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Why is the minister not happy? ये कैसी थानेदारी, सड़क में बवाल और टीआई की पहरेदारी,राजस्व अधिकारी लगे” राम राम” जपने..नौ दिन चले अढ़ाई कोस,दूर तलक की बात…

ये कैसी थानेदारी, सड़क में बवाल और टीआई की पहरेदारी..

धन्ना सेठो का शहर कहे जाने वाले नगर की थानेदारी पर बवाल मचा हुआ है। वैसे तो साहब कड़क पहरेदारी का स्वांग रचते रहते हैं लेकिन, जब नेताओं ने सड़क पर आंदोलन किया और भीड़ बेकाबू हुई तो साहब की चतुराई धरी की धरी रह गई। उनकी पब्लिक के बीच बनी इमेज से पुलिस महकमे में चर्चा होने लगी.. भाई ये कैसी थानेदारी, टीआई तो कहते हैं कड़क हैं पहरेदारी तो आंदोलन और जाम लग क्यों रहा है ? कहा तो यह भी जा रहा है कि नगर पुलिस के आशीर्वाद से नशे का व्यापार भी जोरो पर है।

कहते है बॉस मेहरबान तो कोई भी हो सकता है पहलवान.! ये बातें पॉवर सिटी के आउटर के थानेदारो पर फिट बैठता दिख रहा है। कटघोरा की थानेदारी तो सिर्फ पीआर यानी पुलिस की छवि का ब्रैंडिंग के सहारे चल रहा है। यही कारण है कि सड़क दुर्घटनाओं में लगातार वृद्धि के बाद भी साहब मूंछ में ताव देकर सिंघम बनने का प्रयास कर रहे है। कहा तो यह भी जा रहा कि कटघोरा में हुए आंदोलन ने जब राजनीतिक बयानों का तीखा रुप धारण किया तो साहब खुद सड़क पर उतरे और मोर्चा संभाला। साहब की समझाइश के बाद सड़क में मचा बवाल तो थम गया लेकिन टीआई की पहरेदारी पर प्रश्नचिंह खड़ा हो गया है। हाल फिलहाल का यह पहला ऐसा मामला है जिसमें आंदोलनकारियों पर एफआईआर दर्ज नही हुआ है। खाकी के दोहरी नीति को लेकर  शहर में खाकी की छवि अलग अलग तरीके से उकेरी जा रही है।

मुंगेरीलाल के सपने, राजस्व अधिकारी लगे” राम राम” जपने

 

मुंगेरीलाल के सपने देखने वाले कागज के मकान मालिको के सपने चकनाचूर हो गए हैं और कागज में मकान का मुआवजा बनाने वाले राजस्व अफसरों ने अंतिम चरण में राम राम जपना शुरू कर दिया है।

 

बात एसईसीएल के लिए अधिग्रहीत जमीन से विधिविरुद्ध क्षतिपूर्ति राशि डकारने की है। राजस्व अफसरो के संगठित गिरोह ने भूमाफियाओं की मदद से 152 मकान कागज में खड़े कर दिए। वो भला हो दीपका क्षेत्र वीर बहादुर युवक की जिसने धमकियां मिलने के बाद भी मामले को सीबीआई तक पहुंचा दिया। क्षतिपूर्ति राशि में घोटाले की शिकायत मिलते ही सीबीआई की टीम मालगांव पहुंची और दस्तावेज जब्त कर लिए गए। सेंट्रल एजेंसी की एंट्री के बाद तत्कालीन एसडीएम और तहसीलदार के हाथ पांव फूल गए और कागजी मकान पर मुंगेरी लाल के सपना देख रहा राजस्व अमला राम राम जपने लगा है। उनका भगवान का नाम जपना भी स्वाभाविक है क्योंकि अब दस्तावेजी प्रमाण से उन्हें सिर्फ भगवान राम ही बचा सकते है। कहा तो यह भी जा रहा कि जिले में पदस्थ कई थानेदार और राजस्व अफसर के रिश्तेदारों ने भी कागज में मकान खड़े किए थे।

ये बात अलग है कि घोटाले के मास्टरमाइंड जायसवाल बंधु के ख्याली फूलाव का मजा कितने अफसरो ने लिया इसका पर्दाफाश होना शेष है।

 

निगम का काम, नौ दिन चले अढ़ाई कोस 

 

 

नगर निगम के होनहार इंजीनियरों के काम काज की समीक्षा की परीक्षा में असफल अफसरों की अफसरी पर नौ दिन चले अढ़ाई कोस की धीमी गति पर कतई चकित नहीं हैं क्योंकि निगम प्रशासन की कार्यशैली की यह प्रमुख पहचान है।

 

बात शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले सीएसईबी चौक  गायत्री मंदिर से टीपी नगर अनमोल मोटर्स तक बनने वाली नाली की कर रहे है। 8 महीने के लिए हुए अनुबंध के काम को 20 महीने बाद भी पूरा नही  किया जा सका है। सूत्रधार की माने तो 1 करोड़ 71 लाख रुपये की लागत से बनने वाली नाली के लिए ठेकेदार को 8 महीने का समय दिया गया था। 8 महीने का समय तो छोड़िए यहां तो 20 महीने गुजर गए और नाली निर्माण का काम अब भी  अधूरा है।

 

नाली निर्माण की कछुआ चाल से अफसर और ठेकेदार तो मालामाल है लेकिन दुकानदार और सड़क पर गुजरने वाले जनमानस का मन परेशान है। बारिश होते ही शहर का पानी और कचरा दोनों सड़क पर तैरते नजर आते है लेकिन इससे निगम के अफसरों का क्या… उनका अपना काम करने का विजन और रीजन क्लियर है विकास के  साथ अपना कल्याण..! सो अपने रीजन पर फोकस करते हुए नाली को शहर के लिए गाली बना रहे है। बावजूद इसके मजाल है कोई खद्दरधारी नेता निगम अफसरों पर उंगली उठाए।

निगम की नीति और नेताओं की रीति को समझते हुए जनमानस में शोर है सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं..और.. घोर हैं !

 

मंत्री क्यों खुश नहीं..

 

सरगुजा के हिल स्टेशन मैनपाट में आज से भाजपा का प्रशिक्षण शिविर शुरु हुआ। जोर शोर से तैयारियां हुई..संगठन के जिन नेताओं को इसका जिम्मा मिला, वो ये सोच कर खुश हैं कि दिल्ली से आए नेताओं के सामने अपना नंबर बढ़ाने का बढ़िया मौका मिला। लेकिन, कुछ ​मंत्रियों के चेहरे उदास हैं..बीजेपी में कहीं खुशी तो कहीं गम वाला माहौल है।

पिछले दिनों दिल्ली से पहुंचे पार्टी संगठन के नेताओं ने प्रदेश बीजेपी की बैठक ली..। इस बैठक में पार्टी के आगामी कार्यक्रम की चर्चा ​हुई साथ ही दबी जुबान में मंत्रियों की शिकायतें भी..। तब कयास लगाए जा रहे थे कि, कैबिनेट विस्तार और फेरबदल में कुछ माननीय बदले जाएंगे। लेकिन, मामला पेंडिंग रह गया।

अब जब मैनपाट में पूरी सरकार संगठन के कदमताल करने वाली है तब उन मंत्रियों के चेहरे खिंचे हुए हैं जो कार्यकर्ताओं की नाराजगी वाली हिट लिस्ट में हैं। प्रशिक्षण शिविर में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक शामिल होंगे।

शिविर में सरकार के साथ उनके मंत्री और संगठन की पूरी कुंडली तैयार होगी। इस कुंडली में जिनके ग्रह गोचर उच्चभाव में होंगे उनके दिन बदल जाएंगे और जिन पर शनि महाराज की कोप दृष्टि होगी वो सावन में बाबाधाम यात्रा पर जा सकते हैं।

 

दूर तलक की बात

छत्तीसगढ़ का करोड़ों रुपए का शराब घोटाला… बोतल में बंद शराब की तरह बह बहकर प्याले से बाहर आ रहा है। पहले शराब सिंडिकेट और अब आबकारी विभाग के अफसर, भ्रष्टाचार की इस धार में फिसलते जा रहे हैं। दो दिन पहले ईडी फिर ईओडब्ल्यू और एसीबी की जांच टीम जिस तरह लाल कपड़े में लपेट कर दफ्तरी वाले अंदाज में जांच का पुलिंदा लेकर कोर्ट पहुंची थी, उससे एक बात आइने की तरह साफ हो जाती है कि जांच निकली है तो वो दूर तलक जाएगी।

जांच टीम का दावा है.. करोड़ों रुपए के इस घोटाले को केवल शराब कारोबारी, नेता और मंत्री मिलकर अंजाम नहीं दे सकते, इसमें आबकारी विभाग के उन अफसरों की मिलीभगत है जो सीधे तौर पर सरकारी ठेकों में शराब बिक्री के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन ठेकों पर बिकने वाली शराब का हिसाब किताब भी उन्हीं के पास होता है।

अगर ठेकों पर बिकने वाली शराब का हिसाब किताब सही तरीके से होता तो.. करोड़ों रुपए का घोटाला नहीं होता। इस मामले में 28 आबकारी अफसरों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति जांच एजेंसी को पहले ही मिल चुकी है। अब कोर्ट की नोटिस तामिल होने के बाद इन अफसरों को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने में कोई परेशानी नहीं है। खबरीलाल की मानें तो अगली पेशी से पहले कुछ अफसरों को जांच एजेंसी कस्टडी में लेने वाली है। ये लिस्ट कितनी लंबी होगी..पता नहीं..।

       ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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