कटाक्ष

Ramayana and Mahabharata : दाग पर भारी टीआई की यारी ऑनेस्ट अफसर पर,जीएसटी की लीला.. करे लाल को पीला फिर पीला करे लाली..वाह रे उड़नखटोला तेरा है बड़ा क्रेज़,लक्ष्मी, वंदन और चुनावी चंदन…

दाग पर भारी टीआई की यारी ऑनेस्ट अफसर पर ..

जिले के एक दागदार टीआई और ऑनेस्ट अफसर की जुगलबंदी की चर्चा डिपार्टमेंट के गलियारों में हिलोरे मार रही है। टीआई की चर्चा “खाकी” द बिहार चैप्टर के एक्टर आशुतोष राणा से कर रहे हैं जो कहते हैं ” ऑनेस्टी बहादुरी औऱ सत्यनिष्ठा ये सब पुलिस डिपार्टमेंट का महंगा गहना है। जिसे कभी कभार पहन लेना चाहिए ” टीआई साहब पर चल रहे चर्चे के अनुरूप ही उनका किरदार रहा है।

वे जहां भी जाते है खाकी के किरदार को दागदार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। वैसे तो साहब है बड़े चर्चित!  याद तो होगा रतनपुर में इन्हीं साहेब ने पीड़ित महिला शिकायतकर्ता पर ही अपराध दर्ज कर पुलिस के डंडे का जोर और खाकी है कितना कठोर दिखाया था।

हालांकि साहब की आशा पर उस समय तुषारापात हो गया जब टीआई के करतूत मीडिया में वायरल हुई। आखिरकार उन्हें मुंह की खानी पड़ी और उन्हें एसपी ने सस्पेंड कर दिया। समय का पहिया घूमा और साहब ट्रांसफर में रायगढ़ पहुंच गए।

जिंदल नगरी पहुंचते ही बड़े साहब को झांसे में लेने का ऐसा जाल बुना कि साहब उनके सांचे में ढल गए। अब जब उनकी चलने लगी तो फिर जिले के सभी थानेदारों पर हुक्म चलाते हुए अपनों के खिलाफ भी लाठी भांजते दिख रहे हैं।

उनके भावनात्मक दबाव से थानेदार परेशान हैं। लेकिन, समस्या बताए तो बताए किसे क्योंकि साहब तो उन्हीं की हां में हां भर रहे हैं। तो सिर्फ दागदार टीआई और अफसर के जुगलबंदी की चर्चा के अलावा करें भी क्या..! जनमानस भी बड़े साहेब के सुर में “दाग अच्छे हैं” की लय में दिख रहा है।

जीएसटी की लीला.. करे लाल को पीला फिर पीला करे लाली

” सजा दो घर को गुलशन सा..मेरे सरकार आये हैं” के गीत को जीएसटी डिपार्टमेंट के सरकार सच साबित कर रहे हैं। शहर के शॉप में उनके कदम पड़ते ही व्यापारी कत्थक नृत्य करते हुए उनकी सेवा में सिर झुका लेते हैं। उनका खौफ शहर के व्यापारियों में खाकी से ज्यादा है।

खबरीलाल की माने तो साहब व्यापारियों को पहले दो चार पेटी का नोटिस थमा देते हैं और फिर इसके बाद होता है खेल शुरू।  बैंक खाता को सीज करने से लेकर टैक्स चोरी में जेल, नियम, कानून, वकीलों का खर्च बताते हुए लाभ से लाल हुए व्यापारियों को डरा डराकर पीला कर देते हैं।

उनके कानूनी डंडे से कमजोर दिल वाले की तो सुसाइड करने की नौबत सी हो जाती है। उसके बाद सेटिंग के लिए डिपार्टमेंट के बाबू और सीए सिफारिश मिलते ही साहब होठों पर लाली के साथ लौटते हैं।

कहा तो यह भी जा रहा है जीएसटी नोटिस के खेल में शहर के कुछ चार्टेड एकाउंटेंट भी बहती गंगा में डुबकी लगाने से नहीं कतराते और अपने व्यापारी भाइयों को साहब के सांठगांठ से चूना लगाकर काट रहे हैं।

वाह रे उड़नखटोला तेरा है बड़ा क्रेज़

चुनावी सभा में इस बार उड़नखटोला के साथ धुंवा ज्यादा और धार कम नजर आ रहा है। नेताओं की जनसभा में उमड़ने वाली भीड़ आज भी नेताओं की लोकलुभावन वादे नहीं बल्कि उड़नखटोला देखने दर्शक बनकर आती है।

इसका जीता जागता उदाहरण बांकीमोगरा में हुई आम सभा है। एक तरफ नेता भाषण देते रहे और दूसरी तरफ जनता कुर्सी उलटकर उड़नखटोला को ताड़ते हुए मीठे सपने बुन रही थी। पब्लिक के हेलीकॉप्टर प्रेम को देखकर राजनेता कहने लगे वाह रे उड़नखटोला तेरा आज भी बड़ा क्रेज..!

आम सभा में उपस्थित जनता के मनोभाव को समझा जाए तो वे यह कह रहे थे नेताओं का क्रेज तो घटते बढ़ते रहते रहता है साहब, लेकिन उड़नखटोला का क्रेज आज भी जनमानस के मन में है जो सभा स्थल तक खींच ले आता है।

सभा स्थल के कार्यकर्ता भी चुनाव कैम्पेनिंग कम और उड़नखटोला के साथ सेल्फी लेते ज्यादा नजर आ रहे थे। ठीक भी है जनमानस को लीडरों के वादों से क्या क्योंकि वे तो हरि ओम पॉवर की  कविता “मेरे दर से खाली लौटे राजनीति के उड़न-खटोले..धरती पर इतना धन कब है, जो मेरी खुद्दारी तौले”  को गुनगुना रहे थे।

रामायण और महाभारत

दूसरे चरण के मतदान में 4 दिन बाकी है। इसी चरण में कोरबा जिले की चारों विधानसभा में मतदान होगा। कोरबा में चुनावी कथा की शुरुआत शहर में रामकथा से हुई। बड़े बड़े बैनर और पोस्टर भी लगे… जिसे लेकर कुछ विवाद भी हुआ और रामकथा पूरी हो गई। मगर इसके बाद शुरु हुआ महाभारत….।

ऐसे हम इसलिए कह रहे हैं कि अगर आप जिले को चारों उम्मीदवारों पर नजर डाले तो सभी के नाम का नाता रामायण के प्रसंग से जुड़ा हुआ पाएंगे। जैसे पुरुषोत्तम, ननकी ”राम”, ”लखन” लाल और आखिरी में ”जय”।

रामयण की कथा राम के वनवास से शुरु होकर सोने की नगरी में उनकी जय के साथ पूरी होती है। मगर इस बार रामकथा में महाभारत का तड़का लगा गया है। आखिरी 4 दिनों के महाभारत में मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी दांव चल रहे हैं। इस बार बेचारी चुनाव संहिता की हालत द्रोपती जैसी हो गई है। देखने की बात ये होगी इस चुनावी महाभारत में कृष्ण किसके साथ हैं। जिसके साथ कृष्ण होंगे जय उसी की होगी।

लक्ष्मी, वंदन और चुनावी चंदन

दिवाली मनी..घर घर लक्ष्मी पूजन हुआ। मगर छत्तीसगढ़ में इस बार की दिवाली कुछ मायनों में खास रही। वैसे तो दिवाली साल में एक बार मनाई जाती है। मगर जब 5 साल वाली दिवाली की बात हो तो लक्ष्मी पूजन का महत्व कुछ ज्यादा होता है।

चुनावी साल है साफ एक बार सत्ता आई तो 5 साल दिवाली मनेगी। यही वजह है कि इस बार अन्नदाता किसान पिछे छूट गए हैं। उनको बोनस और कर्ज माफी का चढ़ावा दिया जा चुका है। अब बारी है लक्ष्मी पूजन, महतारी वंदन और 5 साल की दिवाली की।

वैसे तो म​हतारी वंदन योजना की पहले शुरुआत करके बीजेपी ने 5 ने साल वाली दिवाली की फटाखे पहले ही चला दिए मगर ठीक दिवाली के दिन कांग्रेस की ओर से जारी लक्ष्मी के साथ गृह लक्ष्मी वाला फटाखा बीजेपी के लक्ष्मी बम को फुस कर दिया।

जो भी हो इस चुनाव में मतदाताओं के माथे पर 12 हजार से 15 हजार तक के चुनावी चंदन के लेप लगाए जा रहे हैं। इस चुनाव ने पहली बार महिलाओं को भी ये आभास कर दिया है कि वो केवल वोटर नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ महतारी और गृह लक्ष्मी भी हैं। अब चुनाव में इनका आशीर्वाद किसे मिलता है ये 17 तारीख को पता चल जाएगा। तब तक इंतजार कीजिए।

       ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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