
Viral: मध्य प्रदेश के पन्ना से एक चौंकाने वाला वीडियो वायरल हुआ है। यहां रैपुरा तहसील के अंतर्गत बघवार कला गांव में शराब दुकान खोलने के विरोध में ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी है। ग्रामीणों की एकजुटता और विरोध को देखते हुए प्रशासन हरकत में आया और स्थानीय तहसीलदार चंद्रमणी सोनी स्वयं गांव पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका बयान अब विवादों में घिरता जा रहा है।
ग्रामीणों का एकजुट विरोध
बघवार कला के ग्रामीणों ने शराब दुकान खोले जाने का जोरदार विरोध किया है। गांववालों का कहना है कि शराब दुकान से सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा, अपराध बढ़ेंगे और युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ेगा। महिलाओं ने विशेष रूप से दुकान के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए कहा कि इससे घरेलू हिंसा और शराब सेवन जैसी समस्याएं और बढ़ेंगी। विरोध के कारण प्रस्तावित दुकान अब तक चालू नहीं हो पाई है।
तहसीलदार ने दिया तर्क
ग्रामीणों को समझाने पहुंचे तहसीलदार चंद्रमणी सोनी ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं शराब से मिलने वाले राजस्व से संचालित होती हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों को मिलने वाला राशन, मध्याह्न भोजन, छात्रवृत्ति, सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवाइयां जैसी योजनाएं इसी राजस्व से संभव हो पाती हैं। यदि शराब दुकानें नहीं खुलेंगी तो सरकार को राजस्व हानि होगी और ऐसी योजनाओं के बंद होने की स्थिति बन सकती है।
तहसीलदार ने यह भी कहा कि शराब पीने वाले चोरी-छिपे पी ही रहे होंगे, इसलिए दुकान खोल देना उचित रहेगा जिससे सरकार को राजस्व मिले और अवैध बिक्री पर अंकुश लग सके। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि निजी भूमि पर दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो शासन द्वारा सरकारी भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने शराबबंदी की जरूरत को तो स्वीकार किया, लेकिन साथ ही मध्यप्रदेश में शराबबंदी की व्यावहारिकता पर भी प्रश्न उठाए।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
तहसीलदार चंद्रमणी सोनी की ग्रामीणों को समझाने की यह पूरी बातचीत कैमरे में कैद हो गई, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में तहसीलदार को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “शराब से मिलने वाले टैक्स से ही गरीबों के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं।” इस बयान पर आम जनता से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं तक ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों ने इस बयान को असंवेदनशील करार दिया है तो कुछ ने इसे सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करने वाला बताया है।