
रायपुर। कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर और रायपुर के बाद हीट आईलैंड की सूची में नया नाम बलौदा बाजार जिले का। कुछ और जिले भी इस सूची में शामिल किये जा सकते हैं, जहां यह स्थिति शुरुआती दौर में है।
हीट आईलैंड की सूची जिस गति से लंबी हो रही है, उससे अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय चिंता में आ चुका है। लिहाजा कुछ ऐसे उपायों पर फौरन काम चालू करने का सुझाव दिया है जिससे हीट आईलैंड का विस्तार रोकने में प्रभावी मदद मिलती है।
इसलिए हीट आईलैंड
बढ़ता शहरीकरण, घटता हरित क्षेत्र का रकबा। कांक्रीट, कोलतार और धातु संरचनाओं का उपयोग जिस मात्रा में बढ़ रहा है, वह सूर्य की तेज धूप को अवशोषित कर तो रही है लेकिन लंबी अवधि तक इसे बनाए हुए है। हरित क्षेत्र तापमान को नियंत्रित करते हैं लेकिन शहरीकरण की चपेट में यह भी तेजी से खत्म हो रहे हैं। यह स्थितियां तापमान बढ़ाने में भरपूर मदद कर रहीं हैं।
यह भी बढ़ा रहे तापमान
वाहन और उद्योगों से निकलने वाली गर्मी तो बढ़ते तापमान की वजह है ही, नई हिस्सेदारी अंधाधुंध ऊर्जा खपत की भी सामने आई है। इसमें एयर कंडीशनर और ऐसे अन्य संसाधन भी हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से गर्मी को बढ़ा रहे हैं। यह सभी वायु प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ा रहे हैं, तो बढ़ते तापमान को मजबूत साथ दे रहे हैं।
यहां बढ़ रहे गर्मी के दिन
रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और कोरबा के साथ बलौदा बाजार जिले को इसलिए गंभीर जिला माना जा रहा है क्योंकि यहाँ भी शहरीकरण और औद्योगीकरण की गति अपेक्षाकृत ज्यादा है। हरित क्षेत्र का सिमटता रकबा हीट आइलैंड को और भी मजबूती दे रहा है। ऐसे में तापमान को काबू में रखने के लिए हर वह उपाय करने होंगे जो ऐसे क्षेत्र के लिए विशेष रूप से सुझाए गए हैं।
सुझाए यह उपाय
गर्मी अवशोषण कम करने में सहायक हो सकते हैं ग्रीन और कूल रूफ। हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक पौधरोपण और ग्रीन बेल्ट को विकसित करना। पानी अवशोषित करने वाली सामग्री का उपयोग सड़क और फुटपाथ निर्माण के काम में। सार्वजनिक परिवहन जैसी नीतियां और इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देना होगा। तालाब, झील, बावड़ी और कुओं का संरक्षण एवं संवर्धन इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि यह भूजल के भंडारण में मदद करते हैं और पर्याप्त नमी बनाए रखते हैं।
वनस्पतियों की महत्वपूर्ण भूमिका
शहरी हीट आइलैंड प्रभाव का मुख्य कारण हरित क्षेत्र की कमी और बढ़ता शहरीकरण है। पेड़ और वनस्पति तापमान संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे छाया प्रदान करते हैं और वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से गर्मी को नियंत्रित करते हैं। बढ़ता औद्योगीकरण और कंक्रीट संरचनाओं के कारण तापमान असामान्य रूप से बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय जलवायु असंतुलित हो रही है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर