सतरेंगा का ये रिसॉर्ट किसका..!!
सतरेंगा में बन रहे आलीशान रिसोर्ट की चर्चा शहर से लेकर प्रदेश में धूम मचा रही है और जनमानस पूछने लगे है ये रिसोर्ट है किसका…! दरअसल बात जलाशय के किनारे के लगभग 6 एकड़ में बन रहे रिसॉर्ट की है। संवर रहे रिसॉर्ट के बीच की जमीन सरकारी होने की बात भी सुर्खियां बटोर रही है।
खबरीलाल की माने तो सरकारी जमीन पर चल रहे निर्माण कार्य को मैनेज करने पिछले दिनों एक बकरा पार्टी का आयोजन हुआ जिसमें ग्रामीणों को सामूहिक भोज कराकर कुछ समझदार लोगों को लिफाफा गिफ्ट किया और कुछ को कंबल दान..! जमीन के जानकारों की माने तो रिसोर्ट निर्माण कराने वाले पूर्ववर्ती सरकार के वो पॉवर फूल लोग है जिनकी सरकार में तूती बोलती थी।
लेकिन, सत्ता अब रही नही सो चोरी चोरी चुपके चुपके कार्य कराया जा रहा है। इस बात का डर है कहीं सरकार को रिजॉर्ट के असली मालिक की खबर लग गई तो बैठे बैठाए निर्माण में ग्रहण लग जाएगा।
खैरभवना में बन रिजॉर्ट में किसी प्रभावशाली महिला अफसर का हाथ और उनके शागिर्दों का साथ होने की बात कही जा रही है। चर्चा तो इस बात की भी है कि आदिवासी की जमीन पर बन रहे रिसोर्ट में पैसा किसका है क्योंकि जिस ढंग से रकम खर्च की जा रही है उससे किसी बेनामी संपत्ति होने से इंकार नही किया जा सकता।पूर्ववर्ती सरकार में मलाई काटने वाले तो इशारों ही इशारों पर कहने लगे हैं “लोचा लफड़ा और जलेबी फाफड़ा इसे गुजराती की लाइफ से कोई निकाल नहीं सकता।”
उच्च प्रशासनिक सेवाओं में वन नेशन कार्ड की झलक
एक देश एक कानून को लेकर सरकार कितनी कड़क है इसका अनुमान सूबे में हुए आईपीएस पोस्टिंग से लगया जा सकता है। हाल ही में हुए आईएएस और आईपीएस पोस्टिंग में लोकल फॉर वोकल के संगम को दरकिनार करते हुए पूर्वांचल और मध्यांचल के अधिकारियों की भूमिका को महत्व दिया गया है।
वैसे तो हर स्टेट के राजा का अपना विजन और रीजन होता है और उनके विजन को धरातल पर साकार करने के उस धरती के दर्द समझने वाले-माटी पुत्रों का तिलक किया जाता है ताकि सरकार का विकास धरातल पर साकार हो।
नई सरकार का विजन भी राज्य को छोड़ विकसित भारत का निर्माण करना है सो स्वभाविक है जो सरकार के सपनों को साकार कर सके ऐसे अफसरों को चुन चुन कर धरातल पर काम करने के लिए उतारा जाए ताकि जनता से किए संकल्पों की सिद्धि की जा सके। ये बात अलग है सरकार के आईपीएस पोस्टिंग पर कुछ लोग तंज भी कसने लगे है और कहने लगे है कहाँ है- “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़..!”
कहा तो यह भी जा रहा है कि इस तत्कालीन सरकार में विधायकों से ज्यादा पॉवरफुल अधिकारियों को बनाया जा रहा है। इसका अंदाजा बजट में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पीछे बैठे सत्ताधारी दल के विधायक से लगाया जा सकता है जबकि प्रेस कांफ्रेंस में अफसर सामने बैठकर फ़ोटोशूट करा रहे थे। सरकार के ट्रांसफर पोस्टिंग के बाद यह कहने में किंचित मात्र अतिश्योक्ति नहीं है कि छत्तीसगढ़ियावाद से बढ़कर राष्ट्रवाद की छाया दृष्टिगत होने लगी है।
IPS का काम,हमेशा रहेगा याद…
किसी ने सही कहा है, नाम में क्या रखा है,आदमी नाम से नहीं काम से याद रखा जाता है । ये पंक्ति युवा आईपीएस अफसर और दर्री सर्किल के सीएसपी पर सटीक बैठती है। उन्होंने न सिर्फ काम के प्रति समर्पित अधिकारी की छवि बनाई बल्कि अर्से पुराने मर्डर मिस्ट्री को सुलझा कर साबित कर दिया कि खाकी जब ठान ले तो उड़ते परिंदे के भी पर गिन सकती है। उनका कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा। उनके ट्रांफ़सर होने के बाद पुलिस विभाग और जनमानस में एक बात की चर्चा है कि क्या ऐसा अधिकारी फिर दर्री को मिलेगा या साहब का कार्यकाल सिर्फ यादों में सिमट जाएगा।
वैसे तो दर्री सर्किल पूर्ववर्ती सरकार में अवैध कार्यो से राजस्व वसूली का मलाई वाला सर्किल बन गया था। जिसे स्वच्छ छवि और निडर आईपीएस की कार्यशैली ने खाकी की छवि को निखार कर जनजन के दिलों में राज किया। वैसे तो दर्री के पूर्व सीएसपी रहे पूजनीया डीज़ल और कोयले के लूटतंत्र में में अहम किरदार निभाती रही।
इस सर्किल में पदस्थ रहे अफसरों के लूट में हाथ क़ाले होते रहे हैं। लेकिन, युवा अधिकारी ने काजल की कोठरी से बिना अपने दाग लगाए निकलकर सिद्ध कर दिया कि “जो परिस्थिति से लड़ा है,वही तो जीवन में आगे बढ़ा है। और जिसने किस्मत को कोसा है,वह वहीं का वहीं खड़ा है।
उनके कार्यकाल की याद करते हुए पुलिस विभाग में चर्चा है कि आख़िर दर्री सर्कल में वर्तमान आईजी संजीव शुक्ला ने भी काम किया और नाम ऊंचा किया जिसे जनमानस आज भी याद करता है। सो आईपीएस अफसर और दर्री सीएसपी अपने नाम से नहीं बल्कि काम से हमेशा याद किए जाएंगे।
कनस्तर में यात्रा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा आज कोरबा जिले में होकर गुजर रही है। कल रायगढ़ के सक्ती शुरु हुई न्याय यात्रा अपने पड़ाव के दूसरे दिन कोरबा पहुंची । राहुल गांधी सहित अन्य नेता भैसमा कॉलेज के पास बने 55 से 60 कंटेनर वाले छावनी में पहुंचे रात गुजारे । उनके साथ दिल्ली से पहुंची करीब 250 लोगों से ज्यादा की टीम भी चल रही है।
इस टीम को राहुल गांधी की यात्रा की देखरेख का जिम्मा उठाना होता है। यात्रा के बीच बीच में मोहब्बत की दुकान सजाई गई है। मोहब्बत की उनकी दुकान में लोगों की भीड़ भी दिख रही है मगर मोहब्बत की इस दुकान में कितनी मोहब्बत बांटी गई इसका अंदाजा भीड़ देखकर तो लगाया नहीं जा सकता है।
राहुल गांधी 13 तारीख को छत्तीसगढ़ में अपने आखिरी पड़ाव में अंबिकापुर से होकर गुजरेंगे। उनके साथ कनस्तरवाली काफिला भी होगा…जिसमें मोहब्बत की दुकान होगी। हालांकि अभी कोरबा में सांसद ज्योत्सना मंहत के भरोसे कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान खूब चल रही है। विधानसभा चुनावा में भी इस दुकान में लोगों की भीड़ कम नहीं हुई। ऐसे में अगर कोरबा में एक बार फिर मोहब्बत की दुकान चल पड़ी तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
हंगामा है क्यों बरपा
दो दिनों के अतंराल के बाद आज से छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र फिर होने वाला है। लोकसभा चुनाव से पहले नई सरकार का ये पहला बजट है…तो इसमें मोदी गांरटी की बात तो होनी ही है। बजट में महातारी वंदन योजना के लिए राशि का प्रस्ताव सदन में पेश किया जा चुका है, केवल किसानों को मिलने वाली अंतर राशि ही बाकी रही गई है। लिहाजा विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं होगा।
बजट सत्र के दौरान गरीबों को बांटे जाने वाले मुफ्त चावल और फोर्सिफाइड चावल का मुद्दा गूंजा तो पूर्व खाद्य मंत्री के घर इंकमटैक्स विभाग आ धमका है। पूर्व खाद्य मंत्री ये बताते फिर रहे हैं कि उन्हें परेशान करने के लिए छापेमारी की जा रही है। आज जब दोबारा से सदन शुरु होने जा रहा है तो आज स्मार्ट सिटी लिमिटेड में अपात्र कंपनियों को काम बांटने पर सवाल जवाब होंगे।
यानि संभव में मलाई खाने वाले महापौर और नगरीय निकाय विभाग के पूर्व मंत्री सरकार के निशाने पर आ सकते हैं। यानि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हंगामा बरपना तय है। अब अगली गाज किस पर गिरने वाली है…इसके लिए इंतजार तो करना होगा।