रायपुर

CG Mahila Aayog : महिला आयोग की 3 सदस्याओं पर मानहानि का शिकंजा…! अधिवक्ताओं ने भेजा लीगल नोटिस…15 दिन का अल्टीमेटम

'अनधिकृत' कहे जाने पर भड़के वकील

रायपुर, 15 अक्टूबर। CG Mahila Aayog : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में जारी विवाद अब कानूनी मोड़ ले चुका है। आयोग की सदस्याएं लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी को दो अधिवक्ताओं द्वारा मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा गया है। साथ ही उनके निज सहायक धर्मेंद्र ठाकुर को भी इस नोटिस में नामित किया गया है।

पत्रकार वार्ता बनी विवाद की जड़

दिनांक 07 अक्टूबर 2025 को महिला आयोग की इन तीनों सदस्याओं ने एक प्रेस वार्ता आयोजित की थी, जिसका प्रकाशन और प्रसारण 08 अक्टूबर को सभी प्रमुख समाचार माध्यमों प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो अधिवक्ताओं को ‘अनधिकृत व्यक्ति’ कहकर संबोधित किया गया था। यह शब्द अब विवाद का कारण बन गया है, क्योंकि कानूनी जानकारों के अनुसार ‘अधिवक्ता कभी अनधिकृत नहीं हो सकता’, और ऐसा कहना सीधे तौर पर मानहानि के दायरे में आता है।

अधिवक्ताओं का पक्ष

अधिवक्ता शमीम रहमान और अधिवक्ता अखिलेश कुमार ने कहा है कि वे वर्ष 2020 से महिला आयोग में विधिक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं और उनका कार्य पूरी तरह आधिकारिक रहा है। इसके बावजूद, उन्हें जानबूझकर बदनाम करने का प्रयास किया गया। उनका आरोप है कि आयोग की सदस्यों ने प्रेस वार्ता, सोशल मीडिया और यहां तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग के व्हाट्सऐप ग्रुप में भी उनका नाम, फोटो और अपमानजनक टिप्पणी साझा कर सार्वजनिक रूप से उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की है। यह साइबर अपराध की श्रेणी में भी आता है।

लीगल नोटिस की मांगें

नोटिस में अधिवक्ताओं ने मांग की है कि, सात दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगी जाए। माफीनामा प्रिंट, सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित व प्रसारित किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो वे सभी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करेंगे।

आर्थिक विवाद भी सामने

अधिवक्ता अखिलेश कुमार ने यह भी बताया कि उन्हें आयोग से प्रति सुनवाई ₹1500 मानदेय मिलता था, जो अब तक लगभग डेढ़ लाख रुपये बकाया है। इस बकाया मानदेय के लिए उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की हुई है।

15 दिवस का अल्टीमेटम

अधिवक्ताओं ने साफ कर दिया है कि यदि 15 दिनों के भीतर तीनों सदस्या और उनके सहायक द्वारा लिखित माफी नहीं दी गई, तो वे न्यायालय में मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

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