कटाक्ष

18 महीना और 5 थाना,नेता जी का तराना “अपनों में मैं बेगाना..50 में पोस्टिंग से निकलती है,पक ही गई बीरबल की खिचड़ी…

🔷18 महीना और 5 थाना, छा गए गुरु…

“I am a strangerstranger among :जिले के एक थानेदार की थानेदारी देखकर डिपार्टमेंट के असफर कहने लगे हैं वाह! आप तो छा गए गुरु…! दरसअल बात तिलकधारी थानेदार साहब की है जो 18 महीने कोरबा की नौकरी में 5 थाना का थानेदारी कर चुके हैं। अल्प समय मे थाना बदलने का रिकार्ड तोड़ने वे सबसे तेज अधिकारी बन गए हैं।

पुलिस के पंडितों की माने तो साहब किस्मत के धनी हैं जो आउट होने के बाद भी पिच पर उतारे जा रहे हैं। वैसे तो साहब हरफनमौला हैं वे अपने थानेदारी की चिंता छोड़ मौज में नौकरी करते हैं। यही वजह है कभी कभी सिंसियरलेस की वजह से उनके हाथ से थाना छीनता रहा है।

बाउजूद इसके किस्मत के दम पर साहब को हर बार एक से बढ़कर थाना मिलता रहा है। कोरबा के शुरुआती पोस्टिंग में साहब को पाली थानेदार बनाया गया। डिपार्टमेंटल ट्रांफ़सर लिस्ट जारी हुई तो उन्हें करतला का प्रभारी बनाया गया, फिर शहर किनारे पहुंचे उरगा उसके बाद ऊंची छलांग लगाकर कोयलांचल के सबसे बड़े थाना दीपका का थानेदार बने और अब साहब कटघोरा में थानेदारी कर दिन काट रहे हैं। उनके थानेदारी का रिकार्ड सुनकर डिपार्टमेंट तो डिपार्टमेंट पुलिस के जानकार भी हैरत में है और कहने लगे वाह छा गए गुरु…!

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🔷50 में पोस्टिंग से निकलती है महीनों मलाई

“I am a stranger among:खाकी के हमराज-हमप्याला कहे जाने वाले विभाग में 50 यानी आधा पेटी दो और मलाई वाले डिपार्टमेंट में पोस्टिंग आदेश लो.. की नीति ईमानदारी से निभाई जा रही है। इसके अलावा मासिक सेवा शुल्क अलग से..! नगर के जवानों की पहली पसंदीदा जगह माइनिंग है। क्योंकि खनिज विभाग में तैनाती यानी कैश फ्लो का बड़ा स्रोत माना जाता है। सो मंझे हुए सिपाही खनिज में पोस्टिंग करा कर अपना और अपने अधिकारियों के हाथ गीले करने में लगे हैं।

डिपार्टमेंट के सिपाहियों का दूसरा पसन्दीदा स्थान है यातायात। यातायात में भी बहुतायत चाय-पानी संग पेट्रोल पानी चलते रहता है, सो स्वाभाविक रूप से सैनिक यातायात में हाथ हिलाते और ट्रैक्टर मालिकों के साथ बैठकर मुस्कुराते नजर आ ही जाते हैं। वैसे तो शोर तो इस बात का भी है कि 5 महीने के लिए होने वाले पोस्टिंग में विभाग के बड़े साहब एक महीना बोनस के रूप में देते हैं। जिससे सैनिक गोपनीय खबर को बिना लीक किए अपना काम करते रहे और अफसर को नजराना देते रहे।

आईपीएल की तर्ज पर होने वाली ऑक्शन में शामिल होने के लिये सैनिक पहले अफसर के रूल फॉलो करने लगते हैं। खुफिया सूत्रों की माने तो वर्तमान में 14 सैनिक माइनिंग की सेवा कर मेवा खा रहे है। अगर बात ट्रैफिक की जाए तो यहां भी 6 वीर सिपाही सड़क पर सीटी बजा रहे हैं और थाने में लगभग 20 सैनिक “आएगा-आएगा..आएगा आने वाला ” गुनगुनाते हुए गेट की ओर टकटकी लगाए ताकते हैं। मतलब यह कि खेला करने वाले सूने में भी मेला लगा जाते हैं।

🔷नेता जी का तराना “अपनों में मैं बेगाना…”

किशोर कुमार का दर्दीला गीत “मतलबी है लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना, सोचा साया साथ देगा निकला वो बेगाना .बेगाना…अपनों में मैं बेगाना…”  सदाबहार नेताजी पर सटीक बैठ रहा है,जिनके राजनीतिक गुलशन की महक प्रतिद्वंदियों को रास नहीं आ रही। चुनावी चाणक्यों की माने तो प्रत्याशी के लिए ये दर्द भरे गीत चुनावी जख्म को ताजा करने के लिए काफी हैं।

क्योंकि टिकट मिलने के बाद भी पार्टी के बड़े लीडर साथ तो जरूर खड़े दिख रहे है लेकिन चुनावी वैतरणी को पार करने एकजुट नहीं दिख रहे हैं। मतलब शरीर साथ चल रहा है लेकिन आत्मा अंतरात्मा से मनन करने में लगी हुई है। ये बात अलग है कि नेता जी हौले हौले से चुनावी रंग मतदाताओं पर डालने में सफल हो रहे है। लेकिन, पार्टी के बेरंग जयचंद उनके रंग को फीका करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

कहा तो यह भी जा रहा कि पार्टी नेताओं के रुख ने उनके  उत्साह को धीमा कर दिया है। हालांकि चुनाव के रिजल्ट को पलटने के लिए एक आंधी की जरूरत है लेकिन, वो उम्मीद की आंधी कही नोट के गांधी में परिवर्तित हो गई तो जीती जीताई सीट हाथ से निकल जायेगी।

वैसे इस बात की भी चर्चा हिलोरे मार रही है कि चुनाव की कमान आने वाले दिनों में केंद्रीय चुनाव समिति के हाथों में होगी, जिससे पार्टी के बड़े लीडरों को एक सूत्र में पिरोकर जीत का मंत्र फूंकने के लिए पार्टी हाईकमान अनुशासन का डंडा हांकने से नहीं चुकेगी।

🔷पक ही गई बीरबल की खिचड़ी

आखिरकार बीरबल की खिचड़ी पक ही गई। आज दोपहर तक चुनाव आयोग 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। छत्तीसगढ़ में बीते 2 महीनों से कांग्रेस और प्रमुख विपक्षीदल बीजेपी के चुनावी खिचड़ी में आज चुनाव आयोग का तड़का लगने वाला है।

उम्मीदवारों की सूची की जारी करने में हो रही देरी से इस बार बीरबल की खिचड़ी देर से पक रही है। इस बार जिसका टिकट वितरण ठीकठाक रहा उसकी खिचड़ी का स्वाद सियायत वाला होगा, अगर बगावत और अदावत का तड़का इस खिचड़ी मेंं लगा तो तो सत्ता का स्वाद कड़वा हो सकता है।

जो भी चुनाव आयोग की आज होने वाली प्रेस कांफ्रेंस टिकट की दौड़ में शामिल भावी माननीयों को बैचेन कर रही है। ठंड का मौसम शुरु होने से पहले ही उन्हें कंपकपी छूटने लगी है।

       ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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