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CG NEWS: बारिश का ब्रेक, तेजी से घट रही जमीन की नमी.. संकट में उच्चहन भूमि की फसल…

रायपुर। पत्तियों की संख्या कम। निकल रही पत्तियों का आकार भी छोटा। कंसे निकलने की अवस्था में आ चुके धान के पौधों में आ रहा यह बदलाव सूखा की चपेट में आने का साफ संकेत माना जा रहा है। खतरा उच्च भूमि पर ली गई फसल में सबसे ज्यादा इसलिए है क्योंकि यहां दरारें पड़ने लगीं हैं।

 

सूरज खूब तप रहा है। तेजी से गायब हो रही है नमी। बीते एक पखवाड़े से बारिश पर ब्रेक के बाद अब धान की फसल खतरे के घेरे में आती नजर आ रही है। संकट सबसे ज्यादा, ऊंची भूमि पर है क्योंकि दरारें साफ नजर आने लगीं हैं। जबकि मध्यम भूमि की नमी तेजी से घट रही है। गहरी भूमि में जल जमाव घटते क्रम पर है।

संकट में उच्चहन भूमि

उच्चहन भूमि में लगी हुई फसल सबसे ज्यादा खतरे में इसलिए है क्योंकि ऐसी भूमि की जल धारण क्षमता बेहद कमजोर होती है। सिंचाई के साधन नहीं हुए, तो संकट दोगुना होने की आशंका इसलिए बन रही है क्योंकि वर्षा आधारित ऐसी भूमि में अब दरारें बढ़ रही है। यह स्थिति सीधे-सीधे उत्पादन को निश्चित ही प्रभावित करेंगी।

नमी गायब हो रही यहां भी

मध्यम और निचली भूमि के खेतों की फसल भी संकट के घेरे में आती नजर आ रही है क्योंकि मध्य भूमि में जल जमाव का क्षेत्र तेजी से सिमट रहा है, तो गहरी यानी निचली भूमि में पानी अब किनारे छोड़ते नजर आने लगे हैं। ऐसे क्षेत्र के किसान सिंचाई साधनों का सहारा लेने के लिए विवश हो रहे हैं।

कंसे निकलने की आई अवस्था

समय पर बोनी की गई फसल अब कंसे निकलने की अवस्था में आ गईं हैं। पौधों की अवस्था और मौसम पर नजर रख रहे कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कंसों की संख्या कम है। इसके अलावा पत्तियों का मानक आकार भी ना केवल छोटा है बल्कि उनकी भी संख्या प्रति पौधे कम ही है। बढ़वार की धीमी गति भी आशंका को बढ़ा रही है।

वर्षा आधारित खेतों के लिए संकट

वर्षा आधारित खेतों के लिए यह तेज धूप सूखे की वजह बन सकती है। सिंचाई साधन वाले खेतों के लिए नमी बनाए रखने की व्यवस्था करनी होगी। दरारें नहीं आने पाए। इसका ध्यान विशेष रूप से रखें।
– डॉ दिनेश पांडे, साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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