High Court is Strict : गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों पर हाईकोर्ट सख्त…! शिक्षा सचिव को किया तलब…अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को
कोर्ट ने कहा- नर्सरी स्कूल खुल रहे जैसे गली-मोहल्लों में पान की दुकानें

रायपुर, 18 सितंबर। High Court is Strict : प्रदेश में बड़ी संख्या में गैर-मान्यता प्राप्त नर्सरी और प्राइमरी स्कूलों के संचालन को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। बुधवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि, नर्सरी स्कूल गली-मोहल्लों में ऐसे खुल रहे हैं जैसे पान की दुकानें।
कोर्ट ने शिक्षा विभाग की ओर से पेश कार्रवाई रिपोर्ट को असंतोषजनक मानते हुए प्रदेश के शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
जनहित याचिका में उठाए गए अहम मुद्दे
यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता भगवंत राव द्वारा एडवोकेट देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर की गई थी। याचिका में दो प्रमुख मुद्दों को उठाया गया- निजी स्कूलों द्वारा कमजोर वर्ग के बच्चों को RTE के तहत प्रवेश न देना। बड़ी संख्या में बिना अनुमति चल रहे प्राइमरी व नर्सरी स्कूल, जो बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए खतरा हैं।
कोर्ट की तीखी टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट रूप से कहा, 2013 से ही नर्सरी स्कूलों को मान्यता लेना अनिवार्य किया गया था। अगर आज भी बिना अनुमति स्कूल चल रहे हैं, तो यह सीधा अपराध है। केवल कागज़ों पर कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं है, व्यवहारिक स्तर पर सख्त कदम जरूरी हैं।
शासन का जवाब कोर्ट को नाकाफी लगा
राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत कार्रवाई रिपोर्ट को कोर्ट ने असंतोषजनक करार दिया। कोर्ट ने पूछा, अब तक कितने गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल चिन्हित किए गए? उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? पिछली सुनवाई में दिए गए निर्देशों का पालन हुआ या नहीं? इन सवालों के स्पष्ट उत्तर न मिलने पर अदालत ने शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत रूप से 17 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया है।
अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को
इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को होगी। इससे पहले सरकार को, प्रदेशभर के गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची और स्थिति रिपोर्ट, की गई कार्रवाई की विवरणात्मक जानकारी और आगे की कार्ययोजना अदालत में पेश करनी होगी। माना जा रहा है कि इस सुनवाई में प्रदेश के सैकड़ों अवैध स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई की दिशा तय हो सकती है।
हाईकोर्ट की सख्ती से साफ संकेत मिल रहे हैं कि अब शिक्षा व्यवस्था में अनियमितताओं पर कोई रियायत नहीं दी जाएगी। गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों और RTE कानून के उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ ठोस और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को कोर्ट ने प्राथमिकता दी है।