Attack on MLA and prohibition: टीआई को टिप्स..माननीया को आया गुस्सा और ,नागपंचमी और ईडी..दक्षिणायन से उत्तरायण हुए साहब…
🔶 टीआई को टिप्स..
शहर के एक थानेदार को नेता दी ने टिप्स दे दी है। मामला सीतामणी का है,जहाँ एक भाजपा नेता का ट्रैक्टर सड़क पर बेखौफ दौड़ता है और जब आमजन ट्रैक्टर से कारोबार करते हैं पुलिस कहर बन जाती है। पुलिस के इस माथा देखकर टीका लगाने वाली नीति से आम लोग नाराज हैं।
पुलिस की इस दोहरी नीति को लेकर सीतामणी के लोग जब नेता जी के पास पहुंचे, तो उन्होंने साफ लफ्जो में कहा है अगर काम चल रहा है तो सब कारोबारियों पर समभाव रखकर उन्हें काम करने दे। किसी पर पार्टी का लेबल न चिपकाए और न ही उन्हें काम करने से रोकें।
नेता जी के टिप्स का टीआई साहब पर क्या असर पड़ता है यह तो बात की बात है ,पर जिस अंदाज में शहर के घनी आबादी में गश्त और पुलिसिंग को लगभग इग्नोर किया जा रहा है। जो पब्लिक हित के लिए तो कतई सही नहीं है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि रात में सड़कों में खड़े मनचलों की वजह से पब्लिक परेशान रहती है। वैसे तो साहब मधुर मुस्कान ऊंचे पायदान वाले हैं। लेकिन, उनके थाना क्षेत्र का लेखा जोखा औसत दर्जे का है। क्योंकि, शहर की सड़कों मनचलों की हुटिंग और बीच सड़क पर खड़ी गाड़ियां खाकी की छवि को धूमिल करने के लिए काफी है।
खबरीलाल की माने तो साहब एक सफेद सोना कारोबारी से ज्यादा संबंध बना बैठे हैं। अब संबंध बनाए हैं तो निभाना तो पड़ेगा। सो साहब निभा भी रहे हैं। लेकिन, अपोजिशन पार्टी के कारोबारी के सर पर हाथ लंबे कद वाले साहब को भारी पड़ गया, लेकिन उससे क्या अपना काम बनता तो ..
जनता की परिपार्टी में सभी अपने ब्रांडिंग में मस्त हैं। वैसे नेता जी के टिप्स के बाद थाना क्षेत्र की पुलिसिंग दुरुस्त होने की उम्मीद है। क्योंक सर पर चुनाव और चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहेंगे..!
🔶 माननीया को आया गुस्सा और कैंसल हो रहे टेंडर..
निगम में चल रहे बाबू राज और विभागों से लापता हो रही फाइलों पर अंकुश लगाने माननीया ने एक कर्मचारी को फटकार लगाई है। सूत्रों की माने तो फाइल आयुक्त की टेबल पर थी और कर्मचारी मैडम की अनुपस्थिति में अपनी उपस्थिति को माननीया की उपस्थिति के बराबर तोलकर फ़ाइल निकाल रहा था।
ऐसे में माननीया का गुस्सा स्ववाभाविक है। सो उन्होंने कर्मचारी को खूब खरी खोटी सुनाई और बिना अनुमति के फाइल को हाथ न लगाने की चेतावनी दी। हालांकि बाद में कर्मचारी को बुलाकर कार्यालयीन कामकाज के सूत्र पढ़ाये और सबको साथ लेकर काम करने की बात कही।
सूत्रों की माने तो निगम से कई महत्वपूर्ण और सेटिंग वाले फाइल ऑफिस से गायब है। निगम के जानकार बताते हैं कि फाइल गायब करने वाले गिरोह अफसरों की गलती छुपाने और उल्टे कामों को सीधा करने का कान्ट्रेक्ट लेकर विभाग के शाखा इंचार्ज के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के पते देने वाली फाइलों को लापता कर देते हैं।
फिर लोगो को तारीख पे तारीख देते रहते हैं। लेकिन, अब तारीख देने वाले पर दामिनी (बिजली) कड़केगी नहीं होगा, फाइल गुम होने की परंपरा पर माननीया ने जोर का झटका दे दिया है। आयुक्त की सत्यपरायणता से निगम में अकर्तव्यपरायण अधिकारियों की नींद उड़ गई है।
माननीया के गुस्से की खबर जब निगम गलियारों में आम हुई तो पूर्व आयुक्त के चहेते अफसरों के पैरों तले जमीन खिसक गई और कहने लगे कहीं हमारी गलती पकड़ी गई तो क्या होगा? सो बीच का रास्ता निकालते हुए विधि को निधि में बदलकर किये गए सारे टेंडरों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया और एक के बाद सेटिंग वाले टेंडर को निरस्त कर रहे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है कि जिस तरीके से नेता पुत्रों को लाभ दिलाने का जाल बुना गया उस जाल में छेद होने वाला है। जाल में जब छेद होगा तो स्वाभाविक है कुछ अफसर भी नपेंगे। वैसे निगम के सफाई से निकलने वाले मलाई पर भी कार्रवाई की बात कही जा रही है।
🔶 भ्रष्टाचार का पिटारा… नागपंचमी और ईडी
छत्तीसगढ़ में करीब डेढ़ साल से ईडी का डेरा जमा हुआ है। अब तो विधानसभा चुनाव में 3 माह से भी कम टाइम बचा है। सूबे में चुनावी शोर शुरु हो चुका है लेकिन इससे पहले बीच बीच में ईडी ईडी का शोर का शुरु हो जाता है। कई मंत्री संतरी और अफसर ईडी ईडी का शोर सुनते ही कोमा में जाते हैं।
जिले की एक पूर्व महिला अफसर को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। अब उनकी नजर डीएमएफ फंड की आड़ में सरकारी सप्लाई की मलाई खाने वालो पर है। सोमवार को नागपंचमी मनाई जा रही। आज कुछ कारोबारी अपने बंगले के आंगन में रंगोली सजा कर बीने और पिटारा लेकर आने वाले संपेरों का इंतजार कर रहे थे।
लेकिन हुआ इसका उलटा। सरकारी बीन बजा और भ्रष्टाचार का पिटारा लेकर ईडी अफसर सुबह सुबह बंगलों में आ धमके। भिलाई और रायपुर में ईडी ईडी का शोर सुनाई देने लगा। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के इस पिटारें में अभी और कुछ लोगो की कुंडली बंद है। चुनाव से पहले ईडी के पंडित इन कुंडलियों को बांचने की तैयारी कर रहे हैं।
🔶 दक्षिणायन से उत्तरायण हुए साहब…
वैसे तो सूर्यदेव की दो स्थितियां हैं उत्तरायण और दक्षिणायण,दोनों की अवधि छह-छह महीने की होती है। सूर्यदेव की तरह दिशा बदलने वाले जंगल विभाग के एक अफसर भी दक्षिणायन से उत्तरायण हो गए है। उनके ट्रांसफर और पोस्टिंग की चर्चा इन दिनों वन विभाग के गलियारों में धूम मचा रही है।
साहब पिछले लंबे समय से फारेस्ट डिवीजन कोरबा में जमे हैं और ट्रांसफर हुआ भी तो लेफ्ट से राइट सो कहीं भी नहीं हुए टाइट,..तो चर्चा बनती ही है। वैसे साहब के राज में जंगल के लुटरे खूब फले फूले हैं। ताजा मामला सोल्वा जलाशय का ही ले लीजिये 65 लाख की लागत से बना बांध पहली बारिश में धराशाई हो गया।
जलाशय के सुपरविजन का काम लेफ्ट से राइट जाने वाले साहब का ही था। इससे विभाग के काम काज की क्वालिटी का आंकलन किया जा सकता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि कुदमुरा एरिया में काम कम और लेमरू व बालको क्षेत्र में काम की भरमार होने की वजह से साहब ने अपनी पोस्टिंग उत्तर क्षेत्र में कराई है।
खबरीलाल की माने तो बालको पॉवर प्लांट का एक्सटेंशन का काम चल रहा है और सबसे अधिक जमीन व पेड़ कटाई का मामला फारेस्ट में लंबित है। सो साहब की पोस्टिंग के बाद बालको को समुद्र बनाकर मंथन करने के लिए उत्तर क्षेत्र में तबादला कराया गया है। अब इस मंथन से स्वाभाविक है जब भाव सही नहीं होगा तो अमृत निकलने से रहा.. जो भी निकलेगा वह गरल ही होगा।
🔶 विधायक पर हमला और शराबबंदी
छत्तीसगढ़ में शराब बंदी का वादा करीब 5 साल से गूंज रहा है। ये वादा पूरा तो नहीं हुआ मगर शराब के नशे में अपराध का आंकड़ा से 5 गुना बढ़ गया। आम आदमी की क्या बिसात अब तो सुरक्षा घेरा में रहने वाले विधायक भी इसके जद में आ गए हैं। डोंगरगांव के ग्राम जोंधरा में भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची खुज्जी विधायक छन्नी साहू के साथ भी ऐसा की वाकया पेश हुआ।
नशे में धुत्त युवक ने विधायक पर चाकू से किया हमला कर दिया। कहने का मतलब साफ है कि नशे में लोग इस कदर मदहोश है कि उन्हें ना वर्दी की फिक्र है और ना अंजाम का अंदेशा। इस घटना के बाद विपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं जो स्वाभाविक है।
जब जब शराब बंदी की बाद उठाती है राजस्व का हवाला देकर उसे सिरे से खारिज किए जाने का चलन है। क्या बिहार जैसे राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में शराब बंदी नहीं की जा सकती है। इसका जवाब भी सरकार को ही ढ़ूंढना होगा नहीं तो आरोपों के कटघरे में हर बार सरकार को ही खड़ा होना पड़ेगा। ये हालात किसी भी सरकार के लिए उचित नहीं होगा।