कई पेशे, जैसे एयर होस्टेस या आर्मी मैन, ऊंचाई के मानक मापदंडों पर आधारित होते हैं। इन भूमिकाओं के लिए सही और स्थिर ऊंचाई का मापन महत्वपूर्ण है। अक्सर देखा गया है कि इन नौकरियों के लिए ऊंचाई का मापन शाम के समय किया जाता है। ऐसा क्यों? चलिए समझते हैं इसके पीछे का विज्ञान।
हमारी रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) सोते समय रिलैक्स रहती है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण का दबाव कम होता है। यह स्थिति रीढ़ की डिस्क को फैलने देती है, जिससे सुबह उठते समय ऊंचाई सामान्य से थोड़ी अधिक हो सकती है। जैसे-जैसे दिन गुजरता है, खड़े होने और चलने की वजह से गुरुत्वाकर्षण का दबाव स्पाइन को संकुचित कर देता है, जिससे ऊंचाई में हल्की कमी आ जाती है।
जब उम्मीदवारों की ऊंचाई का मापन किया जाता है, तो शाम का समय इसलिए चुना जाता है क्योंकि यह समय ऊंचाई को स्थिर दर्शाता है। सुबह मापी गई ऊंचाई दिनभर की गतिविधियों से प्रभावित हो सकती है, जिससे वास्तविक ऊंचाई का आकलन करना मुश्किल हो जाता है। शाम को मापी गई ऊंचाई व्यक्ति की स्थायी ऊंचाई के करीब मानी जाती है।
ऊंचाई जैसे मापदंड भर्ती प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा हैं, खासकर उन पेशों में जहां फिजिकल फिटनेस जरूरी होती है। शाम को ऊंचाई मापने से यह सुनिश्चित किया जाता है कि मापन निष्पक्ष और वास्तविक हो। यह प्रक्रिया नियोक्ताओं को सही उम्मीदवार चुनने में मदद करती है, जो पेशे की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।