
कोरबा। प्रतिष्ठा का चुनाव कहा जाने वाला अग्रवाल सभा चुनाव इस बार पवन वर्सेज पवन की जंग के लिए याद किया जाएगा। दिलचस्प मुकाबले में ज्योति इलेक्ट्रॉनिक के संचालक पवन ने 10 वोट से जीत दर्ज कर समाज के खेवनहार बनने का ताज पहन लिया, लेकिन असली चर्चा हारने वाले पवन (नेता जी) की है। नगर में जनमानस मज़े लेते हुए तंज कस रहे है “अरे भाई, अदृश्य शक्ति भी इस बार काम न आई…समाज के मतदाता ने सबक सिखा दिया।”
अदृश्य शक्ति की ‘बैटरी डाउन’
चुनाव से पहले खूब हल्ला मचा था कि नेता जी के पीछे अदृश्य शक्ति खड़ी है। लेकिन जैसे ही मतपेटी खुली, अदृश्य शक्ति की बैटरी डाउन हो गई। नतीजा ये कि नेता जी का चुनावी गणित गड़बड़ा गया और समाज ने जैसे कह दिया “बोलने से पहले सोच लिया करो।”
बिगड़े बोल, बुरी पोल
समाज के लोग खुलकर कह रहे हैं कि नेता जी की हार का असली कारण उनका बिगड़ा हुआ बोल है। चुनाव प्रचार में दिए गए उनके तेवर और बयान ही उनके लिए आत्मघाती साबित हुए। लोग मजाक में कह रहे हैं – “नेता जी चुनाव हारें नहीं, अपने ही बोलों की तलवार से घायल हो गए।”
पवन ने खेला दांव, जनता ने किया विश्वास
विजयी पवन ने सादगी, सहजता और लोगों से बने विश्वास के सहारे चुनाव जीता। 10 वोट का अंतर भले ही छोटा लगे, लेकिन इसका संदेश बड़ा है समाज अब अदृश्य शक्तियों पर नहीं, साफ छवि और व्यवहार पर भरोसा करता है।