीजेपी प्रत्याशी सरोज पांडेय के बीच थी। प्रत्याशी बनने के बाद सांसद सरोज पांडेय ने कोरबा लोकसभा सीट में विकास कार्यों की घोषणा की और फंड अलॉट किया। इसके बाद भी वो कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के तिलिस्म को नहीं तोड़ पाईं। ज्योत्सना महंत के निर्विरोध चेहरे, स्थानीय छवि की चुनौतियों के बीच अपनों का विरोध सरोज की शिकस्त के बड़े कारण बने।
वो पांच कारण, जिनसे सरोज को शिकस्त
1 दुर्ग से आकर कोरबा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सरोज पांडेय अपनी किस्मत आजमा रही थीं। उन पर बाहरी का टैग लगा और लोकल नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया।
2 सरोज पांडेय मतदाताओं को लुभाने और प्रचार-प्रसार करने के लिए अपनी टीम दुर्ग-भिलाई से लेकर आई थीं, जिसका स्थानीय नेताओं ने विरोध किया।
3 कोरबा के स्थानीय नेताओं के अलावा बीजेपी की बड़े नेता सरोज पांडेय के विरोध में थे। बीजेपी के नेताओं ने उनके लिए अपने-अपने स्तर पर विरोध किया।
4 कोरबा लोकसभा सीट में 27 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे और इन्होंने सरोज पांडेय का वोट काटा।
5 सरोज पांडेय अपने विवादित बयानों की वजह से भी मतदाताओं को नहीं लुभा सकीं।