पुलिस में “ऑल इज वेल”..!
आचार संहिता के बीच निरीक्षण पर उर्जाधानी पहुंचे आईजी ने मानो कह दिया “ऑल इज वेल”..! 2009 में एक फ़िल्म आई थी “थ्री इडियट” जिसका गीत… “तो बोलो भैया ऑल इज वेल” ! ठीक इस गीत की शैली में आईजी साहब का निरीक्षण रहा। नई सरकार में नए पोस्टिंग और लॉ एंड ऑर्डर को भांप कर शांत रहकर ये संदेश मानो साहब दे गए कि जिले में सब कुछ ठीक चल रहा है..ऑल इज वेल है।
वैसे तो साहब का कोरबा से पुराना नाता है और वे शहर की तासीर के साथ साथ वसूली में माहिर थानेदारो के भी जानकर हैं। साहब को पास से जानने वाले अफसरों की माने तो बड़े साहब बोलते कम और समझते ज्यादा है। इसका अर्थ है कि साहब का दौरा व्यर्थ नहीं है वे सब कुछ समझकर तो कोरबा से गए जरूर है लेकिन रिवर्स शॉट अभी बाकी है।
वैसे चर्चा साहब के “दरबार” पर भी है बुद्धजीवी वर्ग कहने लगे हैं “दरबार” शब्द में राजा महाराजा वाली फिलिंग है। आशय यह कि अभी तक पुलिस विभाग सामंती विचारधारा से उबर नही पाया है। बहरहाल जब तक सब कुछ ठीकठाक है तब तक मुस्कुराइए और थ्री इडियट की गीत ….और भैया ऑल इज वेल… गुनगुनाइए..!
गुड़ खा रहे अफसर और मार खा रहे टेक्निकल टीम
छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है “गुड़ खाए गंगू और मार खाए टुकना” इस कहावत को जिला स्तर अधिकारी बखूबी निभा रहे हैं। आवास निर्माण में श्रेय अफसर के खाते में जा रहा है और बिना वेतन के इंजीनियर बैठक के साथ ही साथ पब्लिक में भी प्रताड़ित हो रहे हैं। दरअसल आवास निर्माण के लिए जिला लेबल के अधिकारी ने टेक्निकल टीम को नोडल नियुक्त किया है। नोडल अधिकारियों के कंधे पर आवास निर्माण को पूरा करने की जिम्मेदारी है। सो अफसर 41 डिग्री तापमान में जंगल के गली कूचे की खाक छान रहे हैं।
और मेजरमेंट को छोड़ बीई डिग्री वाले उपअभियंता को लेबर का काम करना पड़ रहा है। इसके बाद भी प्रोग्रेस के नाम पर जिला स्तर के उच्च अधिकारी की डांट फटकार और वेतन रोकने की परंपरा से तकनीकी अमले का नैतिक ह्वास हो रहा है। ऐसे में बिना वेतन के काम और अधिकारियों के प्रेसर से उप अभियंता डिप्रेशन का दंश झेलने के लिए विवश हैं।
इससे पहले भी एक जिला सीईओ के द्वारा फील्ड में काम करने वाले टेक्निकल टीम पर दबाव बनाया गया था। जिसमें एक होनहार इंजीनियर को ब्रेन हैमरेज हुआ और उन्हें जान गंवानी पड़ी थी। आवास निर्माण के लिए जिस लेबल का टार्चर टेक्निकल टीम को किया जा रहा है, उससे अनहोनी की आहट सुनाई देने लगी है। इंजीनियरों पर हो रहे टार्चर को लेकर जानकर भी चिंतित हैं। सारी परिस्थितियों को लेकर लगता है ..” गुड़ खाए गंगू और मार खाए टुकना” की कहावत दोहराई जा रही है।
MP’s pain in Korba: यार ने ही लूट लिया “थाना” यार का,DMF की आंच में झुलसेगा वन विभाग..तुम्हीं ने दर्द दिया तुम्हीं दवा देना,तेरे पास क्या है… भाई मेरे पास….
जेल में जन्नत, एसपी ने मारा छापा तो मांगने लगे मन्नत..
सूबे के एक जिला जेल में चल रहे जन्नत पर एसपी ने पानी फेर दिया। जब कप्तान सदलबल के साथ जेल पहुंचे तो गुंडे बदमाश मन्नत मांगने लगे। घटना दुर्ग की है। कड़क कप्तान की छठी इंद्री ने जेल में बड़े खेल होने का आगाह किया। साहब ने सुबह होने से पहले टीम को एक्टिव किया और 160 लोगों के साथ भोर में ही साढ़े चार बजे जिला जेल पहुंच गए। जेल के अंदर का सीन देखकर साहब चकित थे और साहब को देखकर महफिल सजाने वाले बेहोश।
जैसा सोचा था अंदर का जादू का पिटारा वैसा ही निकला। बैरक के अंदर सट्टा किंग काजू बादाम खा रहे थे और छुटभैये गुंडे पैर दबा रहे थे। कहा तो यह भी जा रहा वीवीआईपी सुविधा देने के नाम पर जेल के प्रहरी रकम लेकर जन्नत दिखा रहे थे। राजधानी के जेल में हर रात कुछ न कुछ हंगामा होने की खबरें आम रहती है।
मतलब साफ है पैसे वालों की जेल में भी जमकर चल रही है। जिसका खुलासा दुर्ग एसपी के छापे से हुआ है। वैसे जेल को जन्नत बनाने वाले वीआईपीयों पर लगाम कसने के लिए हर जेल में छापे की जरूरत है। ताकि जन्नत मानने वाले कैदी मन्नत मांगकर दिन काट सके।
हुई महंगी बहुत ही शराब की थोड़ी-थोड़ी पिया करो !!
31 मार्च की तारीख गुजर गई और आज 01 अप्रैल है। कलैंडर के अनुसार आज से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो गई है। ये सरकार के लिए नया साल सेलिब्रेट का मौका है। यानि कुछ छूट और कुछ लूट…इसका मतलब आप समझे कि नहीं चलिए हम आपको बताते हैं। 01 अप्रैल की तारीख शराब प्रेमियों के लिए सरकार की ओर अप्रैल फूल गिफ्ट है।
आज से सरकारी ठेकों में शराब मंहगी मिलेगी। सरकार ने शराब के रेट बढ़ा दिए हैं। और आबकारी विभाग बिना देर किए आदेश जारी कर दिया। देशी शराब में प्रति पाव 10 रुपए और अंग्रेजी शराब के दाम में 20 से 300 रुपए महंगी हो गई है।
चुनाव का मौसम है जिसमें शराब के बिना गाड़ी नहीं बढ़ती। खबरीलाल की मानें तो मार्च में चुनाव लड़ने और लड़ाने वालों ने आबकारी से सेटिंग करके बोतले स्टाक पूरा लिया है। अब शराब महंगी हो या सस्ती ये छूटने से रही। और मयखाने के दीवानों के लिए मशहूर गजल गायक पंकज उदास ने ये गजल भी लिख छोड़ा है..हुई महंगी बहुत ही शराब की थोड़ी-थोड़ी पिया करो !! इसमें सरकार का क्या कसूर…।
विरोध के लिए 375 काफी नहीं
होली गुजर गई मगर चुनाव का रंग और गहरा गया। बस्तर में इसी महीने 19 तारीख को वोट डाले जाएंगे,अगले चरण राजनांदगांव में चुनावी तिहार होगा। इन दोनों सीट से दो बड़े मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। बस्तर में कवासी लखमा और राजनांदगांव में खुद पूर्व सीएम की साख दांव पर लगी है।
प्रदेश के लोगों का कांग्रेस से मोहभंग हो गया है, उस पर पार्टी की अंदरूनी कलह नेताओं की खीज को बढ़ा रही है। जैसे जैसे चुनाव की सरगर्मी बढ़ रही है वैसे वैसे वो अपना आपा खोते जा रहे हैं। हालत से हो गई है कि कुछ सूझ नहीं रहा है।
बस्तर में कवासी लखमा नोट बांटने लगे तो राजनांदगांव में बघेल अपना गुस्सा ईवीएम और चुनाव आयोग पर निकाल रहे हैं। बघेल का ये कहना कि अगर राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 375 से अधिक कैंडिडेट होंगे तो निर्वाचन आयोग को राजनांदगांव में बैलेट पेपर से मतदान करवाना होगा। इसी खीज का नतीजा है।
क्या चुनाव में विरोधी का पटखनी देने के लिए 375 से अधिक कैंडिडेट खड़ा करा देने भर से चुनाव जीता जा सकता है….जी नहीं विरोध के लिए 375 का आंकड़ा काफी नहीं है। जनता के बीच अपने काम का हिसाब भी देना होगा। केवल चुनाव आयोग और ईवीएम पर खीज निकलने से जीत मिल जाती तो हर बूथ से एक उम्मीदवार चुनाव में ताल ठोंकता मिलता…और कैंडिडेट की संख्या 375 क्या हजारों में होती।