कोरबा। ऐसे कई मौके आए, जब साऊथ ईस्टर्न कोलफिल़्डस लिमिटेड (एसईसीएल) प्रबंधन ने कोयला उत्पादन व परिवहन के नए कीर्तिमान बनाने का ढिंढोरा पीटा। अब अंतिम परिणाम के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में केवल 67 दिन शेष रह गए हैं। निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने प्रतिदिन 8.50 लाख टन कोयला उत्पादन करने की चुनौती है। तमाम कवायदों के बाद भी 6.41 लाख टन उत्पादन हो पा रहा। इसके बाद भी एसईसीएल के सीएमडी डा मिश्रा आकड़ो का खेल खेल कर डिपार्टमेन्ट के लोगो को उलझाने में लगे है।
कोल इंडिया की आठ कंपनियों में सबसे बड़ी एसईसीएल कंपनी पिछले दो साल से उत्पादन लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही। अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एपी पंडा की जगह डा प्रेमसागर मिश्रा को जनवरी 2022 में पदभार ग्रहण किया। उस वक्त कंपनी नंबर एक पोजीशन में थी। हालांकि उस वक्त भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सका था। जिस उम्मीद से कंपनी ने डा मिश्रा को एसईसीएल की जवाबदारी सौंपी थी, पर इसमें वे खरे नहीं उतर सके। वित्तीय वर्ष 2022-23 में महानदी कोलफिल्डस लिमिटेड (एमसीएल) अपना टारगेट पूरा कर आगे निकल गई और एसईसीएल दूसरे नंबर पर रह गई।
चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह उम्मीद की जा रही थी कि दो साल का कोर कसर इस बार पूरा कर लिया जाएगा, पर एक बार फिर निराशाजनक प्रदर्शन की स्थिति निर्मित हो गई है। एसईसीएल को वित्तीय वर्ष में 1970 लाख का लक्ष्य दिया गया है। अब तक 1445 लाख टन कोयला उत्पादन कर लिया जाना था, पर 1360 लाख टन ही हो सका है। इसकी भरपाई के लिए औसतन हर दिन जितना कोयले का उत्पादन किया जाना है. उससे 1.91 लाख टन कोयला कम उत्पादन हो रहा। सवाल यह उठता है कि आखिर जितनी ताकत अंतिम तिमाही में झोंकी जाती है, उतनी पहली तिमाही में ही जोर क्यों नहीं लगाया जाता।
नहीं सुलझ सके भू-विस्थापितों के विवाद
एसईसीएल प्रबंधन की इच्छाशक्ति की कमी की वजह से भू-विस्थापितों के विवाद सुलझ नहीं पा रहे। देश की सबसे बड़ी गेवरा कोयला खदान कोरबा में संचालित है। इसके अलावा दो मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा व दीपका भी यहीं है। ऐसा शायद ही कोई दिन जाता हो, जब किसी एक कोयला खदान में धरना प्रदर्शन न चल रहा हो। इससे हर साल प्रबंधन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा। हो यह रहा कि पुराना विवाद निपट नहीं रहा और इसका असर नए भू-विस्थापितों पर पड़ रहा। विवाद को देखते हुए नए भू-विस्थापित जमीन खाली नहीं कर रहे और प्रबंधन के समक्ष संकट की स्थिति बनी हुई है।
सीएमडी डा मिश्रा खेल रहे आंकड़ों का खेल
वर्ष 2022 से पहले तक एसईसीएल लगातार पांच साल तक लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन कर नंबर वन पर पहुंचने में कामयाब रही। ऐसे में उसके बाद से पदस्थ सीएमडी डा प्रेमसागर मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है। वर्ष 2023-24 में भी लक्ष्य पूरा नहीं होने पर ठीकरा उनके सिर ही फूटेगा। पिछले दो वित्तीय वर्ष यह देखा जा रहा है कि कमियों को दूर करने की जगह बीते वित्तीय वर्षों से तुलना कर उत्पादन में ग्रोथ के आंकड़ों का खेल खेला जा रहा। समझना यह होगा कि इस तरह के पैंतरेबाजी से देश की उर्जा जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता।
एमसीएल फिर मारेगी बाजी
ओडिशा की महानदी कोल फिल्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) को चालू वित्तीय वर्ष में 2040 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। कंपनी को अब तक 1574.3 लाख टन कोयला उत्पादन करना था, पर इस लक्ष्य को पार करते हुए कंपनी 1594.4 लाख कोयला उत्पादन कर चुकी है। वहीं एसईसीएल को अब तक 1445.7 लाख टन कोयला उत्पादन करना था, पर कंपनी 1360 लाख टन ही कोयला उत्खनन कर सकी है। इस तरह एसईसीएल अभी से एमसीएल से काफी पीछे है।