रायपुर। राजधानी में गली के कुत्तों के खिलाफ क्रूरता बढ़ रही है और संभ्रांत लोग उन्हें बेरहमी से मार रहे है। टाटीबंध स्थित फार्च्यून सोसायटी के निवासी लाठी डंडे, जहर आदि से लैस होकर आवारा गली के कुत्तों को मारने सक्रिय रहते हैं। इतना ही नहीं वे भूखे मूक कुत्तों को खाना खिलाने वाले फीडरों को भी परेशान कर रहे है।
मूल निवासी होने का अधिकार
संविधान में पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम 1960 इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं. 2002 में हुए संशोधन के तहत आवारा कुत्तों को देश का मूल निवासी माना गया है. वह जहां भी चाहें वहां रह सकते हैं, किसी को भी उन्हें भगाने या हटाने का हक नहीं है.
जीने का अधिकार
पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 428 और 429 के तहत यदि आवारा कुत्ते के साथ क्रूरता की जाती है, उन्हें मारा जाता या है या वे अपंग हो जाते हैं तो ऐसा करने वाले को पांच साल तक की सजा हो सकती है.