कटाक्ष

The killer will also be found: हंस के हिस्से में दाना और कौव्वा खाए मोती, हत्यारा भी मिलेगा और उनका राज भी.. माल महाराज का मिर्जा खेले होली,बदलाव की बात..

हंस के हिस्से में दाना और कौव्वा खाए मोती

एक्टर दिलीप कुमार के “गोपी ” पिक्चर का ये गाना रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना कौव्वा मोती खायेगा को जंगल विभाग के जाबांज ठेकेदार बखूबी चरितार्थ कर रहे हैं। कैम्पा मद से बन रहे तालाब हो या डीएमएफ से सड़क सभी काम में शहर के एक भाजपा नेता मलाई यानी मोती खा रहा है और हंस महज 26 पेटी के रेस्ट हाउस को रिवोनेशन कर दाना चुग रहा है।

वैसे कलयुग ही नहीं हर युग में जंगल के ज्यादातर कामों का कोई लेखा जोखा नहीं होता मतलब न खाता न बही जो अफसर लिख दे वही सही! लिहाजा वन विभाग के सप्लायर और ठेकेदार अफसरों से सांठगांठ कर जंगल मे मोर नचावा रहे हैं। विभाग के जानकारों की माने तो कोरबा वन मंडल के ज्यादातर मलाई वाले काम भाजपा नेता के नाम है।

हालांकि नए साहब के आने के बाद वे भी जैसा देश वैसा भेष को एडाप्ट करते हुए दो तीन ठेकेदार साथ लेकर आये हैं और उन्हें छोटे छोटे काम देकर पिच में टिके रहने का हुनर सीखा रहे हैं ताकि कोई गेंद समझ मे आए तो बड़ा शॉट लगाया जा सके। तभी तो वन विभाग के गलियारों में दाना चुगने वाले हंस की जगह कौव्वा के सियानेपन की चर्चा ज्यादा हो रही है।

हत्यारा भी मिलेगा और उनका राज भी

साउथ मूवी पुष्पा का प्रसिद्ध संवाद “मैं मिलेगा तो माल नहीं, माल मिलेगा तो मैं नहीं” को कोरबा पुलिस ने उलटकर कहा है “हत्यारा भी मिलेगा और उसका राज भी” । जी हां सहायक उप निरीक्षक की मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में हो रही देरी पर कई चर्चाएं आम हो रही है। कुछ लोग तो यह भी कहने लगे हैं कि आरोपी मिलेगा लेकिन, हत्या का राज नही!

इस पर कप्तान ने शांत रहकर हत्यारा भी मिलेगा और उसका राज भी का संदेश देते हुए हत्या के हर पहलू की कड़ी जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे कि सही आरोपियों को सजा मिल सके। हाँ ये बात अलग है कि जिस अंदाज में हत्या हुई है उसे सुलझाना दुष्कर, दुरूह, कठिनतम था लेकिन वो कहते है न पानी की लहरों में तो हर कोई तैर सकता है लेकिन इतिहास वही बनाते हैं जो लहर के विपरीत दिशा में तैरकर लक्ष्य प्राप्त करते हैं।

ठीक उसी तरह कप्तान ने हत्यारों की चुनौती को स्वीकार कर पूरी टीम के साथ खुद हर पहलु की जांच कर रहे हैं। उनका क्रिमिनल डिफेंस का तरीका और खाकी के जाबांजो की केमेस्ट्री स्लो सही लेकिन रंग ला रही है। ब्लाइंड मर्डर की कड़ी से कड़ी मिलाई जा रही है। अफसरों के नेतृत्व में टीमें हत्यारों के सुराग लगाने में जुटी है। कहते हैं कि मर्डर करने वाला कितना शातिर हो कुछ न कुछ सुराग तो छोड़ ही जाता है। जनचर्चा है कि अब आरोपी की गिरफ्तारी में देर नहीं है। जल्द ही हत्या करा राज सामने आ जाएगा।

माल महाराज का मिर्जा खेले होली

माल महाराज का मिर्जा खेले होली…. इस कहावत को इन दिनों जिला प्रशासन के एक सीईओ चरितार्थ कर रहे हैं। दरअसल राज्य सरकार के आदेश से पदस्थ सीईओ को कार्यालय में अटैच कर मण्डल संयोजक को मैदान में उतारा गया है। उनकी पोस्टिंग के साथ ही ट्रेनिंग के नाम पर डीएमएफ की भारी भरकम राशि भेजी गई। जिससे की प्रशिक्षण कराने वाले समाज सेवी संस्था से कोई सवाल न पूछ सके।

कहा तो यह भी जा रहा है कि मूल पोस्टेड अधिकारी ने प्रशासन के रंगढंग से तंग आकर न्यायालय की देहरी पर पग धर दिए हैं। हां ये बात अलग है कोरबा के महाराज जैसे उनके भाग्य बुलंद नही है जो कोर्ट जाते ही स्टे और जमानत ले आते, लेकिन प्रयास तो साहब भी कर रहे हैं। सफलता न मिल रही हो ये अलग बात है।

वैसे आईपीएल मैच की तरह जिले के राजा ने भी फील्ड सजा रखा है। उन्हें अच्छी तरह से हर फील्ड ऑफिसर यानी खिलाड़ियों की क्षमता-दक्षता की परख हैं। तभी तो कभी किसी अफसर से ओपनिंग कराते हैं और कभी किसी को साइड लाइन लगाकर उनकी कमजोरी भी बताते हैं.. अभी तो जमकर महाराज माल भेज रहे हैं और मिर्जा उसमें होली खेल रहे हैं। जिले में होली हमजोली का खेल पुराना है कई खिलाड़ी इसमें बिगबुल साबित हो चुके हैं। अब मिर्जा साहब की होली कब तक चलेगी ये देखने वाली बात होगी।

बदलाव की बात

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से पहले बदलाव की बात पर घमासान मचा हुआ है। दिल्ली में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुलाकात के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बदलाव की चर्चा है। इस संभावित बदलाव को लेकर अंबिकापुर विधायक व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं कांग्रेस जन घोषणा पत्र के अध्यक्ष टीएस सिंहदेव ने ही सवाल उठा दिया है। प्रदेश में काग्रेस की जीत के पीछे प्रमुख किरदार रहे टीएस सिहदेव को नही लगता कि प्रदेश संगठन में किसी तरह की बदलाव की जरूरत है।

लेकिन, दिल्ली से शुरु हुई कांग्रेस संगठन में बदलाव की बात ने प्रदेश की राजनीति को एक बार गरमा दिया है। सिंहदेव ने कहा, संगठन में फेरबदल को लेकर मुझे जानकारी नहीं है। पार्टी के सीनियर मंत्री कह रहे हैं कि इस बार 75 के पार। अगर ऐसा अनुमान है तो संगठन में बदलाव का औचित्य समझ के परे है। टीम अच्छा काम कर रही है तो बदलना क्यों ?

यानि सिंहदेव का सवाल कांग्रेस संगठन के साथ प्रदेश सरकार के कामकाज से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में सिंहदेव के सवाल के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। दरअसल कांग्रेस में होने वाले संभावित बदलाव के पीछे रायपुर में हुए इस फैसले से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस अपने संगठन में 50 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं दलितों आदिवासी और युवाओं को देगी। अब प्रदेश संगठन में आगामी होने वाले बदलावों में इन नियमों का ध्यान रखा जाएगा। खैर जो भी हो प्रदेश कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले बदलाव पर सिंहदेव के सवाल पर काग्रेस के अंदर पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

Related Articles

Back to top button