कटाक्ष
थानों में विभीषणगिरी, तीन की तिकड़ी में नौनिहालों के… निजात हो या मुक्ति, स्वर्गिक आनंद… राकेश की ‘जय’ विकास भी ‘उत्तम’… झूपत झूपत,झूपने लगे ….
थानों में विभीषणगिरी सख्त पुलिसिंग पर भारी…
थानेदारो में चल रही गुटबाजी से सख्त पुलिसिंग पर भारी पड़ रही हैं। विभाग के पंडितों की माने तो कुछ थानेदार लंबे समय से कोरबा जिला में पदस्थ है और वे कई थानों में थानेदारी कर चुके हैं। लिहाजा उनके विभीषण भाई लोग थाने में एक्टिव है जो नए थानेदारो के हर क्रियाकलापों पर नजर रखे है और खास रहे थानेदारों को पल-पल की खबर दे रहें हैं। तभी तो जिले के हर थाना प्रभारी अपनी कुर्सी छोड़ दूसरो की कुर्सी गिराने में जान की बाजी लगा रहे हैं। वैसे तो दर्री सर्कल के तीन थानों को छोड़ एल्युमिनियम कंपनी वाले थाने के लिए मारामारी सबसे अधिक है। लिहाजा इन चारों थानो के लिए अभाव , प्रभाव और दबाव की रणनीति के साथ साम,दाम, दण्ड, भेद का भी उपाय किया जा रहा हैं। वैसे जिले के एक तेज तर्रार अधिकारी भी इन दिनों चर्चा में है जिन्हें आईना दिखाने पर…. धमकी देते फिर रहें हैं। खैर उनको भी ये पता है चिल्लाने और धमकाने से झूठ को सच साबित नहीं किया जा सकता। तभी तो लोग यही कह रहे हैं ” ईक दिन बिक जाएगा माटी के मोल…”
तीन की तिकड़ी में नौनिहालों के भविष्य की केमेस्ट्री…
वैसे तो ये कहावत आम बोल चाल में आपने सुना ही होगा कि तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा! यह सच भी है ऐसे दूसरे अन्दाज में यह भी कहा जा सकता है जब मिल बैठे तीन यार आप मैं और…! ये बाते इन दिनों शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों पर सटीक बैठ रहा हैं क्योंकि शिक्षा विभाग में भी तीन लोगो तिकड़ी है जो शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिए हैं। इन तीनो की तिकड़ी खरीदी , पोस्टिंग और अटैचमेंट के गुणा गणित में नई केमेस्ट्री करते रहते हैं। शिक्षा विभाग के पंडितो का तो कहना हैं कि इन तीनो अधिकारियों को देश के नौनिहालों की पढ़ाई से कोई लेना-देना नहीं हैं इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने निहाल होने से मतलब हैं। चर्चा तो इस बात की भी है कि हाल में हुए शिक्षकों की ट्रांसफर लिस्ट में नाम जोड़ने में भी खेला हुआ है और तो और जनाब एक ऐसे शिक्षक का भी ट्रांसफर कर दिया गया हैं जिस स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक पदस्थ हैं। जिस तरीक़े से तीन की तिकड़ी ने ट्रांसफर में काम किया है उससे तो ये होना ही था। खैर जिस अंदाज में तीनों की जोड़ी विभाग में काम कर रही हैं उससे कर्मचारी ” सलामत रहे ये दोस्ताना हमारा का गाना गुनगुना रहे है”
निजात हो या मुक्ति.. स्वर्गिक आनंद के मजे इनसे पूछिए…
देश भर में नवरात्र पूजन के साथ रामलीला का मंचन हो रहा है। शहर के बालको में भी रामलीला मैदान में रामलीला चल रही है। और जिले के एसपी निजात अभियान चला रहे हैं तो इस नवरात्र रामलीला में निजात अभियान का जलवा देखने को मिलेगा।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहते हैं – “वत्स नशा से परिवार का पतन हो जाता है और नशे को जो भी जीवन में अपनाता है वो धन और धर्म दोनों गंवाता हैं।” इस प्रसंग के बाद रामलीला मैदान दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता हैं और कप्तान के प्रयास की तारीफ के पुल बांधते नहीं थक रहे हैं।
वैसे तो मंदिर , पंडाल और गरबा में खुद कप्तान सुरक्षा का जायजा लेने के साथ लोगो से नशा छोड़ने की अपील कर रहे हैं और नशा से होने वाले दुष्परिणामों को बता रहे हैं। उनके सामुदायिक पुलिसिंग के कार्यों को सराहना तो मिल रही है, पर नए अंदाज से चल रहे जागरूकता अभियान को पब्लिक का आशीर्वाद भी मिल रहा है।
कहा तो यह भी जा रहा है इस बार साहब की पहल का अनुकरण दूसरे जिले के अधिकारी करने के मूड में हैं। लेकिन, नाम बदलकर। अपने ब्रांड को लांच करने के लिए हो सकता है नाम को बदलकर ” मुक्ति ” रख दें।
अब मुक्ति हो या निजात नाम में क्या रखा है.. स्वर्ग से ज्यादा सुख नशा छोड़ने के बाद लोगों से मिलने वाले अपनत्व, सम्मान किस तरह बरसता है यह मजा नशेड़ी से शरीफ आदमी बन गए लोगों से पूछिए।
राकेश की ‘जय’ विकास भी ‘उत्तम’, कोरबा में बदला नजारा