
कोरबा। गरीबों को समय पर राशन उपलब्ध कराने की सरकारी योजनाएं कोरबा जिले में संचालकों की मिलीभगत से पंगु होती नजर आ रही हैं। जिले की कई सरकारी राशन दुकानों में चावल वितरण को लेकर भारी गड़बड़ी सामने आ रही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, कई राशन दुकान संचालकों ने आपस में सिंडिकेट बना लिया है और जरूरतमंदों को मिलने वाला चावल राइस मिलर्स को बेच दिया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्हें तय तारीखों पर राशन नहीं मिल पा रहा है, वहीं गोदामों से चावल गायब होने की घटनाएं भी बढ़ गई हैं। इसके पीछे एक संगठित नेटवर्क की भूमिका बताई जा रही है, जिसमें दुकान संचालक, मापतोल कर्मचारी और कुछ मिलर्स की मिलीभगत उजागर हुई है।
लंबी लाइनों के बावजूद खाली हाथ लौट रहे ग्रामीण
सरकारी राशन के भरोसे जीने वाले ग्रामीण रोजाना दुकान के बाहर लाइन लगाते हैं, लेकिन अधिकांश बार उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि “चावल खत्म हो गया है” या “अभी ट्रक नहीं आया”। जबकि हकीकत यह है कि चावल समय पर आता है लेकिन उसे गुपचुप तरीके से बाजार या राइस मिलर्स को बेच दिया जाता है।
प्रशासन मौन, जिम्मेदारों की चुप्पी सवालों के घेरे में
चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे घटनाक्रम की जानकारी स्थानीय प्रशासन को होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। खाद्य विभाग और आपूर्ति शाखा के अधिकारियों की चुप्पी से संदेह और गहराता जा रहा है।
राशनकार्ड धारियों ने की जांच की मांग
कुछ जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह गरीबों के अधिकारों का सीधा हनन है और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
जरूरत है जवाबदेही की
सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी है। यदि समय रहते प्रशासन नहीं चेता, तो यह सिंडिकेट गरीबों की थाली से निवाला छीनता रहेगा।
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