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The letter has arrived: कप्तान के आदेश पर थानेदार भारी,न नियम न कायदा सिर्फ फायदा..पहले आशीर्वाद अब, विवेकानंद इंस्टीट्यूट , शराब घोटाला: आबकारी में बारी.बारी

समरथ को नहिं दोष गुसाईं… कप्तान के आदेश पर थानेदार भारी

समरथ को नहिं दोष गुसाईं…कुछ ऐसी रामायण पुलिस महकमें में चल रही है। असल में कप्तान के तबादला आदेश पर थानेदारों की यारी भारी पड़ रही है। ट्रांसफर आदेश के बाद भी रिलीव नहीं होने से पुलिसिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल 19 मार्च को हुए ट्रांसफर आदेश अब शिथिल है। हालांकि चौकी प्रभारियों के रिलीविंग शुरू हुई है। उनके पदभार ग्रहण के बाद थानेदार टेंशन में आ गए हैं।

वैसे तो आपसी सहमति से थानेदार जो जहां है वहां ईमानदारी से ड्यूटी कर रहे हैं उनकी चर्चा विभाग में अक्सर होती रहती है। विभागीय सूत्रधारों की माने तो ट्रांसफर आदेश को कुछ दिनों के लिए शिथिल किया गया था। लेकिन, आईजी की बैठक के बाद एसपी के आदेश पर अमल शुरू हो गया है।

ट्रांसफर के परिपालन में चौकी प्रभारियों ने नए जगह पर ज्वाइन कर लिया है। अब पुराने तबादला को लेकर मलाईदार थाना के थानेदार टेंशन में आ गए है। क्या पता कब साहब के आदेश के पालन में कहीं थानेदारी छोड़ना पड़ जाए तो बंधा बंधाया हिसाब पर ग्रहण लग जाएगा। वैसे कहा तो यह भी जा रहा कि आईजी के आदेश के बाद रिलीविंग की नीति को गति मिली है।

हालांकि जनमानस टीआई ट्रांसफर की चर्चा करते हुए कह रहे है कि थानेदार.. एसपी तो छोड़िए पीएचक्यू के आदेश को भी मानने तैयार नहीं हैं। जिले की पुलिसिंग को समझते हुए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं की अब थानेदार कप्तान से ज्यादा पॉवर फुल हो गए हैं।

न नियम न कायदा सिर्फ फायदा…

 

खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए बने डीएमएफ में न तो न नियम देखा जा रहा और न ही कायदा, देखा गया तो सिर्फ अपना फायदा!
अब अमीर धरती के गरीब लोग वाली सरकार नहीं है अब सबके साथ सबका विकास..की बात हो रही है। सरकार बदली तो नारे भी बदल गए। यानि अमीर धरती से होने वाली कमाई अफसरों के फायदा और नेताओं का विकास और कल्याण तक सिमट गई। डीएमएफ फंड की मनमानी खर्ची अफसरों के शौंक और रुतबा बन चुकी है।

अब संजय नगर अंडर बायपास ब्रिज को ही ले लिजिए बेजाकब्जा धारियों को कब्जा छोड़ने के लिए डीएमएफ से बतौर मुआवजा लगभग 3 करोड़ बांटा गया। खनिज न्यास मद  के जानकारो की माने तो डीएमएफ से मुआवजा बंटाने का कोई नियम ही नहीं है, इसे खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास में खर्च किया जाना था। लेकिन डीएमएफ पर उच्च अफसरों का पहरा है और अफसर अपने हिसाब से इसे खर्चते रहे हैं। अगर नियम कायदा को छोड़ अपना फायदा देखकर मुआवजा बांटा गया तो ये कोई नई बात थोड़े ही है।

 

पहले आशीर्वाद अब, विवेकानंद इंस्टीट्यूट 

 

 

कांग्रेसी अक्सर कहते रहे है भाजपा बनाती नहीं बेचती है। ये बाते कोरबा नगर निगम क्षेत्र में सच साबित हो रही है..क्योंकि तत्कालीन भाजपा महापौर ने आशीर्वाद भवन को किराए दिया था। लीज धारक ने आशीर्वाद भवन के आशीर्वाद से होटल आशीर्वाद खड़ा कर लिया। अब मैडम संजू की सरकार ने रिसदी  में 10 करोड़ की लागत से निर्मित विवेकानंद इंस्टीट्यूट को भी किराए में दे दिया है।

नगर निगम में कांग्रेस काबिज हो या भाजपा दोनों ने मिलकर आम जनता के टैक्स से भरे सरकारी खजाने को दोनों हाथ से उड़ाया है । या यूं कहे निगम के पास न तो कोई रीजन है और न कोई दूरदर्शी विजन!. यही वजह है कि ठेकेदार अपने हिसाब से स्कीम लेकर आते है और विकास के साथ अफसरों का कल्याण कर जाते है। जनमानस के जहन में सवाल कौंध रहा है क्या रिसदी में 10 करोड़ के नव निर्मित भवन को किराए देने के लिए बनाया गया था ? स्कूल संचालक को फ्री में इन्फ्रास्ट्रक्चर और जमीन मिलने के बाद तो ऐसा लगता है कि मानो निगम सरकार अमित पर मेहरबान है।

 

शराब घोटाला: आबकारी में बारी.बारी

 

छत्तीसगढ़ में हुए हजारों करोड़ के शराब घोटाला मामले की परतें अब उधेड़ने लगीं हैं। मंत्री, नेता, आईएएस और शराब सिंडिकेट के नामीगिरामी चेहरे पहले से जेल में बंद हैं। हालत ये है कि कुछ घोटालेबाज बेल में और बाकी जेल में हैं। अब इसकी आग आबकारी अफसरों तक पहुंच गई है।

EOW की चार्जशीट में जिन अफसरों के नाम आए हैं उनमें से 21 अफसरों के खिलाफ सरकार अभियोजन चलाने की मंजूरी दे चुकी है। शराब घोटाला के अहम कड़ी इन्हीं अफसरों में उलझी हुई है जिसे सुलझने में EOW की ओर से कोई मुरव्वत नहीं मिलने वाली है।

चार्जशीट में जिन अफसरों के नाम आए हैं उनमें कई लोग करोड़ों की प्रापर्टी के मालिक बन चुके हैं। ये प्रापर्टी कहां से आई इसका हिसाब भी EOW की ओर से मांगा जाएगा। और बात नहीं बनी तो गिरफ्तारी वाला फार्मूला लागू होगा। यानि एक मौज मस्ती के दिन अब खत्म हो गए..। EOW कभी भी इन्हें लपेटे में ले सकती है।

खबरीलाल की मानें तो EOW के पास अफसरों की कुंडली पहले से तैयार है अब तो दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मिल चुके हैं। इन अफसरों के बाद विभाग के कुछ और लोग इसकी चपेट में आने वाले है। EOW की चार्जशीट में कुछ नाम जल्दी शामिल होने वाले हैं।

 

चिट्ठी आई है..

 

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में इस वक्त दिल्ली से आई एक चिट्ठी की जबरा चर्चा है। पीसीसी का एक तबका.. पंकज उधास की गजल..बड़े दिनों के बाद…..चिट्ठी आई है..से खुश है तो दूसरी तबका खामोश है। कुछ दबी जुबान जरूर चुगली करती मिली मगर उसका असर राजीव भवन से बाहर नहीं आ पाया।

असल में पीसीसी चीफ दीपक बैज को हटाए जाने की चर्चा चल रही थी, लेकिन, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से प्रदर्शन से खुश राहुल गांधी ने उनकी तारीफ कर डाली। फिलहाल इस तारीफ को दीपक बैज को जीवन दान मिलने वाला बताया जा रहा है। ​लिहाजा बैज के करीबी नेता संविधान बचाओ यात्रा के साथ पद बचाओ अभियान में पूरी ताकत लगा रहे हैं। आज जांजगीर चांपा में इसकी शुरुआत होनी है।

अगर जांजगीर चांपा में उम्मीद के अनुसार भीड़ जुटी तो फिर दीपक बैज के लिए आगे की पारी आसान हो जाएगी..नहीं उन्हीं की टीम के कुछ लोग हिट विकेट कर सकते हैं। फिलहाल तो खुशी इस बात की है चिट्ठी आई है..अब इसका मजमून क्या है तो दिल्ली वाले ही बता पाएंगे।

            ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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