टीआई ट्रांसफर.. चुनावी उपहार
लोकसभा चुनाव के बाद जिला स्तर पर होने वाले तबादले में कुछ थानेदारों को चुनाव गिफ्ट मिलने वाला है। इलेक्शन के बाद कप्तान को थानेदारों के ट्रांसफर का पहला मौका मिलने वाला है। सो साहब ने गुड वर्करों की लिस्ट तैयार कर ली है। उनके गुड बुक में आने वाले ट्रेलर दिखाने वाले थानेदारों को फिल्म दिखाने का अवसर मिलने वाला है। कहा तो यह भी जा रहा है कि बेस्ट वर्करों की टीम को बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट मलाईदार थाना मिलने वाला है, जो खाकी की इमेज को सुधारने का काम करेंगे और पब्लिक को सपोर्ट करेंगे।
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विभागीय सूत्रों की माने तो 14 जून के आसपास स्थानांतरण सूची जारी की संभावना है। स्थानांतरण होना है तो किसी को मजा तो किसी को सजा तो बनती है। विभाग में चल रही चर्चा की एक सुर में ताल देते हुए कह रही है कि नदी उस पार यानी कोयलांचल के एक थानेदार की छुट्टी हो सकती है। उनके स्थान पर रक्षित केंद्र से थानेदारी का राह देख रहे टीआई को पदस्थ करने की बात महकमे में चल रही है।
रही बात देश की शान कहे जाने एल्युमिनियम प्लांट की तो बालको थाने के लिए कतार बड़ी है , मगर साहब कुर्सी छोड़े तो..! अब बात अगर सरहदी थानों की जाए तो उसमें भी फेरबदल की संभावना है। जो भी पर ट्रांसफर की बात से खाकी के खिलाड़ियों के सितारे जगमग हो गए हैं।
चूनचंदों से प्रश्न.. दो मंत्री और 6 विधायक, क्या नहीं थे चुनाव जिताने लायक
कोरबा संसदीय क्षेत्र में दो मंत्री और 6 विधायक होने के बाद भी चुनाव नहीं जीता पाए। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद समीक्षा से पहले पब्लिक की समीक्षा एक सवाल छोड़ गई है कि ” दो मंत्री और 6 विधायक क्या नहीं थे चुनाव जिताने लायक….!” उनका ये सबक उचित भी है क्योंकि चुनाव कार्यकर्त्ता और नेताओं के भरोसे लड़ा जाता है और जब भरोसा टूटता है तो समीक्षा भी दर्दनाक होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो लोकसभा चुनाव निपट गया लेकिन अपने पांव के अटपटे चिन्ह भी छोड़ गई। वैसे तो चुनाव का शाब्दिक अर्थ ही होता है “चुनकर आओ” लेकिन यही अर्थ यदि “चूना लगाओ” हो जाये तो मामला उलट पड़ जाता है “चूना लगाना” भी एक मुहावरा है। राजनीति में एक दल दूसरे दल पर चूना लगाते है। यहां तक तो सही है लेकिन, अपने ही दल वाले यदि चूना लगाने लगे तो बात वही हो गई ” हमें तो अपनो ने लूटा ग़ौरो….!
यह चुनाव दीदी बनाम भाभी के बीच रहा। दीदी मतदाताओं का दिल तो नहीं जीत सकी पर भाभी के भरोसे भैया छा गए..। इस हार जीत में खास बात यही रही कि दीदी को उसके अपने ” भाई” लोग ले डूबे । मोदी की लहर तो पूरे राज्य भर में चली लेकिन दीदी की कश्ती वही डूब गई जहाँ अपने पार्टी को चूना लगाने वाले एकजुट हो गए।
कहा जा रहा है कि अब शोले की शैली में इसकी सजा बराबर मिलेगी। कब मिलेगी यह समय के गर्त में है। बहरहाल सरकार बनने के बाद हार जीत का मूल्यांकन होगा। जिसमें चूना लगाने वाले चूनचंदों की पहचान की जाएगी, लेकिंन पब्लिक ये प्रश्न “दो मंत्री और 6 विधायक क्या नहीं थे चुनाव जिताने लायक” का उत्तर भी तो देना होगा।
उड़नदस्ता.. सोने के दिन चांदी की रातें
कहते है जब नीयत खोट हो तो गलत काम भी सही लगता है। नीयत में खोट और ओवरलोड की इस पंक्ति को परिवहन विभाग के अफसर चरितार्थ करते हुए दोनों पब्लिक का विश्वास तोड़ने में लगे हैं। वैसे तो खनिज संपदाओं से परिपूर्ण कोयले की नगरी में खनिज संपदाओं की लूट मची है लेकिन, बात खनिज परिवहन करने वाली गाड़ियों का की जाये तो गिट्टी अकलतरा खदान से बिना रायल्टी के कोरबा सप्लाई हो रहा है। इसके लिए बाकायदा हर खनिज जाँच नाका में ट्रक चालक नजराना पेश करते हैं।
ये बात अलग है नजराना भी चेहरा देखकर लिया जाता है। अब बात अगर परिवहन विभाग के उड़नदस्ता की जाये तो इन महानुभावों के पास एक लाल डायरी है जिसमे ट्रांसपोर्टरों लेखा जोखा है , जिसमें शहर के छोटे बड़े सभी ट्रांसपोर्टरों का काला चिठ्ठा है। इसी लाल डायरी के हिसाब किताब के आधार पर माह के प्रथम सप्ताह में ही निर्धारित स्थलों पर वसूली की जाती है।
यही हाल कोयला और राख परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टरों का है जो बेहिचक ओवरलोड गाड़िया सड़कों पर सिर्फ इसलिए है दौड़ा रहे हैं क्योंकि ” बँधा-बँधाया हिसाब ,आपसी सेटिलमेंट…! कहीं दस परसेंट कहीं बीस परसेंट फिक्स है। डिपार्टमेंट के जानकारों की माने तो स्वतंत्र प्रभार वाले डीटीओ की पोस्टिंग न होने से उड़नदस्ता टीम की फ़िलहाल चांदी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि ट्रांसपोर्टरों से प्रोटक्शन मनी लाखों में वसूली जा रही है। यही वजह है कि ऊर्जा नगरी की एक्स्ट्रा ऊर्जा ने साहेब को बेबस कर एक टिकट पर दो पिक्चर देखने पर विवश कर रखा है।
दो दूनी एक..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले कांग्रेस में बैठकों का दौर हुआ। कार्य समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आग्रह पर सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का चेयरपर्सन चुन लिया गया। दूसरे बड़े घटनाक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए एक लाइन में प्रस्तावित किया गया।
हालांकि कि राहुल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार नहीं दिखें वो ये मीटिंग में ये कह कर बात को आगे बढ़ा दिए कि उन्हें सोचने का वक्त चाहिए…। राहुल की दुविधा ये है कि वो वायनाड और रायबरेली दोनों से जीतकर आए हैं। ऐसे में पहले इस बात का फैसला करना मुश्किल होगा कि वो किस सीट का प्रतिनिधितत्व करेंगे। ऐसे में दो दूनी एक वाली बात होगी।
वायनाड छोड़ा तो केरल में पार्टी नाराज होगी और रायबरेली छोड़ना उनके लिए आसान नहीं होगा। करीब 15 साल बाद यूपी में इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सीटों का सूखा खत्म हुआ है। और यहीं सवाल राहुल के लिए दुविधा बन गया है। ऐसे में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के लिए उन्हें सोचने के लिए वक्त तो लगेगा। राहुल के सामने कुल जमा सवाल तो ये वो चाहे वायनाड चुने या रायबरेली..उत्तर तो दो दूनी एक..ही आना है।
लोरमी में भाजपा का डबल इंजन
रविवार को जब राष्ट्रपति प्रांगण में मंत्रियों को शपथ दिलाने की खबर आई तो लोगों में प्रदेश की 11 में से 10 सीट पार्टी को दिलाने वाले छत्तीसगढ़ के कोटे के उस चेहरों की चर्चा शुरु हो गई जिसे इस बार मोदी कैबिनेट में मंत्री पद मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद थी। पूर्व सीएम भूपेश बघेल को बड़े अंतर से हराने वाले संतोष पांडेय, दूसरी बार दुर्ग से जीतकर आए विजय बघेल और सर्वाधिक मतों से जीतकर पहुंचे अनुभवी नेता बृजमोहन अग्रवाल को मंत्री पद मिलने उम्मीद थी।
मगर दोपहर में पीएमओ से आए एक फोन काल ने कईयों को चौंका दिया। बिलासपुर से पहली बार संसद चुनकर लोकसभा में पहुंचे तोखन साहू केंद्रीय राज्य मंत्री बन गए। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इसे बीजेपी का प्रयोग कहे या संयोग..मगर लोरमी के तो भाग्य की खुल गए। लोरमी विधायक अरुण साव पहले ही प्रदेश में डिप्टी सीएम का पद संभाल रहे हैं अब लोरमी के एक ग्राम पंचायत में पंच से अपना पालिटिकल करियर शुरु करने वाले तोखन साहू केंद्र में मंत्री बन गए हैं। यानि लोरमी में भाजपा का डबल इंजन ट्रैक पर तैयार हो गया है।
खबरीलाल की मानें तो विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी को ओबीसी वोट बैक के एक तरफा समर्थन का जो पेंज फंसा हुआ था उसे बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने पर सुलझा लिया। अरुण साव को सीएम नहीं बनाने से नाराज साहू समाज की नाराजगी तोखन साहू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाकर दूर कर दी। हालांकि छत्तीसगढ़ में लोग इसे बीजेपी नेतृत्व के चौंकाने वाले फैसले के रूप में देख रहे हैं मगर अंदरूनी बात तो बीजेपी के नेता भी जानते थे।
खैर उम्मीद की जानी चाहिए कि लोरमी में भाजपा का डबल इंजन बिलासपुर जिले के विकास को नई पटरी पर लेकर जाएगा। मुंगेल कवर्धा रेल लाइन समय पर पूरा होगा और कल कारखाना भी खुलेंगे। और मोदी की गारंटी का लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा।
✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा