
जांजगीर-चांपा। देश के प्रति समर्पण क्या होता है, यह यदि देखना हो तो आपको छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे से गांव किरित की मिट्टी को छूना होगा। यहां देशभक्ति सिर्फ भावना नहीं, जीवनशैली है। इस गांव की पहचान अब ‘सैनिक नगरी’ के रूप में हो चुकी है, और वजह भी बेहद खास है। यहां हर घर से कोई न कोई सेना में देशसेवा कर रहा है। यहां देश सेवा कोई विकल्प नहीं, बल्कि परंपरा है। गांव के 100 से भी अधिक युवक भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना में सेवा दे रहे हैं। गांव के बुजुर्गों से लेकर नन्हे बच्चों तक, सभी की सुबह ‘जय हिंद’ की गूंज के साथ होती है। किरित गांव में शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां से सेना के लिए कदम न बढ़े हों। खास बात ये कि युवाओं से ज्यादा यहां के ग्रामीण व महिलाएं अपनी माटी से प्रेम करती हैं। तभी तो अपने बच्चों के लिए गांव में ही 15 एकड़ भूखंड को मैदान में तब्दील कर दिया है। यहां गांव के युवाओं के अलावा लड़कियां भी हिस्सा निभाती हैं।
एक सैनिक के पिता ने बताया की यह गांव केवल सपने नहीं देखता, उन्हें साकार भी करता है। सुबह 3 बजे जब ज्यादातर गांव नींद में डूबे रहते हैं, तब किरित के 40-60 बच्चे मैदान में दौड़ते नजर आते हैं। अनुशासन और समर्पण से भरी यह सुबहें सिर्फ अभ्यास नहीं होतीं, ये आने वाले फौजियों की नींव रखती हैं। गांव के ही एक रिटायर्ड सैनिक इन बच्चों को निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं फिजिकल फिटनेस, मानसिक दृढ़ता और सेना की तैयारी के तमाम पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है। यहां के बच्चों का सपना बचपन से तय है – वर्दी पहनकर देश की सेवा करना।
किरित गांव सिर्फ एक नाम नहीं, यह एक सोच है – देश के लिए कुछ कर गुजरने की।” वे कहते हैं कि बच्चों की आंखों में वर्दी का सपना और दिल में मातृभूमि के लिए समर्पण देखा जा सकता है। राजन कुमार पात्रे कहते हैं, “यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, हमारी पहचान है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार यह परंपरा दशकों पुरानी है। पहले जब कोई जवान फौज से गांव लौटता था, तो पूरा गांव उसके स्वागत में उमड़ पड़ता था। फूल-मालाओं से उसका अभिनंदन किया जाता, और गांव के चौपालों में उसकी वीरता की कहानियाँ गूंजती थीं। यही किस्से बच्चों के मन में देशभक्ति की लौ जलाते थे।
आज भी उन कहानियों की गूंज नई पीढ़ी को उसी जज़्बे के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। किरित गांव में बीते कल की परंपराएं आज भी भविष्य के सिपाही तैयार कर रही हैं। जब आज के युवाओं के सामने कई रास्ते और भटकाने वाले फैसले होते हैं, तब किरित जैसा गांव हमें यह सिखाता है कि अगर इरादा साफ हो, दिशा सही हो और परंपरा मजबूत हो, तो कोई भी गांव पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है। किरित सिर्फ फौजियों का गांव नहीं है, बल्कि यह देश के भविष्य की नींव रखने वाला गांव है। यह हमें बताता है कि असली विकास सिर्फ सड़कों और इमारतों से नहीं होता, बल्कि उस सोच से होता है जो बच्चों को देश की सेवा करने के लिए तैयार करती है।