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टीआई ट्रांसफर.. चुनावी उपहार
कहते है काम बोलता है सो नगरी निकाय और त्रिस्तरीय चुनाव के बाद जिला स्तर पर होने वाले तबादले में कुछ थानेदारों को चुनावी उपहार मिलने वाला है।
इलेक्शन के बाद कप्तान के थानेदारों के ट्रांसफर का पहला मौका है। सो साहब ने गुड वर्करों की लिस्ट तैयार कर ली है। उनके गुड बुक में आने वाले ट्रेलर दिखाने वाले थानेदारों को फिल्म दिखाने का अवसर मिलने वाला है। कहा तो यह भी जा रहा है कि बेस्ट वर्करों की टीम को बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट मलाईदार थाना मिलने वाला है, जो खाकी की इमेज को सुधारने का काम करेंगे और पब्लिक को सपोर्ट करेंगे।
सूत्रधार की माने तो इसी महीने स्थानांतरण सूची जारी होने की संभावना है। स्थानांतरण होना है तो किसी को मजा तो किसी को सजा तो बनती है। विभाग में चल रही चर्चा की एक सुर में ताल देते हुए कह रही है कि नदी उस पार यानी मलाई वाला थाना और कोतवाली को बदलने की चर्चा महकमे में खलबली मचा रही है। लाइन में बैठे गैर जिले से आये और थानेदारी की राह देख रहे टीआई को पदस्थ करने की बात विभाग में चल रही है। रही बात देश की शान कहे जाने एल्युमिनियम प्लांट की तो बालको थाने के लिए कतार बड़ी है , मगर साहब चाहे तो..! अब बात अगर सरहदी थानों की जाए तो उसमें भी फेरबदल की संभावना है। जो भी हो पर ट्रांसफर की बात से खाकी के खिलाड़ियों के सितारे जगमग हो गए हैं।
अब देखना है कि सितारों की जगमग दीवाली के साथ रंगबिरंगी होली का आनंद किसके भाग्य में बदा है।
कलेक्टरों की ट्रांसफर लिस्ट
छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायतों के चुनाव बिना किसी परेशानी के निपट गए। अब सरकार एक्शन मोड में आ चुकी है। और आज से विधानसभा का बजट सत्र शुरु होने जा रहा है। यानि जिलों के अफसरों की खाताबही की पड़ताल हो चुकी है। जिन जिलों में सरकार की योजनाओं को लागू करने में कोताही हुई वहीं अफसरों को बदलने की तैयारी हो रही है।
बजट सत्र के बीच पुअर परफॉर्मेंस वाले जिलों में कलेक्टरों को सरकार बदलने वाली है। मंत्रालय में फाइल चल रही हैं। सत्र के दौरान ही तबादला सूची जारी हो सकती है। जिसमें आधा दर्जन जिलों में कलेक्टर बदले जा सकते हैं।
इसके अलावा मंत्रालय स्तर में कुछ आईएएस के प्रभारों में फेरबदल होना है। आज या कल में चुनाव की अधिसूचना भी हट जाएगी, और इसी सप्ताह आईएएस अफसरों की लिस्ट जारी हो सकती है।
सिरमिना में सांठगांठ, गुरुजी की तलाश
कोरबा में शिक्षा विभाग अपनी कारगुजारी को लेकर फिर चर्चा में है। नियमों को तोड़ना और मनमर्जी चलाने के लिए शिक्षा विभाग के गुरुजी आईएएस अफसरों को भी मत दे रहे हैं।
पोड़ी उपरोड़ा के सिरमिना में नवोदय चयन परीक्षा में तो सारी हद पार हो गई। अब इस मामले में लीपापोती की तैयारी है।
असल में पिछले दिनों नवोदय स्कूल में सलेक्शन एग्जाम के दौरान 6 वीं में एडमिशन के लिए परीक्षा ली गई। जिसमें पोड़ी उपरोड़ा के सिरमिना को भी परीक्षा सेंटर बनाया गया था। लेकिन, नवोदय स्कूल में पिछले दरवाजे से इंट्री दिलाने वाले शिक्षा विभाग के एक गुरुजी से गलती हो गई।
हुआ यूं कि सेंटर में एक छात्रा की उपस्थिति दर्ज को गई लेकिन ओएमआर सीट जमा नहीं हुआ। जब पेपर चेकिंग के लिए जांच केंद्र पहुंचा अफसर उपस्थिति और ओएमआर सीट मिलान हुआ तो जांच अधिकारी सन्न रह गए। अब छात्रा की उपस्थिति दर्ज करने वाले गुरुजी की तलाश शुरू हो गई है विभाग की किरकिरी हो गई सो अलग..अब इसका ठीकरा किस पर फूटता है ये देखने वाली बात होगी।
चार की चर्चा, जो हराने में कर रहे थे खर्चा
आजकल चार की चर्चा पुलिस और नेतागिरी में जमकर हो रही है। वैसे तो चार का गणित सब जगह हिट होता है, लेकिन इस पार्षद चुनाव में वो चार नेताओ का गणित फेल हो गया जो सुड्डो नी साईं को हराने खर्चा कर रहे थे।
चार पैसे के चक्कर में,जवानी चली गई। सब सीख ली चालाकियां,वो नादानी चली गई । ये पंक्तियां वर्तमान पार्षदी चुनाव में सोने से खरा सिद्ध हुआ है।
बात वार्ड चुनाव लड़ रहे एक दिग्गज नेता की है जो सभापति की चाहत में फजीहत कराने उतरे। जब चुनाव में उतर गए तो मैदान छोड़ भाग भी नही सकते। सो नेताजी तन- मन धन से चुनाव जीतने सड़क नाप रहे थे। इसी बीच निर्दलयी और युवा नेता टक्कर देते चना चबवा रहा था। युवा नेता के जोश के पीछे वो चार नेताओं का हाथ था जो किसी भी हाल में चुनाव संचालक बनने वाले भाऊ को हराना चाह रहे थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि सभापति का सपना संजोने वाले नेता को हराने ऐसा चक्रव्यूह रचा जा चुका था। जिससे बाहर निकलकर चुनाव जीतना मुमकिन नही नामुमकिन था। हालांकि चेहरे में मुस्कान और विपरीत परिस्थिति में धैर्य न खोने वाले नेताजी ने बाजी पलटते हुए वो कर दिखाया जो किसी वरदान से कम नही है। चुनाव होने के बाद जब चुनावी समीक्षा हुई तो वो चार नेताओं की चर्चा राजनीति के रणनीतिकारों के जुबां पर है जो भाऊ को हराने खर्चा कर रहे थे।
मत…वाले हम!
सूबे में निकाय और पंचायत चुनाव निपट गए और इसी हफ्ते शहर और गांव की सरकार आकार ले लेगी। चुनाव निपटने से सरकार और सत्ता दोनों को राहत की सांस मिली, मगर इस चुनाव में जिनके बिस्तर गोल हो गए..उनकी भी अपनी कहानी है। साड़ी, कपड़ा, नकदी, अध्धी, पौव्वा बोतल सब कुछ बांटे और तो और कईयों ने वोटरों का मन रखने के लिए गर्मी का मौसम लग जाने के बाद भी कंबल तक बांटवा दिए, मगर चुनाव में मत देने वाले ” मत…वाले ” वोटिंग के दिन बिस्तर से नहीं उठ पाए…और जिसने नेतागिरी चलाने के लिए सबकुछ बांटा उसकी किस्मत दगा दे गई।
असल में वोटिंग दूसरे चरण के बाद आबकारी विभाग ने खुद डंके की चोट पर बताया कि उसने फरवरी के पहले पखवाड़े में 33,874 लीटर देशी और विदेशी मदिरा जब्त की है, जिसकी कीमत 2.23 करोड़ रुपए है। ये तो केवल 7 जिलों की बात कर रहे हैं, जबकि यहां कुल 33 जिलों में चुनाव हुए हैं..अब पूरे 33 जिलों के ”मत…वाले” कितने की शराब डकार गए इसका हिसाब लगाना आपका का काम है। हम तो अभी अभी अपने गांव में ”मत” डालकर आएं हैं सो ”मत…वाले” हो गए हैं…रहा हिसाब किताब का मामला तो उसे अगली किस्त में निपटा लेंगे।